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SPECIAL: रक्षा बंधन से पहले अचानक लॉकडाउन से राखी व्यापारी परेशान - rakhi merchant

छत्तीसगढ़ में बढ़ रहे कोरोना के केस के कारण लगाए गए लॉकडाउन का राखी के त्योहार पर बड़ा असर पड़ा है. राखी के त्योहार पर राजधानी रायपुर में लॉकडाउन लग जाने से राखी बेचने वाले दुकानदार काफी प्रभावित हुए हैं.

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राखी
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Published : Jul 30, 2020, 10:16 PM IST

रायपुर: कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए राजधानी रायपुर में 22 जुलाई से 6 अगस्त तक 15 दिनों के लिए लॉकडाउन लगा दिया गया है. लॉकडाउन की वजह से इस साल राखियों का बाजार काफी हद तक प्रभावित हुआ है. राखी के बाजार में कोरोना के कारण ग्राहकों की संख्या भी काफी कम है. हालांकि प्रशासन ने 3 अगस्त को होने वाले रक्षाबंधन त्योहार को देखते हुए 29 और 30 जुलाई को 2 दिनों के लिए राखी बाजार 4-4 घंटे खोलने की अनुमति दी है, जिसके बाद राखी बाजार में थोड़ी-बहुत रौनक देखने को मिली है. राखी बेचने वाले दुकानदारों को इस बार नुकसान और घाटे का सामना करना पड़ रहा है. बाजारों में स्वदेशी राखियों का ही बोलबाला है.

अचानक हुए लॉकडाउन से राखी व्यापारी परेशान

पढ़ें: लापरवाही से बढ़ा संक्रमण, लॉकडाउन का कड़ाई से करें पालन: भूपेश बघेल

राखी पर कोरोना का साया
पिछले साल तक राजधानी रायपुर में राखियों की छोटी-बड़ी मिलाकर लगभग 2500 दुकानें सजती थी, जो महीनेभर पहले से ही लग जाती थी, लेकिन इस साल कोविड-19 के संक्रमण के कारण राखी के बाजार पर ग्रहण सा लग गया है. लॉकडाउन में प्रशासन से मिली छूट के बाद भी कोरोना के डर से पहले की तरह लोग बाजार नहीं पहुंच रहे हैं, जिससे राखी दुकानदार बिक्री को लेकर खासे परेशान और चिंतित दिखाई पड़ रहे हैं. उनका कहना है कि कोविड-19 की संक्रमण की वजह से राखियों का बाजार इस बार ठंडा पड़ गया है.

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राखी पर कोरोना का साया

पढ़ें: गर्भावस्था के दौरान नौकरी की तलाश में खोया बच्चा, विद्या मितान ने सीएम को राखी भेज मांगी मदद

10 से 15 प्रतिशत में सिमटी राखियों का बाजार
राखी की बिक्री की बात की जाए तो कोविड-19 के संक्रमण की वजह से इस साल राखी का बाजार 15% में ही सिमट गया है. राखी का कारोबार करने वाले छोटे-बड़े दुकानदार राखी त्योहार के 25 दिनों पहले से ही राखियों की बिक्री शुरू कर देते थे, लेकिन इस साल राखियों के इस बाजार पर मुनाफे के बजाय घाटे का सौदा ही देखने को मिल रहा है. राखियों के इस बाजार में रेशम धागे की राखी, बच्चों की राखी, स्टोन वाली राखी, और भैया भाभी जैसे नाम की राखियां बाजार में उपलब्ध हैं, पर बाजारों से ग्राहक गायब हैं. इस दौरान मार्केट में पूरी तरह से स्वदेशी राखियों की ही डिमांड है.

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नहीं बिक रही राखियां

पढ़ें: SPECIAL: खेती के साथ-साथ राखी मेकिंग, स्वदेशी राखियां बना आत्मनिर्भर बन रहीं गांव की महिलाएं

रक्षाबंधन का महत्व
रक्षाबंधन हिंदू और जैन का त्योहार है. जो हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. रक्षाबंधन में राखी या रक्षा सूत्र का सबसे अधिक महत्व है. राखी कच्चे सूत जैसी सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे रेशमी धागे और सोने या चांदी जैसी महंगी वस्तु तक की हो सकती है. रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते का प्रमुख त्योहार है. रक्षा का मतलब सुरक्षा और बंधन का मतलब बाध्य है. रक्षाबंधन के दिन बहनें भगवान से अपने भाइयों की तरक्की के लिए प्रार्थना करती हैं.

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राखी की बिक्री घटी

रायपुर: कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए राजधानी रायपुर में 22 जुलाई से 6 अगस्त तक 15 दिनों के लिए लॉकडाउन लगा दिया गया है. लॉकडाउन की वजह से इस साल राखियों का बाजार काफी हद तक प्रभावित हुआ है. राखी के बाजार में कोरोना के कारण ग्राहकों की संख्या भी काफी कम है. हालांकि प्रशासन ने 3 अगस्त को होने वाले रक्षाबंधन त्योहार को देखते हुए 29 और 30 जुलाई को 2 दिनों के लिए राखी बाजार 4-4 घंटे खोलने की अनुमति दी है, जिसके बाद राखी बाजार में थोड़ी-बहुत रौनक देखने को मिली है. राखी बेचने वाले दुकानदारों को इस बार नुकसान और घाटे का सामना करना पड़ रहा है. बाजारों में स्वदेशी राखियों का ही बोलबाला है.

अचानक हुए लॉकडाउन से राखी व्यापारी परेशान

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राखी पर कोरोना का साया
पिछले साल तक राजधानी रायपुर में राखियों की छोटी-बड़ी मिलाकर लगभग 2500 दुकानें सजती थी, जो महीनेभर पहले से ही लग जाती थी, लेकिन इस साल कोविड-19 के संक्रमण के कारण राखी के बाजार पर ग्रहण सा लग गया है. लॉकडाउन में प्रशासन से मिली छूट के बाद भी कोरोना के डर से पहले की तरह लोग बाजार नहीं पहुंच रहे हैं, जिससे राखी दुकानदार बिक्री को लेकर खासे परेशान और चिंतित दिखाई पड़ रहे हैं. उनका कहना है कि कोविड-19 की संक्रमण की वजह से राखियों का बाजार इस बार ठंडा पड़ गया है.

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राखी पर कोरोना का साया

पढ़ें: गर्भावस्था के दौरान नौकरी की तलाश में खोया बच्चा, विद्या मितान ने सीएम को राखी भेज मांगी मदद

10 से 15 प्रतिशत में सिमटी राखियों का बाजार
राखी की बिक्री की बात की जाए तो कोविड-19 के संक्रमण की वजह से इस साल राखी का बाजार 15% में ही सिमट गया है. राखी का कारोबार करने वाले छोटे-बड़े दुकानदार राखी त्योहार के 25 दिनों पहले से ही राखियों की बिक्री शुरू कर देते थे, लेकिन इस साल राखियों के इस बाजार पर मुनाफे के बजाय घाटे का सौदा ही देखने को मिल रहा है. राखियों के इस बाजार में रेशम धागे की राखी, बच्चों की राखी, स्टोन वाली राखी, और भैया भाभी जैसे नाम की राखियां बाजार में उपलब्ध हैं, पर बाजारों से ग्राहक गायब हैं. इस दौरान मार्केट में पूरी तरह से स्वदेशी राखियों की ही डिमांड है.

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नहीं बिक रही राखियां

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रक्षाबंधन का महत्व
रक्षाबंधन हिंदू और जैन का त्योहार है. जो हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. रक्षाबंधन में राखी या रक्षा सूत्र का सबसे अधिक महत्व है. राखी कच्चे सूत जैसी सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे रेशमी धागे और सोने या चांदी जैसी महंगी वस्तु तक की हो सकती है. रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते का प्रमुख त्योहार है. रक्षा का मतलब सुरक्षा और बंधन का मतलब बाध्य है. रक्षाबंधन के दिन बहनें भगवान से अपने भाइयों की तरक्की के लिए प्रार्थना करती हैं.

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राखी की बिक्री घटी
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