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रायपुर के डायरी कांड में पुलिस का बड़ा खुलासा, पूर्व DEO ने रची साजिश, संविदा पोस्टिंग नहीं मिलने पर बनाया मनगढ़ंत मामला - latest Chhattishgarh news

Raipur SSP disclosure diary case: रायपुर एसएसपी ने झूठी घपले की डायरी का खुलासा करते हुए रिटायर्ड DEO को गिरफ्तार किया है. रिटायर होने के बाद संविदा में नियुक्ति नहीं मिलने के बाद रिटायर्ड DEO जीआर चंद्राकर ने 366 करोड़ के घोटाले की साजिश रची थी.

Raipur SSP disclosure in diary case
डायरी मामले में रायपुर एसएसपी खुलासा
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Published : Jan 15, 2022, 3:42 PM IST

Updated : Jan 15, 2022, 7:51 PM IST

रायपुर: स्कूल शिक्षा विभाग के कथित 366 करोड़ के घूस कांड मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. (disclosure of police in diary case of Raipur) पकड़े गए आरोपियों में सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी गेंदराम चंद्राकर, कांग्रेस नेता व आरटीआई एक्टिविस्ट संजय सिंह ठाकुर और कपिल कुमार देवदास है. रायपुर पुलिस ने 48 घंटे के भीतर पूरे मामले का पर्दाफाश किया. आरोपियों ने महज ढाई हजार रुपये खर्च करके 366 करोड़ के घोटाले की साजिश रची और उसमें शिक्षा विभाग के कई अधिकारियों सहित कई अधिकारियों को फंसाने की कोशिश की. आरोपियों के स्पीड पोस्ट के जरिए ही पुलिस इन तक पहुंची और पूरे मामले का खुलासा किया.

शिक्षा विभाग के लोगों को बदनाम करने की साजिश

सेवानिवृत्त डीईओ है मास्टरमाइंड, पोस्टिंग नहीं मिलने से रच दी साजिश

पुलिस की मानें तो मामले का मास्टरमाइंड रिटायर्ड DEO जीआर चंद्राकर है. पिछले साल रिटायर्ड होने के बाद डीईओ चंद्राकर ने संविदा नियुक्ति के लिए अप्लाई किया था, लेकिन उन्हें शक था कि डीईओ ए एन बंजारा और केसी काबरा की वजह से उन्हें नियुक्ति नहीं मिल पाई. उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी एएनबंजारा, संयुक्त संचालक केसी काबरा, तत्कालीन OSD आरएन सिंह, ABEO प्रदीप शर्मा और मंत्री के निजी सचिव अजय सोनी के खिलाफ एक घोटाले की कहानी रच दी. एक डायरी में मंत्री प्रेम साय टेकाम का नाम लिखकर हजारों कर्मचारियों से पोस्टिंग, ट्रांसफर के नाम पर रुपए लेने की बात लिखी. कुल 366 करोड़ के लेन-देन का जिक्र किया. एक शिकायत पत्र तैयार कर इसमें लोक शिक्षण संचालनालय के उप संचालक आशुतोष चावरे के नाम का इस्तेमाल किया. ये शिकायती पत्र कई अफसरों, मीडिया हाउस और नेताओं को डाक के जरिए भेजा गया.

इस काम में चंद्राकर के पड़ोसी चौकीदार ने डायरी लिखने में मदद की. पूर्व डीईओ के दोस्त संजय सिंह और उसके टाइपिस्ट कपिल सिंह ने भी मदद की. कपिल ने 10 जनवरी को इसे अलग-अलग जगहों पर पोस्ट किया था.

महज ढाई हजार में रची थी साजिश

पुलिस की मानें तो जीआर चंद्राकर ने घोटाले की शिकायत का फर्जी लेटर असली लगे इसके लिए अपने साथी कपिल कुमार की मदद ली. कपिल को अफसर आशुतोष चावरे के नाम से शिकायत टाइप करने और उप संचालक लोक शिक्षण के नाम से सील तैयार करने के लिए 2500 रुपए दिए. इसी के आधार पर फर्जी शिकायती पत्र तैयार कर वायरल किया गया.

डायरी में लिखी थी लेन-देन की बात

चंद्राकर ने अपने साथी संजय सिंह के साथ मिलकर कई लोगों का नाम लिखकर लेन-देन की बात एक डायरी में लिखी. बाद में इस डायरी को जलाकर नष्ट कर दिया. कुछ दस्तावेज संजय के पास ही थे, जिसे पुलिस ने बरामद कर लिया है. चूंकि खुद चंद्राकर शिक्षा विभाग में अफसर था, उनसे ट्रांसफर, पोस्टिंग में उन्हीं कर्मचारियों और अफसरों के नाम का इस्तेमाल किया, जिनका असल में ट्रांसफर या पोस्टिंग की गई है, ताकि मामला फर्जी न लगे.

यूं हुआ खुलासा

योजना के मुताबिक सब ठीक चल रहा था. डाक के जरिए अपनी बनाई डायरी की डीटेल और फर्जी शिकायती पत्र मीडिया और नेताओं को भेजने में तीनों कामयाब रहे. लेकिन जब उप संचालक लोक शिक्षण आशुतोष चावरे ने थाने में जाकर ये शिकायत कर दी कि 'उनके नाम से जो शिकायती पत्र कई जगह भेजे जा रहे हैं, उसमें उनके हस्ताक्षर नहीं हैं, तो मामले का खुलासा हुआ. पुलिस ने डाक में आई चिटि्ठयों को भेजने वालों का पता लगाया.

जीआर चंद्राकर ने सबूत नष्ट करने की कोशिश की

पुलिस ने बताया कि चंद्राकर ने अपने दोस्त संजय सिंह के साथ मिलकर कई लोगों ट्रांसफर पोस्टिंग की बात डायरी में लिखी. फिर उसको उसने जलाने की कोशिश की. लेकिन पुलिस को कई दस्तावेज मिले हैं. जीआर चंद्राकर ने बड़ी चालाकी से वैसे कर्मचारी और अधिकारियों के नाम का इस्तेमाल किया जिनका हाल फिलहाल में ट्रांसफर हुआ है.

सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पुलिस चंद्राकर और उसके साथियों तक पहुंची

प्रेमसाय सिंह टेकाम ने सीएम बघेल से इस मामले में शिकायत की थी. उसके बाद लोक शिक्षण विभाग के उप संचालक आशुतोष चावरे ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. जिसमें यह कहा गया कि एक डायरी के पन्ने और फर्जी शिकायत पत्र उनके नाम से मीडिया में सर्कुलेट किए जा रहे हैं. पुलिस ने जांच शुरू की. फिर पोस्ट ऑफिस से पुलिस ने पत्र भेजने वालों के पते की जानकारी हासिल की. सीसीटीवी फुटेज में पुलिस को कपिल देवदास का पता चला. उसके बाद पुलिस ने कपिल को गिरफ्त में लेकर पूछताछ की. इस तरह जीआर चंद्राकर की कारिस्तानी का पता चला.

यह भी पढ़ेंः छत्तीसगढ़ में किसानों से शत-प्रतिशत होगी धान की खरीद, भूपेश बघेल ने की मौसम को लेकर घोषणा

टीम गठित कर, 48 घंटे में किया खुलासा

एसएसपी ने इस मामले की जानकारी देते हुए बताया कि 'लोक शिक्षण संचनालय इंद्रावती भवन के उप संचालक आशुतोष चावरे ने राखी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराया था कि कुछ अज्ञात लोग उन्हें बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं. उनके नाम का फर्जी हस्ताक्षर कर विभिन्न अधिकारियों की शिकायत संबंधी पत्र और शिक्षा मंत्री के पीए की कथित डायरी की प्रति के साथ विभिन्न स्थानों से पिछले कुछ दिनों से भेजे जा रहे है. इस शिकायत पर राखी थाना में धारा 419, 469 के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया था. इसकी जांच के लिए एक टीम गठित की गई थी. जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ अतिरिक्त धारा 120 बी, 201, 420 भी जोड़ी गई.

रायपुर: स्कूल शिक्षा विभाग के कथित 366 करोड़ के घूस कांड मामले में पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. (disclosure of police in diary case of Raipur) पकड़े गए आरोपियों में सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी गेंदराम चंद्राकर, कांग्रेस नेता व आरटीआई एक्टिविस्ट संजय सिंह ठाकुर और कपिल कुमार देवदास है. रायपुर पुलिस ने 48 घंटे के भीतर पूरे मामले का पर्दाफाश किया. आरोपियों ने महज ढाई हजार रुपये खर्च करके 366 करोड़ के घोटाले की साजिश रची और उसमें शिक्षा विभाग के कई अधिकारियों सहित कई अधिकारियों को फंसाने की कोशिश की. आरोपियों के स्पीड पोस्ट के जरिए ही पुलिस इन तक पहुंची और पूरे मामले का खुलासा किया.

शिक्षा विभाग के लोगों को बदनाम करने की साजिश

सेवानिवृत्त डीईओ है मास्टरमाइंड, पोस्टिंग नहीं मिलने से रच दी साजिश

पुलिस की मानें तो मामले का मास्टरमाइंड रिटायर्ड DEO जीआर चंद्राकर है. पिछले साल रिटायर्ड होने के बाद डीईओ चंद्राकर ने संविदा नियुक्ति के लिए अप्लाई किया था, लेकिन उन्हें शक था कि डीईओ ए एन बंजारा और केसी काबरा की वजह से उन्हें नियुक्ति नहीं मिल पाई. उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी एएनबंजारा, संयुक्त संचालक केसी काबरा, तत्कालीन OSD आरएन सिंह, ABEO प्रदीप शर्मा और मंत्री के निजी सचिव अजय सोनी के खिलाफ एक घोटाले की कहानी रच दी. एक डायरी में मंत्री प्रेम साय टेकाम का नाम लिखकर हजारों कर्मचारियों से पोस्टिंग, ट्रांसफर के नाम पर रुपए लेने की बात लिखी. कुल 366 करोड़ के लेन-देन का जिक्र किया. एक शिकायत पत्र तैयार कर इसमें लोक शिक्षण संचालनालय के उप संचालक आशुतोष चावरे के नाम का इस्तेमाल किया. ये शिकायती पत्र कई अफसरों, मीडिया हाउस और नेताओं को डाक के जरिए भेजा गया.

इस काम में चंद्राकर के पड़ोसी चौकीदार ने डायरी लिखने में मदद की. पूर्व डीईओ के दोस्त संजय सिंह और उसके टाइपिस्ट कपिल सिंह ने भी मदद की. कपिल ने 10 जनवरी को इसे अलग-अलग जगहों पर पोस्ट किया था.

महज ढाई हजार में रची थी साजिश

पुलिस की मानें तो जीआर चंद्राकर ने घोटाले की शिकायत का फर्जी लेटर असली लगे इसके लिए अपने साथी कपिल कुमार की मदद ली. कपिल को अफसर आशुतोष चावरे के नाम से शिकायत टाइप करने और उप संचालक लोक शिक्षण के नाम से सील तैयार करने के लिए 2500 रुपए दिए. इसी के आधार पर फर्जी शिकायती पत्र तैयार कर वायरल किया गया.

डायरी में लिखी थी लेन-देन की बात

चंद्राकर ने अपने साथी संजय सिंह के साथ मिलकर कई लोगों का नाम लिखकर लेन-देन की बात एक डायरी में लिखी. बाद में इस डायरी को जलाकर नष्ट कर दिया. कुछ दस्तावेज संजय के पास ही थे, जिसे पुलिस ने बरामद कर लिया है. चूंकि खुद चंद्राकर शिक्षा विभाग में अफसर था, उनसे ट्रांसफर, पोस्टिंग में उन्हीं कर्मचारियों और अफसरों के नाम का इस्तेमाल किया, जिनका असल में ट्रांसफर या पोस्टिंग की गई है, ताकि मामला फर्जी न लगे.

यूं हुआ खुलासा

योजना के मुताबिक सब ठीक चल रहा था. डाक के जरिए अपनी बनाई डायरी की डीटेल और फर्जी शिकायती पत्र मीडिया और नेताओं को भेजने में तीनों कामयाब रहे. लेकिन जब उप संचालक लोक शिक्षण आशुतोष चावरे ने थाने में जाकर ये शिकायत कर दी कि 'उनके नाम से जो शिकायती पत्र कई जगह भेजे जा रहे हैं, उसमें उनके हस्ताक्षर नहीं हैं, तो मामले का खुलासा हुआ. पुलिस ने डाक में आई चिटि्ठयों को भेजने वालों का पता लगाया.

जीआर चंद्राकर ने सबूत नष्ट करने की कोशिश की

पुलिस ने बताया कि चंद्राकर ने अपने दोस्त संजय सिंह के साथ मिलकर कई लोगों ट्रांसफर पोस्टिंग की बात डायरी में लिखी. फिर उसको उसने जलाने की कोशिश की. लेकिन पुलिस को कई दस्तावेज मिले हैं. जीआर चंद्राकर ने बड़ी चालाकी से वैसे कर्मचारी और अधिकारियों के नाम का इस्तेमाल किया जिनका हाल फिलहाल में ट्रांसफर हुआ है.

सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पुलिस चंद्राकर और उसके साथियों तक पहुंची

प्रेमसाय सिंह टेकाम ने सीएम बघेल से इस मामले में शिकायत की थी. उसके बाद लोक शिक्षण विभाग के उप संचालक आशुतोष चावरे ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. जिसमें यह कहा गया कि एक डायरी के पन्ने और फर्जी शिकायत पत्र उनके नाम से मीडिया में सर्कुलेट किए जा रहे हैं. पुलिस ने जांच शुरू की. फिर पोस्ट ऑफिस से पुलिस ने पत्र भेजने वालों के पते की जानकारी हासिल की. सीसीटीवी फुटेज में पुलिस को कपिल देवदास का पता चला. उसके बाद पुलिस ने कपिल को गिरफ्त में लेकर पूछताछ की. इस तरह जीआर चंद्राकर की कारिस्तानी का पता चला.

यह भी पढ़ेंः छत्तीसगढ़ में किसानों से शत-प्रतिशत होगी धान की खरीद, भूपेश बघेल ने की मौसम को लेकर घोषणा

टीम गठित कर, 48 घंटे में किया खुलासा

एसएसपी ने इस मामले की जानकारी देते हुए बताया कि 'लोक शिक्षण संचनालय इंद्रावती भवन के उप संचालक आशुतोष चावरे ने राखी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराया था कि कुछ अज्ञात लोग उन्हें बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं. उनके नाम का फर्जी हस्ताक्षर कर विभिन्न अधिकारियों की शिकायत संबंधी पत्र और शिक्षा मंत्री के पीए की कथित डायरी की प्रति के साथ विभिन्न स्थानों से पिछले कुछ दिनों से भेजे जा रहे है. इस शिकायत पर राखी थाना में धारा 419, 469 के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया था. इसकी जांच के लिए एक टीम गठित की गई थी. जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ अतिरिक्त धारा 120 बी, 201, 420 भी जोड़ी गई.

Last Updated : Jan 15, 2022, 7:51 PM IST
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