रायपुर : हरछठ, कमरछठ और हलछठ का पावन पर्व 5 सितंबर भाद्रपद कृष्ण पक्ष तिथि को मनाया जाएगा. कमर छठ की पूजा भारतीय महिलाएं पूरी निष्ठा और श्रद्धा से करती हैं. इस दिन बलदाऊ के प्रिय हल की भी पूजा की जाती है. बैलों को सजाकर भी इनकी पूजा की जाती है. लोक संस्कृति के मुताबिक कलश की स्थापना करके छठी माता की कथा सुनी जाती है माता की महिमा और गरिमा को पूरे ध्यान से सुना जाता है. हरछठ माता की आरती भी की जाती है. इसके साथ ही बलभद्र के हल की पूजा की जाती है.
कैसे करें कमरछठ की पूजा ? : इस दिन भैंस के दूध से बने घी और दही का इस्तेमाल किया जाता है.इस दिन गाय से बने किसी भी पदार्थ का इस्तेमाल नहीं होता है. पसहर (लाल दिखने वाला) चावल को इस दिन बनाया जाता है. लाल चावल को सेहत की दृष्टि से बहुत शुभ माना जाता है. पुत्रवती महिलाएं पुत्र की लंबी उम्र के लिए कमरछठ माता को लाल चावल का भोग लगाकर परिवार को प्रसाद के रूप में खिलाती हैं. इसके साथ ही भैंस के दूध से बनी हुई दही का भी इस्तेमाल होता है. पसहर चावल और भैंस के दूध का दही मिलाकर खाने का रिवाज है.
सुहागिन महिलाएं श्रृंगार के बाद करती हैं पूजा : पुत्रवती महिलाएं सुहागिन रूप में श्रृंगार करके हरछठ माता की पूजा करती हैं. हरछठ माता को सुहाग की सभी चीजें जैसे सिंदूर, टिकली, चंदन, बंधन, रोली, कुमकुम, नए वस्त्र ,ऋतु फल, मिठाई अर्पित करती हैं. इस पर्व के माध्यम से सामाजिक सद्भाव प्रेम को बढ़ावा मिलता है.