रायपुर: छत्तीसगढ़ में आगले कुछ महीनों में ही विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. इस बीच छत्तीसगढ़ में सर्व आदिवासी समाज भी चुनावी मैदान में कूद गई है. सर्व आदिवासी समाज ने अपनी नई हमर राज पार्टी के लिए आवेदन किया था. जिसका भारतीय निर्वाचन आयोग में पंजीयन हो गया है. शनिवार को रायपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आदवासी समाज के पदाधिकारियों ने राजनीतिक दल "हमर राज पार्टी" की घोषणा की. जिसके बाद प्रदेश के राजनीति गलियारों में हलचल देखने को मिल रही है.
सर्व आदिवासी समाज ने बनाया "हमर राज पार्टी": सर्व आदिवासी समाज की पार्टी का भारत निर्वाचन आयोग में रजिस्ट्रेशन हो गया है. अब यह पार्टी हमर राज पार्टी के नाम से विधानसभा चुनाव में उतरेगी. इस चुनाव की तैयारी आदिवासी समाज काफी लंबे समय से कर रही थी. लेकिन रजिस्ट्रेशन नहीं होने की वजह से राजनीतिक दल के रूप में सामने नहीं आ रही थी. अब रजिस्ट्रेशन के बाद यह पार्टी चुनाव में नजर आएगी. हमर राज पार्टी के रजिस्ट्रेशन सहित पूरी जानकारी पूर्व केंद्रीय मंत्री और सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष अरविंद नेताम ने शनिवार को एक पत्रकार वार्ता के दौरान दी.
आदिवासी समाज का चुनावी फैक्टर: छत्तीसगढ़ में आदिवासी वोट बैंक और सीट की बात की जाए, तो यहां पर करीब 34 फीसदी आदिवासी मतदाता है. 2021 की जनगणना के अनुसार, राज्य में 30 प्रतिशत से अधिक आदिवासी जनसंख्या है. यानी 78 लाख से अधिक आदिवासी छत्तीसगढ़ में रहते है. इसलिए छत्तीसगढ़ को ट्राइबल स्टेट भी कहा जाता है. छत्तीसगढ़ की लगभग 41 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की आबादी 50 प्रतिशत से अधिक है. 29 सीट एसटी आरक्षित है, जिसमें से 27 सीट पर कांग्रेस विधायक हैं और महज 2 सीट पर बीजेपी का कब्जा है. छत्तीसगढ़ विधानसभा की 90 में से अभी कांग्रेस के 71 विधायक है.
"हमर राज पार्टी का भारतीय निर्वाचन आयोग में पंजीयन हो गया है. हमार राज पार्टी के अध्यक्ष अकबर राम कोर्राम को बनाया गया है. कार्यकारी अध्यक्ष बीएस रावते को बनाया गया है. पार्टी के महासचिव विनोद नागवंशी और महेश रावटे कोषाध्यक्ष रहेंगे. हमर राज पार्टी सर्व आदिवासी समाज के अंदर ही रहेगी. प्रदेश के 50 विधानसभा सीटों में हम अपने प्रत्याशी उतारेंगे." - अरविंद नेताम, अध्यक्ष, सर्व आदिवासी समाज
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50 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी: सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष अरविंद नेताम ने कहा, "समाज को मजबूरन राजनीति में उतरना पड़ा है. सामान्य सीटों पर भी वह पिछड़े और अन्य समाज से जुड़े लोगों को प्रत्याशी बनने पर विचार कर रही है." इस दौरान उन्होंने किसी भी राजनीतिक दल कांग्रेस या भाजपा के साथ जाने से साफ इनकार कर दिया.
"यदि कांग्रेस और बीजेपी से जिसे टिकट नहीं मिलती और वह हमारी पार्टी में आना चाहता है, तो उसे हम टिकट नहीं देंगे" - अरविंद नेताम, पूर्व अध्यक्ष, सर्व आदिवासी समाज
"भाजपा से ज्यादा कांग्रेस सरकार ने आदिवासियों को ठगा": हमर राज पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बीएस रावटे ने कहा, "23 सूत्री मांगों को लेकर 19 फरवरी 2018 को सर्व आदिवासी समाज ने रायपुर के रावाभाटा में आंदोलन किया था. उस दौरान जो वर्तमान में मंत्री है, उन्होंने उस मांग पर हस्ताक्षर किए थे. इसमें से एक भी बिंदु का पालन आज तक नहीं हुआ. हाल ही में हुए उपचुनाव में मंत्री गांव में नहीं घुस सके थे. इस चुनाव में भी कौन-कौन मंत्री गांव में जा पाएंगे या नहीं, यह मैं नहीं कह सकता."
"हम आदिवासियों को 15 साल भाजपा सरकार ने जितना नहीं ठगा, उससे ज्यादा 4 सालों में कांग्रेस सरकार ने ठगा है. लोगों में काफी गुस्सा है. उस गुस्से को लेकर प्रदर्शन करने का लाइसेंस हमें निर्वाचन आयोग ने दे दिया है." - बीएस रावटे, कार्यकारिणी अध्यक्ष, हमार राज पार्टी
नई पार्टी के गठन पर कांग्रेस का तंज: हमर राज पार्टी के बैनर तले सर्व आदिवासी समाज के चुनाव लड़ने को लेकर कांग्रेस पार्टी की प्रतिक्रिया सामने आई है. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा, विधानसभा या लोकसभा, कोई भी चुनाव हो. इस तरह से स्थानीय कई पार्टियां चुनावी मैदान में उतरती है, जनता के हितेषी होने के दावे करती है. लेकिन प्रदेश की जनता को पता ही कांग्रेस के अलावा कोई भी ऐसी पार्टी नहीं है, जो दावे करती है और उसे पूरा कर सके.
"इस विधानसभा चुनाव में भी भाजपा हो या अन्य राजनीतिक दल, सभी आएंगे. लेकिन प्रदेश की जनता का विश्वास कांग्रेस सरकार पर है. ऐसे में किसी भी राजनीतिक दल की प्रदेश के चुनाव में महज उपस्थिति ही दर्ज होगी. उन्हें तवज्जो नहीं मिलेगी." - धनंजय सिंह ठाकुर, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस
"कांग्रेस से धोखा मिलने पर चुनाव में उतरा आदिवासी समाज": भाजपा प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास का कहा, राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान कई सारे दल, सामाजिक संगठन, कर्मचारी संगठन भाग ले सकते हैं. इन दलों के चुनाव में शामिल होने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य सरकार के खिलाफ लोगों में कितना गुस्सा है. छत्तीसगढ़ का सर्व आदिवासी समाज एक अग्रणी समाज है. इसे भी अब चुनाव में उतरना पड़ रहा है. इसका मतलब साफ है कि राज्य सरकार ने आदिवासियों को धोखा दिया है." हालांकि इस बीच गौरी शंकर श्रीवास यह भी कहते नजर आये कि इस विधानसभा चुनाव में टक्कर कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही होगी.
आदिवासियों की नई पार्टी पर जानकारों की राय: राजनीतिक जानकारी अनिल तिवारी के अनुसार, "अरविंद नेताम एक समय बड़े आदिवासी नेता के रूप में जाने जाते रहे हैं. लेकिन उसके बाद उनकी निष्क्रियता देखने को मिली. यदि आज भी नेताम समझ रहे हैं कि समाज में उनकी पैठ है, तो वह धोखे में हैं. बहुत कम वोट जनता उन्हें देगी. बस्तर में नक्सल समस्या सहित कई ऐसे आदिवासी मुद्दे रहे, इसमें इन नेताओं को आगे आना था, लेकिन वह सामने नजर नहीं आए. टिकट मिलने के बाद ही दिखते थे, उसके बाद शांत हो जाते हैं. ऐसे में नेताम का प्रभाव पहले जैसा नहीं रहा है. यही वहज है कि हमर राज पार्टी का ज्यादा प्रभाव इस चुनाव में देखने को नहीं मिलेगा. प्रदेश में सिर्फ कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही चुनावी टक्कर होगी."
आदिवासी सीटों पर आ सकते हैं चौंकाने वाले नतीजे: वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा का कहना है, "आदिवासी समाज लगातार चुनाव की तैयारी कर रहा था और पिछले दो-तीन महीनों से उन्होंने चुनाव की रणनीति तेज कर दी थी. पहले सर्व आदिवासी समाज 29 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कर रही थी, लेकिन अब 50 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर रहे हैं. सर्व आदिवासी समाज आदिवासियों के लिए आरक्षित 29 सीटों सहित जिन सीटों पर आदिवासी वोटों की संख्या ज्यादा है, वहां पर भी चुनाव लड़ेगा. ऐसे में आदिवासी वोट हासिल करना कहीं ना कहीं भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए एक चुनौती हो सकती है."
"पूरे थर्ड फ्रंट की बात की जाए, उसमें जोगी कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, समाजवादी पार्टी है. यह इस चुनाव में काफी उभर कर सामने आ रहे हैं. यदि पुराने चुनाव रिकॉर्ड को देखा जाए, तो लगभग 15 से 16 प्रतिशत वोट को यह प्रभावित करते हैं." - उचित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार
वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा की मानें, तो अब सर्व आदिवासी समाज की खुद की पार्टी बन गई है. ऐसे में देखना होगा कि आदिवासी वोट किसे दल की ओर जाती है. प्रदेश में बदलते राजनीति हालातों बीच इस बार विधानसभा चुनाव में आदिवासी सीटों पर चौंकाने वाले परिणाम देखने को मिल सकते हैं.