रायपुर : आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक 2022 को पेश करेंगे. इसके साथ ही शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) संशोधन विधेयक को भी पेश किया जाना है. दिन भर की चर्चा के बाद इन विधेयकों को पारित कराने की तैयारी सत्ता पक्ष ने की है. राज्य कैबिनेट ने इन विधेयकों के प्रारूप को 24 नवम्बर को हुई बैठक में मंजूरी दी थी. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी सरकार की नीतियों को लेकर विधानसभा में चुनौती देगी.लेकिन कांग्रेस को भरोसा है कि वो दोनों ही विधेयकों को बिना किसी अड़चन के पारित करवा लेगी.
सीएम भूपेश ने क्यों बुलाया है सत्र : विशेष सत्र पर बात करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि '' भाजपा की गलत नीतियों के कारण सभी वर्गों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा था. अब इसके लिए विशेष सत्र बुलाया गया है. इसमें आदिवासियों के, अनुसूचित जाति के, OBC के और EWS सभी का बिल आएगा. विधेयक पारित होगा ही, सदन में उनकी पार्टी का तीन चौथाई बहुमत है. हम चाहेंगे कि इस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया जाए. अगर भाजपा भी समर्थन करेगी तो अच्छी बात है.''
विधेयक को लेकर कब हुई थी बैठक : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में 24 नवम्बर को हुई कैबिनेट की बैठक में आरक्षण का नया अनुपात तय हुआ है. सरकार अब आदिवासी वर्ग-ST को उनकी जनसंख्या के अनुपात में 32% आरक्षण देगी, अनुसूचित जाति-SC को 13% और सबसे बड़े जातीय समूह अन्य पिछड़ा वर्ग-OBC को 27% आरक्षण मिलेगा. वहीं सामान्य वर्ग के गरीबों को 4% आरक्षण देने का प्रस्ताव है.
क्यों कम हुआ आरक्षण : राज्य शासन ने वर्ष 2012 में आरक्षण नियमों में संशोधन करते हुए अनुसूचित जाति वर्ग का आरक्षण प्रतिशत चार प्रतिशत घटाते हुए 16 से 12 प्रतिशत कर दिया था. वहीं, अनुसूचित जनजाति का आरक्षण 20 से बढ़ाते हुए 32 प्रतिशत कर दिया. इसके साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को 14 प्रतिशत यथावत रखा गया. इस कानून को गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी. बाद में कई और याचिकाएं दाखिल हुईं. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 19 सितंबर को इस पर फैसला सुनाते हुए राज्य के लोक सेवा आरक्षण अधिनियम को रद्द कर दिया. इसकी वजह से अनुसूचित जनजाति का आरक्षण 32% से घटकर 20% पर आ गया है. वहीं अनुसूचित जाति का आरक्षण 12% से बढ़कर 16% और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14% हो गया है. शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण खत्म होने की स्थिति है. वहीं सरगुजा संभाग के जिलों में जिला कॉडर का आरक्षण भी खत्म हो गया है.
क्या था हाईकोर्ट का निर्णय : राज्य बनने के साथ ही 2001 से आदिवासियों को 32% आरक्षण मिलना था लेकिन नहीं मिला. केंद्र के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के द्वारा जारी 5 जुलाई 2005 के निर्देश के अनुसार जनसंख्या अनुरूप आदिवासी 32%, एससी 12% , और ओबीसी के लिए 6% आरक्षण जारी किया गया था. छत्तीसगढ़ शासन को निवेदन आवेदन और आंदोलनों के बाद आरक्षण अध्यादेश 2012 के अनुसार आदिवासियों को 32%, एससी 12% एवं ओबीसी को 14% दिए गए अध्यादेश पर हाईकोर्ट से मुहर लगाने की अपील की गयी. लेकिन छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सही तथ्य नहीं रखने से हाईकोर्ट ने आरक्षण अध्यादेश 2012 को अमान्य कर दिया.
अनुपूरक बजट भी पेश करेगी सरकार : इस विशेष सत्र में सरकार इस साल का दूसरा अनुपूरक बजट भी पेश करेगी. इसके प्रारूप को कैबिनेट की 24 नवम्बर वाली बैठक में ही मंजूरी दी थी. इस अनुपूरक में कुछ जरूरी सरकारी खर्चों के लिए धन की मांग की गई है. यह अनुपूरक बजट भी शुक्रवार को ही पेश होगा.