रायपुर: सरगुजा के परसा कोल ब्लॉक में जल्द ही उत्खनन शुरू हो सकता है. यह कोल ब्लॉक प्रस्तावित एलिफैंट रिजर्व लेमरू का क्षेत्र भी कवर करता है. ऐसे में एलिफैंट रिजर्व एरिया में खनन शुरू होने से इंसानों और हाथी के बीच टकराव के हालात भी बन सकते हैं.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से इसके लिए अडानी ग्रुप की कंपनी ओपनकास्ट माइनिंग को पर्यावरण स्वीकृति मिलने के बाद अब इसे वन मंत्रालय की अंतिम मंजूरी मिलने का इंतजार है. वहीं मामले में सियासत तेज हो गई है, जबकि कुछ लोग इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.
कोल ब्लॉक आवंटन की तैयारी पूरी
छत्तीसगढ़ में लगातार कम हो रहे जंगलों को लेकर पहले ही चिंता बनी हुई है, वहीं अब सरगुजा के परसा कोल ब्लॉक के आवंटन की तैयारी पूरी हो गई है. यहां माइनिंग शुरू होने से कई तरह के दुष्परिणाम भी देखने मिलेंगे. सरगुजा के परसा कोल ब्लॉक 2100 एकड़ में फैला हुआ है. यह राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित किया गया है, लेकिन खदान के विकास और ऑपरेशन का अधिकार अडानी ग्रुप के पास संरक्षित है, लेकिन इस इलाके में घने जंगल होने की वजह से यहां उत्खनन का लगातार विरोध हो रहा था.
NGT में चुनौती देने की तैयारी
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सरगुजा में परसा कोल ब्लॉक में उत्खनन के लिए अडानी ग्रुप की कंपनी ओपनकास्ट माइनिंग को पर्यावरण स्वीकृति दे दी है और अब वन मंत्रालय की अंतिम मंजूरी मिलने का इंतजार है. पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से पर्यावरण स्वीकृति मिलने के बाद स्थानीय और सामाजिक कार्यकर्ता सकते में हैं. यह पूरा क्षेत्र हाथी प्रभावित है और यहां जंगल काटे जाने से हाथी और इंसान के बीच टकराव के हालात बन सकते हैं. इसलिए भी सामाजिक कार्यकर्ता इसे ग्रीन टीब्यूनल (एनजीटी) में चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं.
खनन के लिए प्रतिबंधित इलाका
जानकारी के मुताबिक केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की फॉरेस्ट एडवायजरी कमेटी ने स्टेज वन का फारेस्ट क्लीयरेंस 15 जनवरी 2019 को जारी किया था. परसा कोल ब्लॉक के लिए केवल वन मंत्रालय की मंजूरी मिलना बाकी है. इस वन में क्षेत्र शेड्यूल वन के वन्यप्राणी हैं. यूपीए सरकार के कार्यकाल में यह इलाका खनन के लिए नो गो एरिया घोषित था.
842 हेक्टेयर में कटेंगे पेड़
पूरा इलाका बांगो बैराज के कैचमेंट में है, इससे जांजगीर में करीब 10 लाख हेक्टेयर में सिंचाई होती है. खनन के लिए यहां 842 हेक्टेयर इलाके में पेड़ कटेंगे. इस इलाके में जंगली भालू और हाथी भी रहते हैं और इस वजह से यहां रहने वाले हाथी, पशु-पक्षियों और पर्यावरण को बड़ा नुकसान हो सकता है.
अपना नजरिया साफ करे सरकार
मामले में चिंता तो वन मंत्री मो. अकबर सहित पूरी कांग्रेस को भी है, लेकिन उन्हें शिकायत केंद्र सरकार से है, वहीं प्रदेश की पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को इसमें सियासत दिखाई देती है. वे कहते हैं कि सरकार को इसमे अपना नजरिया साफ रखना चाहिए.