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परसा कोल ब्लॉक में उत्खनन शुरू करने की तैयारी, इस वजह से हुआ था विवाद

परसा कोल ब्लॉक में जल्द उत्खनन शुरू होने की उम्मीद है. इसके शुरू होने से इलाके में मौजूद पेड़ काटे जाएंगे, जिसकी वजह से जंगली जानवर इंसानी बस्ती में जा सकते हैं.

परसा कोल ब्लॉक में उत्खनन शुरू करने की तैयारी
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Published : Aug 14, 2019, 12:42 AM IST

रायपुर: सरगुजा के परसा कोल ब्लॉक में जल्द ही उत्खनन शुरू हो सकता है. यह कोल ब्लॉक प्रस्तावित एलिफैंट रिजर्व लेमरू का क्षेत्र भी कवर करता है. ऐसे में एलिफैंट रिजर्व एरिया में खनन शुरू होने से इंसानों और हाथी के बीच टकराव के हालात भी बन सकते हैं.

परसा कोल ब्लॉक में उत्खनन शुरू करने की तैयारी

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से इसके लिए अडानी ग्रुप की कंपनी ओपनकास्ट माइनिंग को पर्यावरण स्वीकृति मिलने के बाद अब इसे वन मंत्रालय की अंतिम मंजूरी मिलने का इंतजार है. वहीं मामले में सियासत तेज हो गई है, जबकि कुछ लोग इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.

कोल ब्लॉक आवंटन की तैयारी पूरी
छत्तीसगढ़ में लगातार कम हो रहे जंगलों को लेकर पहले ही चिंता बनी हुई है, वहीं अब सरगुजा के परसा कोल ब्लॉक के आवंटन की तैयारी पूरी हो गई है. यहां माइनिंग शुरू होने से कई तरह के दुष्परिणाम भी देखने मिलेंगे. सरगुजा के परसा कोल ब्लॉक 2100 एकड़ में फैला हुआ है. यह राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित किया गया है, लेकिन खदान के विकास और ऑपरेशन का अधिकार अडानी ग्रुप के पास संरक्षित है, लेकिन इस इलाके में घने जंगल होने की वजह से यहां उत्खनन का लगातार विरोध हो रहा था.

NGT में चुनौती देने की तैयारी
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सरगुजा में परसा कोल ब्लॉक में उत्खनन के लिए अडानी ग्रुप की कंपनी ओपनकास्ट माइनिंग को पर्यावरण स्वीकृति दे दी है और अब वन मंत्रालय की अंतिम मंजूरी मिलने का इंतजार है. पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से पर्यावरण स्वीकृति मिलने के बाद स्थानीय और सामाजिक कार्यकर्ता सकते में हैं. यह पूरा क्षेत्र हाथी प्रभावित है और यहां जंगल काटे जाने से हाथी और इंसान के बीच टकराव के हालात बन सकते हैं. इसलिए भी सामाजिक कार्यकर्ता इसे ग्रीन टीब्यूनल (एनजीटी) में चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं.

खनन के लिए प्रतिबंधित इलाका
जानकारी के मुताबिक केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की फॉरेस्ट एडवायजरी कमेटी ने स्टेज वन का फारेस्ट क्लीयरेंस 15 जनवरी 2019 को जारी किया था. परसा कोल ब्लॉक के लिए केवल वन मंत्रालय की मंजूरी मिलना बाकी है. इस वन में क्षेत्र शेड्यूल वन के वन्यप्राणी हैं. यूपीए सरकार के कार्यकाल में यह इलाका खनन के लिए नो गो एरिया घोषित था.

842 हेक्टेयर में कटेंगे पेड़
पूरा इलाका बांगो बैराज के कैचमेंट में है, इससे जांजगीर में करीब 10 लाख हेक्टेयर में सिंचाई होती है. खनन के लिए यहां 842 हेक्टेयर इलाके में पेड़ कटेंगे. इस इलाके में जंगली भालू और हाथी भी रहते हैं और इस वजह से यहां रहने वाले हाथी, पशु-पक्षियों और पर्यावरण को बड़ा नुकसान हो सकता है.

अपना नजरिया साफ करे सरकार
मामले में चिंता तो वन मंत्री मो. अकबर सहित पूरी कांग्रेस को भी है, लेकिन उन्हें शिकायत केंद्र सरकार से है, वहीं प्रदेश की पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को इसमें सियासत दिखाई देती है. वे कहते हैं कि सरकार को इसमे अपना नजरिया साफ रखना चाहिए.

रायपुर: सरगुजा के परसा कोल ब्लॉक में जल्द ही उत्खनन शुरू हो सकता है. यह कोल ब्लॉक प्रस्तावित एलिफैंट रिजर्व लेमरू का क्षेत्र भी कवर करता है. ऐसे में एलिफैंट रिजर्व एरिया में खनन शुरू होने से इंसानों और हाथी के बीच टकराव के हालात भी बन सकते हैं.

परसा कोल ब्लॉक में उत्खनन शुरू करने की तैयारी

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से इसके लिए अडानी ग्रुप की कंपनी ओपनकास्ट माइनिंग को पर्यावरण स्वीकृति मिलने के बाद अब इसे वन मंत्रालय की अंतिम मंजूरी मिलने का इंतजार है. वहीं मामले में सियासत तेज हो गई है, जबकि कुछ लोग इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.

कोल ब्लॉक आवंटन की तैयारी पूरी
छत्तीसगढ़ में लगातार कम हो रहे जंगलों को लेकर पहले ही चिंता बनी हुई है, वहीं अब सरगुजा के परसा कोल ब्लॉक के आवंटन की तैयारी पूरी हो गई है. यहां माइनिंग शुरू होने से कई तरह के दुष्परिणाम भी देखने मिलेंगे. सरगुजा के परसा कोल ब्लॉक 2100 एकड़ में फैला हुआ है. यह राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित किया गया है, लेकिन खदान के विकास और ऑपरेशन का अधिकार अडानी ग्रुप के पास संरक्षित है, लेकिन इस इलाके में घने जंगल होने की वजह से यहां उत्खनन का लगातार विरोध हो रहा था.

NGT में चुनौती देने की तैयारी
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सरगुजा में परसा कोल ब्लॉक में उत्खनन के लिए अडानी ग्रुप की कंपनी ओपनकास्ट माइनिंग को पर्यावरण स्वीकृति दे दी है और अब वन मंत्रालय की अंतिम मंजूरी मिलने का इंतजार है. पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से पर्यावरण स्वीकृति मिलने के बाद स्थानीय और सामाजिक कार्यकर्ता सकते में हैं. यह पूरा क्षेत्र हाथी प्रभावित है और यहां जंगल काटे जाने से हाथी और इंसान के बीच टकराव के हालात बन सकते हैं. इसलिए भी सामाजिक कार्यकर्ता इसे ग्रीन टीब्यूनल (एनजीटी) में चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं.

खनन के लिए प्रतिबंधित इलाका
जानकारी के मुताबिक केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की फॉरेस्ट एडवायजरी कमेटी ने स्टेज वन का फारेस्ट क्लीयरेंस 15 जनवरी 2019 को जारी किया था. परसा कोल ब्लॉक के लिए केवल वन मंत्रालय की मंजूरी मिलना बाकी है. इस वन में क्षेत्र शेड्यूल वन के वन्यप्राणी हैं. यूपीए सरकार के कार्यकाल में यह इलाका खनन के लिए नो गो एरिया घोषित था.

842 हेक्टेयर में कटेंगे पेड़
पूरा इलाका बांगो बैराज के कैचमेंट में है, इससे जांजगीर में करीब 10 लाख हेक्टेयर में सिंचाई होती है. खनन के लिए यहां 842 हेक्टेयर इलाके में पेड़ कटेंगे. इस इलाके में जंगली भालू और हाथी भी रहते हैं और इस वजह से यहां रहने वाले हाथी, पशु-पक्षियों और पर्यावरण को बड़ा नुकसान हो सकता है.

अपना नजरिया साफ करे सरकार
मामले में चिंता तो वन मंत्री मो. अकबर सहित पूरी कांग्रेस को भी है, लेकिन उन्हें शिकायत केंद्र सरकार से है, वहीं प्रदेश की पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को इसमें सियासत दिखाई देती है. वे कहते हैं कि सरकार को इसमे अपना नजरिया साफ रखना चाहिए.

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छत्तीसगढ़ के सरगुजा में परसा कॉल ब्लॉक में अब उत्खनन शुरु हो सकेगा। यह प्रस्तावित एलिफेंट रिज़र्व लेमरू का क्षेत्र भी कवर करता है। ऐसे में एलिफेंट रिजल्ट एरिया में खनन शुरू होने से मानव हाथी द्वंद के हालात भी बन रहे है। वही केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इसके लिए अडानी की कंपनी ओपनकास्ट माइनिंग को पर्यावरण स्वीकृति देने के बाद अब बस वन मंत्रालय की अंतिम मंजूरी मिलने का इंतजार है। मामले में सियासत तेज़ हो गई है।जबकि कुछ कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी में है।Body:

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छत्तीसगढ़ में लगातार कम हो रहे जंगलों को लेकर पहले से ही चिंता बनी हुई है वही अब सरगुजा के परसा कोल ब्लॉक के आबंटन को तैयारी पूरी हो गई है। यहां माइनिंग शुरू होने से कई तरह के दुष्परिणाम भी देखने मिलेंगे। सरगुजा का परसा कोल ब्लॉक 2100 एकड़ में फैला हुआ है। यह राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित किया गया है। लेकिन खदान के विकास और ऑपरेशन का अधिकार अड़ानी के पास संरक्षित है। लेकिन इस इलाके में सघन वन हैं, इसलिए यहां उत्खनन का लगातार विरोध हो रहा था। सरगुजा में परसा कॉल ब्लॉक में अब उत्खनन शुरु हो सकेगा। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इसके लिए अडानी की कंपनी ओपनकास्ट माइनिंग को पर्यावरण स्वीकृति दे दी है। बस वन मंत्रालय की अंतिम मंजूरी मिलने का इंतजार है। पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से पर्यावरण स्वीकृति मिलने के बाद स्थानीय लोग औऱ सामाजिक कार्यकर्ता सकते में हैं। यह पूरा क्षेत्र हाथी प्रभावित हैै। यहां जंगल काटे जाने से हाथी
मानवों के बीच द्वंद की स्थिति बढ़ेगी। इसलिये भी सामाजिक कार्यकर्ता इसे ग्रीन टीब्यूनल (एनजीटी) में चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं।

बाईट-आलोक शुक्ला, संयोजक, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन

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प्राप्त जानकारी के मुताबिक केंद्रीय पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की फॉरेस्ट एडवायजरी कमेटी ने स्टेज वन का फारेस्ट क्लीयरेंस 15 जनवरी 2019 को जारी किया था। परसा ब्लॉक के लिए केवल वन मंत्रालय की मंजूरी मिलना बाकी है। इस वन में क्षेत्र शेड्यूल वन के वन्यप्राणी हैं। यूपीए सरकार के कार्यकाल में ये इलाका खनन के लिए नो गो एरिया घोषित था। पूरा इलाका बांगो बैराज का कैचमेंट है, इससे जांजगीर में करीब 10 लाख हैक्टेयर में सिंचाई होती है। खनन के लिए यहां 842 हेक्टेयर इलाके में पेड़ कटेंगे। इस वन में जंगली भालू और हाथी रहते हैं। इससे हाथियों, पशु-पक्षियों और पर्यावरण को बड़ा नुकसान पहुंचने की आशंका है। बहरहाल मामले में चिंता तो वह मंत्री मो अकबर और पूरी कांग्रेस को भी है,लेकिन शिकायत केंद्र सरकार से है। वही पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को इसमें सियासत दिखाई देती है। वे कहते है कि सरकार को इसमे अपना नजरिया साफ रखना चाहिए।


बाईट- मो.अकबर ,वन मंत्री,छत्तीसगढ़
बाईट- शैलेश नितिन त्रिवेदी,कांग्रेस प्रवक्ता,छग
बाईट-बृजमोहन अग्रवाल, भाजपा विद्यायक,पूर्व मंत्री


Conclusion:Fvo

कही ना कही छत्तीसगढ़ में लगातार हो रही जंगलो की कताई का दुष्परिणाम देखने को मिल ही रहा है। एलिफेंट कॉरिडोर में माइनिंग होने से पहले ही हाथी रायपुर और आरंग तक पहुँच रहे है। ऐसे में अब आने वाले समय मे हालात और बिगड़ सकते है।

क्लोजिंग PTC

मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत, रायपुर
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