रायपुर: केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को लेकर लंबे समय से किसान आंदोलनरत हैं. सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कानूनों में आ रही परेशानियों के लिए एक समिति का गठन कर दिया है. समिति अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक किसानों और सरकार से फीडबैक लेकर तैयार करेगी. अब समिति को लेकर छत्तीसगढ़ में सियासी जंग जारी है. किसान कानून को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं. छत्तीसगढ़ कांग्रेसस ने इस मसले पर राजभवन तक रैली निकाली. कांग्रेस कानूनों को वापस करने की मांग कर रही है.
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किसानों को राहत के नाम पर बने कानून पर बवाल
किसानों को राहत देने के नाम पर केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून बनाए हैं. किसान कृषि कानून के आने के बाद से 50 दिनों से किसान आंदोलन कर विरोध जता रहे हैं. केंद्र सरकार ने किसानों के दिल्ली प्रवेश के दौरान रोक भी लगाया. यही नहीं किसानों पर ठंड में पानी की बौछारें की गई. दिल्ली आने से रोका गया. बावजूद इसके देशभर के किसान आंदोलन पर अडिग हैं.
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केंद्र सरकार किसानों के साथ धोखा कर रही: मोहन मरकाम
केंद्र सरकार और किसानों की वार्ताएं भी हुई है. बावजूद इसके अबतक कोई हल नहीं निकल पाया है. किसान सुप्रीम कोर्ट की कमेटी को लेकर नाराजगी जता रहे हैं.कांग्रेस केंद्र सरकार से इस कानून को वापस लेने की मांग कर रही है. तो बीजेपी इस कानून के फायदे गिना रही है.
सुप्रीम कोर्ट की कमेटी में साफ-सुथरे चेहरे को लाया जाए: इकबाल अहमद रिजवी
ETV भारत ने कृषि कानून के मसले पर विशेषज्ञों से बातचीत की. वरिष्ठ अधिवक्ता इकबाल अहमद रिजवी ने कहा कि देश की सर्वोच्च न्यायालय की ओर से हस्तक्षेप की गई है. इसे सियासी रंग देना सही नहीं है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट की कमेटी को लेकर कई तरह के मतभेद सार्वजनिक हो चुके हैं. छत्तीसगढ़ में कमेटी को लेकर कृषि कानून पर सियासी घटनाक्रम तेज हो गया है. एक ओर किसान कृषि कानून को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता इकबाल अहमद रिजवी ने कहा कि विवादित लोगों से हटकर साफ-सुथरे चेहरे को कमेटी में शामिल किया जाए. ताकि सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाए गए कमेटी पर किसानों का भरोसा बढ़े.
राज्य सरकारों को अपने स्तर पर किसानों को राहत देने की जरूरत
वरिष्ठ पत्रकार शशांक खरे ने कहा माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप किया है. सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय सर्वमान्य माना जाएगा. केंद्र सरकार जिस तरह से कृषि कानूनों को लेकर अडिग है. ऐसे में लगता नहीं है कि वह कानून को वापस लेने के पक्ष में है. फिलहाल किस तरह की राहत होगी यह मृग मरीचिका जैसे ही है. किसानों की तमाम परेशानियों के लिए केंद्र और राज्य सरकार को साथ आना पड़ेगा. फिलहाल किसानों को राज्य सरकार अपने स्तर पर राहत दे.
किसान अपनी मांग पर अड़े
छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के समन्वयक डॉ संकेत ठाकुर ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि किसान अभी भी आंदोलन कर रहे हैं. इससे साफ है कि किसान केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का विरोध जारी है. किसानों की 1 सूत्रीय मांग है. तीनों कानून को वापस लिया जाए. सुप्रीम कोर्ट की कमेटी को लेकर भी नाराजगी जताई. डॉ संकेत ठाकुर ने कहा कि केंद्र में बीजेपी की सरकार है. ऐसे में वह इस समिति को लेकर संदेह जता रहे हैं.
न केंद्र, न किसान हटने के मूड में
दिल्ली में लंबे समय से किसानों का आंदोलन चल रहा है. आंदोलन को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट की कमेटी भी विवादों में आ गई है. कमेटी के एक सदस्य ने खुद अपने कमेटी से हटने का निर्णय सुना दिया है. इस पर केंद्र से लेकर राज्य तक सियासी जंग तेज हो चुकी है. छत्तीसगढ़ सरकार ने भी केंद्र सरकार के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन करने का इरादा साफ कर दिया हैं. किसान भी अब पीछे हटने के मूड में नहीं दिख रहे हैं. ऐसे में किसानों को राहत देना आसान नहीं होगा. अब देखने वाली बात है कि कृषि कानून का क्या हल निकल पाता है.