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रायपुर के राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान के नये परिसर का पीएम ने किया उद्घाटन, किसान हित पर जोर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज सुबह 11 बजे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये रायपुर के बरौंडा स्थित राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान के नये परिसर का उद्घाटन कर इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया.

PM Modi inaugurates new campus of National Institute of Biological Stress Management, Raipur
रायपुर के राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान के नये परिसर का पीएम मोदी ने किया उद्घाटन
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Published : Sep 28, 2021, 9:17 AM IST

Updated : Sep 28, 2021, 1:18 PM IST

रायपुर : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने आज सुबह 11 बजे वीडियो कांफ्रेंसिंग (Video Conferencing) के जरिये रायपुर के बरौंडा स्थित राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान (National Institute of Biological Stress Management) के नये परिसर का उद्घाटन किया. इसके साथ ही संस्थान के नये परिसर को उन्होंने राष्ट्र को समर्पित कर दिया. प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम में 35 फसलों की विशेष गुणों वाली किस्मों का राष्ट्र को समर्पण किया. साथ ही चयनित कृषि विश्वविद्यालयों (Agricultural University) को स्वच्छ हरित परिसर पुरस्कार भी प्रदान किया.

वीडियो कांफ्रेंसिंग में मुख्य रूप से ये रहे मौजूद

इस समारोह में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी रायपुर स्थित अपने निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से शामिल हुए. जबकि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और नेता प्रतिपक्ष धर्मलाल कौशिक समेत कई नेता वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से इस कार्यक्रम में जुड़े.

कृषि और विज्ञान के तालमेल का निरंतर बढ़ते रहना जरूरी

वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान किसानों से संवाद करते हुए पीएम मोदी ने कहा, कृषि और विज्ञान के तालमेल का निरंतर बढ़ते रहना 21वीं सदी के भारत के लिए बहुत जरूरी है. आज इसी से जुड़ा एक और अहम कदम उठाया जा रहा है. देश के आधुनिक सोच वाले किसानों को समर्पित किया जा रहा है. उन्होंने कहा, छोटे-छोटे किसानों की जिंदगी में बदलाव की आशा का साथ ये सौगात में आज कोटि-कोटि किसानों के चरणों में समर्पित कर रहा हूं.

जेते गहिरा जोतै खेत, परे बीज फल तेतै देत...

पीएम मोदी ने कहा, बीते 6-7 सालों में साइंस और टेक्नॉलॉजी को खेती से जुड़ी चुनौतियों के समाधान के लिए प्राथमिकता के आधार पर उपयोग किया जा रहा है. विशेष रूप से बदलते हुए मौसम में, नई परिस्थितियों के अनुकूल, अधिक पोषण युक्त बीजों पर हमारा फोकस बहुत अधिक है. उन्होंने कहा, हमारे यहां उत्तर भारत में घाघ और बटुरी की कृषि संबंधी कहावतें बहुत लोकप्रिय रही हैं. घाघ ने आज से कई शताब्दि पहले कहा था- जेते गहिरा जोतै खेत, परे बीज फल तेतै देत. यानि खेत की जुताई जितनी गहरी की जाती है, बीज बोने पर उपज भी उतनी ही अधिक होती है.

कृषि और किसानों की आय बढ़ाने में होगा सहायक

आज 35 और नई फसलों की वैरायटी देश के किसानों के चरणों में समर्पित की जा रही हैं. ये बीज जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से खेती की सुरक्षा करने और कुपोषण मुक्त भारत के अभियान में बहुत सहायक होने वाला हमारे वैज्ञानिकों की खोज का परिणाम है. छत्तीसगढ़ के National Institute of Biotic Stress Management के तौर पर देश को वैज्ञानिक काम के लिए नया संस्थान मिला है. ये संस्थान मौसम और अन्य परिस्थितियों के बदलाव से पैदा हुई चुनौतियों से निपटने में देश के प्रयासों को वैज्ञानिक सहायता देगा. यहां से जो वैज्ञानिक तैयार होंगे, जो समाधान तैयार होंगे, वो देश की कृषि और किसानों की आय बढ़ाने में सहायक होंगे.

अलग-अलग परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए तैयार हुए बीज

पिछले वर्ष ही कोरोना से लड़ाई के बीच में हमने देखा है कि कैसे टिड्डी दल ने भी अनेक राज्यों में बड़ा हमला कर दिया था. भारत ने बहुत प्रयास करके तब इस हमले को रोका था, किसानों का ज्यादा नुकसान होने से बचाया था. पीएम मोदी ने कहा, नई फसलों की वेराइटी मौसम की कई तरह की चुनौतियों से निपटने में सक्षम तो है ही, इनमें पौष्टिक तत्व भी ज्यादा है. इनमें से कुछ वेरायटी कम पानी वाले क्षेत्रों के लिए औ कुछ फसल गंभीर रोगों से सुरक्षित है. कुछ जल्दी तैयार हो जाने वाली है, कुछ खारे पानी में भी हो सकती है. यानि देश की अलग-अलग परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इन्हें तैयार किया गया है.

किसानों को दिये गये 11 करोड़ सॉयल हेल्थ कार्ड

उन्होंने कहा, किसानों को पानी की सुरक्षा देने के लिए, हमने सिंचाई परियोजनाएं शुरू कीं, दशकों से लटकी करीब-करीब 100 सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने का अभियान चलाया. फसलों को रोगों से बचाने के लिए, ज्यादा उपज के लिए किसानों को नई वैरायटी के बीज दिए गए. खेती-किसानी को जब संरक्षण मिलता है, सुरक्षा कवच मिलता है, तो उसका और तेजी से विकास होता है. किसानों की जमीन को सुरक्षा देने के लिए, उन्हें अलग-अलग चरणों में 11 करोड़ सॉयल हेल्थ कार्ड दिए गए हैं.

2 करोड़ से ज्यादा किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड दिये

किसानों को टेक्नोलॉजी से जोड़ने के लिए हमने उन्हें बैंकों से मदद को और आसान बनाया गया है. आज किसानों को और बेहतर तरीके से मौसम की जानकारी मिल रही है. हाल ही में अभियान चलाकर 2 करोड़ से ज्यादा किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड दिए गए हैं. पीएम फसल बीमा योजना से किसानों को लाभ हो और सुरक्षा मिले, इसकी चिंता की गई. इसकी वजह से किसानों को करीब 1 लाख करोड़ रुपये की क्लेम राशि का भुगतान किया गया है.

किसान सम्मान निधि से पूरी की किसानों की जरूरतें

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, कोविड के दौरान गेहूं खरीद केंद्रों की संख्या तीन गुना तक बढ़ाई गई है. साथ ही दलहन-तिलहन खरीद केंद्रों की संख्या भी तीन गुना बढ़ाई गई है. किसानों की छोटी से छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए किसान सम्मान निधि के तहत 11 करोड़ से अधिक किसान को करीब-करीब 1.5 लाख करोड़ से ज्यादा रुपये उनके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किए गए हैं.

छोटे किसानों पर लगाना है पूरा ध्यान

जलवायु परिवर्तन के कारण जो नए प्रकार के कीट, नई बीमारियां, महामारियां आ रही हैं, इससे इंसान और पशुधन के स्वास्थ्य पर भी बहुत बड़ा संकट आ रहा है और फसलें भी प्रभावित हो रही हैं. इन पहलुओं पर गहन रिसर्च निरंतर जरूरी है. जब साइंस, सरकार और सोसायटी मिलकर काम करेंगे तो उसके नतीजे और बेहतर आएंगे. किसानों और वैज्ञानिकों का ऐसा गठजोड़, नई चुनौतियों से निपटने में देश की ताकत बढ़ाएगा. किसान को सिर्फ फसल आधारित सिस्टम से बाहर निकालकर उन्हें वैल्यू एडिशन और खेती के अन्य विकल्पों के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है. छोटे किसानों को इसकी बहुत ज्यादा जरूरत है, इसलिए हमें पूरा ध्यान छोटे किसानों पर लगाना ही है.

रायपुर : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने आज सुबह 11 बजे वीडियो कांफ्रेंसिंग (Video Conferencing) के जरिये रायपुर के बरौंडा स्थित राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान (National Institute of Biological Stress Management) के नये परिसर का उद्घाटन किया. इसके साथ ही संस्थान के नये परिसर को उन्होंने राष्ट्र को समर्पित कर दिया. प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम में 35 फसलों की विशेष गुणों वाली किस्मों का राष्ट्र को समर्पण किया. साथ ही चयनित कृषि विश्वविद्यालयों (Agricultural University) को स्वच्छ हरित परिसर पुरस्कार भी प्रदान किया.

वीडियो कांफ्रेंसिंग में मुख्य रूप से ये रहे मौजूद

इस समारोह में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी रायपुर स्थित अपने निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से शामिल हुए. जबकि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और नेता प्रतिपक्ष धर्मलाल कौशिक समेत कई नेता वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से इस कार्यक्रम में जुड़े.

कृषि और विज्ञान के तालमेल का निरंतर बढ़ते रहना जरूरी

वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान किसानों से संवाद करते हुए पीएम मोदी ने कहा, कृषि और विज्ञान के तालमेल का निरंतर बढ़ते रहना 21वीं सदी के भारत के लिए बहुत जरूरी है. आज इसी से जुड़ा एक और अहम कदम उठाया जा रहा है. देश के आधुनिक सोच वाले किसानों को समर्पित किया जा रहा है. उन्होंने कहा, छोटे-छोटे किसानों की जिंदगी में बदलाव की आशा का साथ ये सौगात में आज कोटि-कोटि किसानों के चरणों में समर्पित कर रहा हूं.

जेते गहिरा जोतै खेत, परे बीज फल तेतै देत...

पीएम मोदी ने कहा, बीते 6-7 सालों में साइंस और टेक्नॉलॉजी को खेती से जुड़ी चुनौतियों के समाधान के लिए प्राथमिकता के आधार पर उपयोग किया जा रहा है. विशेष रूप से बदलते हुए मौसम में, नई परिस्थितियों के अनुकूल, अधिक पोषण युक्त बीजों पर हमारा फोकस बहुत अधिक है. उन्होंने कहा, हमारे यहां उत्तर भारत में घाघ और बटुरी की कृषि संबंधी कहावतें बहुत लोकप्रिय रही हैं. घाघ ने आज से कई शताब्दि पहले कहा था- जेते गहिरा जोतै खेत, परे बीज फल तेतै देत. यानि खेत की जुताई जितनी गहरी की जाती है, बीज बोने पर उपज भी उतनी ही अधिक होती है.

कृषि और किसानों की आय बढ़ाने में होगा सहायक

आज 35 और नई फसलों की वैरायटी देश के किसानों के चरणों में समर्पित की जा रही हैं. ये बीज जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से खेती की सुरक्षा करने और कुपोषण मुक्त भारत के अभियान में बहुत सहायक होने वाला हमारे वैज्ञानिकों की खोज का परिणाम है. छत्तीसगढ़ के National Institute of Biotic Stress Management के तौर पर देश को वैज्ञानिक काम के लिए नया संस्थान मिला है. ये संस्थान मौसम और अन्य परिस्थितियों के बदलाव से पैदा हुई चुनौतियों से निपटने में देश के प्रयासों को वैज्ञानिक सहायता देगा. यहां से जो वैज्ञानिक तैयार होंगे, जो समाधान तैयार होंगे, वो देश की कृषि और किसानों की आय बढ़ाने में सहायक होंगे.

अलग-अलग परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए तैयार हुए बीज

पिछले वर्ष ही कोरोना से लड़ाई के बीच में हमने देखा है कि कैसे टिड्डी दल ने भी अनेक राज्यों में बड़ा हमला कर दिया था. भारत ने बहुत प्रयास करके तब इस हमले को रोका था, किसानों का ज्यादा नुकसान होने से बचाया था. पीएम मोदी ने कहा, नई फसलों की वेराइटी मौसम की कई तरह की चुनौतियों से निपटने में सक्षम तो है ही, इनमें पौष्टिक तत्व भी ज्यादा है. इनमें से कुछ वेरायटी कम पानी वाले क्षेत्रों के लिए औ कुछ फसल गंभीर रोगों से सुरक्षित है. कुछ जल्दी तैयार हो जाने वाली है, कुछ खारे पानी में भी हो सकती है. यानि देश की अलग-अलग परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इन्हें तैयार किया गया है.

किसानों को दिये गये 11 करोड़ सॉयल हेल्थ कार्ड

उन्होंने कहा, किसानों को पानी की सुरक्षा देने के लिए, हमने सिंचाई परियोजनाएं शुरू कीं, दशकों से लटकी करीब-करीब 100 सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने का अभियान चलाया. फसलों को रोगों से बचाने के लिए, ज्यादा उपज के लिए किसानों को नई वैरायटी के बीज दिए गए. खेती-किसानी को जब संरक्षण मिलता है, सुरक्षा कवच मिलता है, तो उसका और तेजी से विकास होता है. किसानों की जमीन को सुरक्षा देने के लिए, उन्हें अलग-अलग चरणों में 11 करोड़ सॉयल हेल्थ कार्ड दिए गए हैं.

2 करोड़ से ज्यादा किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड दिये

किसानों को टेक्नोलॉजी से जोड़ने के लिए हमने उन्हें बैंकों से मदद को और आसान बनाया गया है. आज किसानों को और बेहतर तरीके से मौसम की जानकारी मिल रही है. हाल ही में अभियान चलाकर 2 करोड़ से ज्यादा किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड दिए गए हैं. पीएम फसल बीमा योजना से किसानों को लाभ हो और सुरक्षा मिले, इसकी चिंता की गई. इसकी वजह से किसानों को करीब 1 लाख करोड़ रुपये की क्लेम राशि का भुगतान किया गया है.

किसान सम्मान निधि से पूरी की किसानों की जरूरतें

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, कोविड के दौरान गेहूं खरीद केंद्रों की संख्या तीन गुना तक बढ़ाई गई है. साथ ही दलहन-तिलहन खरीद केंद्रों की संख्या भी तीन गुना बढ़ाई गई है. किसानों की छोटी से छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए किसान सम्मान निधि के तहत 11 करोड़ से अधिक किसान को करीब-करीब 1.5 लाख करोड़ से ज्यादा रुपये उनके बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किए गए हैं.

छोटे किसानों पर लगाना है पूरा ध्यान

जलवायु परिवर्तन के कारण जो नए प्रकार के कीट, नई बीमारियां, महामारियां आ रही हैं, इससे इंसान और पशुधन के स्वास्थ्य पर भी बहुत बड़ा संकट आ रहा है और फसलें भी प्रभावित हो रही हैं. इन पहलुओं पर गहन रिसर्च निरंतर जरूरी है. जब साइंस, सरकार और सोसायटी मिलकर काम करेंगे तो उसके नतीजे और बेहतर आएंगे. किसानों और वैज्ञानिकों का ऐसा गठजोड़, नई चुनौतियों से निपटने में देश की ताकत बढ़ाएगा. किसान को सिर्फ फसल आधारित सिस्टम से बाहर निकालकर उन्हें वैल्यू एडिशन और खेती के अन्य विकल्पों के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है. छोटे किसानों को इसकी बहुत ज्यादा जरूरत है, इसलिए हमें पूरा ध्यान छोटे किसानों पर लगाना ही है.

Last Updated : Sep 28, 2021, 1:18 PM IST
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