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Physio Akanksha Satyavanshi: टीम इंडिया की फिजियोथेरेपिस्ट आकांक्षा सत्यवंशी ने इस तरह लिखी जीत की पटकथा - टीम इंडिया

किसी भी खेल में ग्राउंड पर जितना महत्व खिलाड़ियों का होता है, उतना ही अहम रोल टीम को खेल के लिए तैयार करने वालों का होता है. टीम की कामयाबी में इनकी भूमिका खिलाड़ियों जितनी ही अहम होती है. कुछ इसी तरह के किरदार को जिया है छत्तीसगढ़ की बेटी आकांक्षा सत्यवंशी ने, जो आईसीसी वूमेंस अंडर 19 टी-20 वर्ल्ड कप 2023 जीतने वाली टीम का हिस्सा रहीं. बतौर फिजियोथेरेपिस्ट आकांक्षा ने खिलाड़ियों की फिटनेस को लेकर अपना शत प्रतिशत दिया. fitness of players

Team India's physiotherapist Akanksha Satyavanshi
टीम इंडिया की फिजियोथेरेपिस्ट आकांक्षा सत्यवंशी
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Published : Feb 4, 2023, 5:05 PM IST

टीम इंडिया की फिजियोथेरेपिस्ट आकांक्षा सत्यवंशी से खास बातचीत

रायपुर: आईसीसी वूमेंस अंडर 19 टी-20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया ने ऐतिहासिक जीत हासिल कर दुनिया को चौंका दिया. छत्तीसगढ़ की बेटी आकांक्षा सत्यवंशी ने बतौर फिजियोथेरेपिस्ट टीम इंडिया के खिलाड़ियों को न सिर्फ बेहतरीन ट्रेनिंग दी, बल्कि एक्सरसाइज के जरिए कुछ इस तरह तैयार किया, जिसने बरसों के खिताबी सूखे का इंतजार खत्म किया. ईटीवी भारत ने अंडर 19 इंडिया टीम की फिजियोथेरेपिस्ट आकांक्षा सत्यवंशी से खास बातचीत की.


सवाल- अंडर-19 वूमेन क्रिकेट टीम ने वर्ल्ड कप जीता है, उसका हिस्सा होकर कैसा महसूस कर रही हैं?
जवाब- मैं बहुत अच्छा महसूस कर रही हूं. मुझे गर्व महसूस हो रहा है कि मैं एक ऐसी टीम का हिस्सा बनी, जिसने विश्व में अपना परचम लहराया है.


सवाल- खिलाड़ियों को जब इंजरी आती है तो उन पर आपने किस तरह से मेहनत की?
जवाब- मैं टीम की अकेली मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव थी. उनकी फिटनेस का पूरा ध्यान रखना, उनकी स्लीपिंग मेंटेन करना, उन्हें किस दिन मेंसेस आए हैं, हम हर दिन यह सारी चीजें ट्रैक करते थे. खिलाड़ियों ने ठीक से खाना खाया है या नहीं, हर चीज का ख्याल रखते हुए उनकी इंजरी को ठीक करने का काम भी किया करते थे. कुछ इंजरी ऐसी होती है जो ग्राउंड में ठीक नहीं की जा सकती, जिन्हें एक्सरसाइज कराते हुए प्रिवेंट किया जा सकता है. इस काम में हमारा बहुत रोल रहता है. मुझे बहुत अच्छा लगता है कि मैं अपनी टीम की हेल्प कर पाई.

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सवाल- अंडर-19 प्लेयर के अंदर किस तरह के डाउट होते थे और आपने कैसे चीजों को संभाला?
जवाब- अंडर-19 के कई बच्चों को जिम की आदत नहीं होती और उन्हें ट्रेनिंग की ज्यादा जरूरत नहीं होती तो वह बहुत डरते थे. टीम के पीछे पड़कर सभी लोगों ने उनके डर को हटाने का काम किया. हम लंबे टूर पर गए. इंडिया में हमने 3 सीरीज खेली थी. फिर साउथ अफ्रीका में एक सीरीज खेली और उसके बाद वर्ल्ड कप साउथ अफ्रीका में टीम ने 40 दिन बिताए हैं. 40 दिन बिना ट्रेनिंग के बच्चे बहुत इंजर्ड हो जाते, उन्हें समझाना और यह अहमियत सिखाना थोड़ा चैलेंजिंग था. धीरे-धीरे बच्चे भी समझने लगे कि ट्रेनिंग की अहमियत क्या है.


सवाल- इंडियन टीम ने जीत हासिल की तो वह कैसा क्षण था?
जवाब- जब हमारी टीम जीती तब बहुत ही अद्भुत महसूस हुआ. हम सभी बहुत इमोशनल हो गए थे. हमने एक सपना देखा था. वह सपना पूरा हुआ. जब वर्ल्ड कप हमारे हाथ में आया तो उसे पकड़कर सभी बहुत खुश थे.

सवाल- आपने क्या पढ़ाई की है?
जवाब- मैंने रायपुर से बैचलर आफ फिजियोथेरेपी की पढ़ाई की. उसके तुरंत बाद मैंने मास्टर्स की पढ़ाई की. 1 साल मैंने रायपुर के 3 हॉस्पिटल से जुड़कर काम किया. 6 महीने के अंदर ही क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से मुझे नेशनल टीम के लिए सेलेक्ट किया गया. अंडर-19 टीमों में चल रही हूं. इससे पहले 2019 से लेकर 2022 तक मैं असिस्टेंट फिजियोथेरेपिस्ट के रूप में सीनियर वूमंस टीम के साथ थी. पिछले साल जब वर्ल्ड कप हुआ था, उस दौरान भी मैं टीम का हिस्सा थी.

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सवाल- शुरुआत से ही आप इस फील्ड में आना चाहती थीं या कोई दूसरी फील्ड आपने चुनी थी?
जवाब- मुझे एक बहुत अच्छा फिजियोथेरेपिस्ट बनना था, लेकिन मेरी किस्मत में एक स्पोर्ट्स फिजियोथेरेपिस्ट बनना लिखा था और स्पोर्ट्स फिजियोथैरेपिस्ट के रूप में मैं काम कर रही हूं. इस फील्ड में बहुत चैलेंज होता है. ग्राउंड में कम समय मिलता है. कम समय में ही हमें ट्रीटमेंट करना होता है. एक्साइटमेंट होता है कि कम समय में 1 प्लेयर को कैसे राहत दे सकते हैं.



सवाल- जो इस फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं, उन्हें क्या संदेश देना चाहेंगी?
जवाब- स्पोर्ट्स बहुत तेजी से बढ़ रहा है. लोगों ने इमेजिन नहीं किया था कि इतना जल्दी स्पोर्ट्स बढ़ेगा और महिलाओं का इंवॉल्वमेंट स्पोर्ट्स में इतना बढ़ जाएगा. हर स्पोर्ट्स में अवेयरनेस बढ़ रही है. मुझे लगता है कि हर फील्ड में एक्सपर्ट सर्विस की जरूरत होती है. स्पोर्ट्स फिजियोथेरेपिस्ट में फ्यूचर बहुत ब्राइट है.


सवाल- आगे आप और कहां काम करना चाहेंगी?
जवाब- अगर मुझे इंडिया असाइनमेंट मिलेगा तो मैं उसमें अच्छा करना चाहती हूं. आने वाले दिनों में वूमंस आईपीएल भी आ रहा है तो मैं कोशिश करूंगी कि मैं उसमें भी अच्छा इंवॉल्वमेंट दे सकूं और टीम की हेल्प कर सकूं.

टीम इंडिया की फिजियोथेरेपिस्ट आकांक्षा सत्यवंशी से खास बातचीत

रायपुर: आईसीसी वूमेंस अंडर 19 टी-20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया ने ऐतिहासिक जीत हासिल कर दुनिया को चौंका दिया. छत्तीसगढ़ की बेटी आकांक्षा सत्यवंशी ने बतौर फिजियोथेरेपिस्ट टीम इंडिया के खिलाड़ियों को न सिर्फ बेहतरीन ट्रेनिंग दी, बल्कि एक्सरसाइज के जरिए कुछ इस तरह तैयार किया, जिसने बरसों के खिताबी सूखे का इंतजार खत्म किया. ईटीवी भारत ने अंडर 19 इंडिया टीम की फिजियोथेरेपिस्ट आकांक्षा सत्यवंशी से खास बातचीत की.


सवाल- अंडर-19 वूमेन क्रिकेट टीम ने वर्ल्ड कप जीता है, उसका हिस्सा होकर कैसा महसूस कर रही हैं?
जवाब- मैं बहुत अच्छा महसूस कर रही हूं. मुझे गर्व महसूस हो रहा है कि मैं एक ऐसी टीम का हिस्सा बनी, जिसने विश्व में अपना परचम लहराया है.


सवाल- खिलाड़ियों को जब इंजरी आती है तो उन पर आपने किस तरह से मेहनत की?
जवाब- मैं टीम की अकेली मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव थी. उनकी फिटनेस का पूरा ध्यान रखना, उनकी स्लीपिंग मेंटेन करना, उन्हें किस दिन मेंसेस आए हैं, हम हर दिन यह सारी चीजें ट्रैक करते थे. खिलाड़ियों ने ठीक से खाना खाया है या नहीं, हर चीज का ख्याल रखते हुए उनकी इंजरी को ठीक करने का काम भी किया करते थे. कुछ इंजरी ऐसी होती है जो ग्राउंड में ठीक नहीं की जा सकती, जिन्हें एक्सरसाइज कराते हुए प्रिवेंट किया जा सकता है. इस काम में हमारा बहुत रोल रहता है. मुझे बहुत अच्छा लगता है कि मैं अपनी टीम की हेल्प कर पाई.

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सवाल- अंडर-19 प्लेयर के अंदर किस तरह के डाउट होते थे और आपने कैसे चीजों को संभाला?
जवाब- अंडर-19 के कई बच्चों को जिम की आदत नहीं होती और उन्हें ट्रेनिंग की ज्यादा जरूरत नहीं होती तो वह बहुत डरते थे. टीम के पीछे पड़कर सभी लोगों ने उनके डर को हटाने का काम किया. हम लंबे टूर पर गए. इंडिया में हमने 3 सीरीज खेली थी. फिर साउथ अफ्रीका में एक सीरीज खेली और उसके बाद वर्ल्ड कप साउथ अफ्रीका में टीम ने 40 दिन बिताए हैं. 40 दिन बिना ट्रेनिंग के बच्चे बहुत इंजर्ड हो जाते, उन्हें समझाना और यह अहमियत सिखाना थोड़ा चैलेंजिंग था. धीरे-धीरे बच्चे भी समझने लगे कि ट्रेनिंग की अहमियत क्या है.


सवाल- इंडियन टीम ने जीत हासिल की तो वह कैसा क्षण था?
जवाब- जब हमारी टीम जीती तब बहुत ही अद्भुत महसूस हुआ. हम सभी बहुत इमोशनल हो गए थे. हमने एक सपना देखा था. वह सपना पूरा हुआ. जब वर्ल्ड कप हमारे हाथ में आया तो उसे पकड़कर सभी बहुत खुश थे.

सवाल- आपने क्या पढ़ाई की है?
जवाब- मैंने रायपुर से बैचलर आफ फिजियोथेरेपी की पढ़ाई की. उसके तुरंत बाद मैंने मास्टर्स की पढ़ाई की. 1 साल मैंने रायपुर के 3 हॉस्पिटल से जुड़कर काम किया. 6 महीने के अंदर ही क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से मुझे नेशनल टीम के लिए सेलेक्ट किया गया. अंडर-19 टीमों में चल रही हूं. इससे पहले 2019 से लेकर 2022 तक मैं असिस्टेंट फिजियोथेरेपिस्ट के रूप में सीनियर वूमंस टीम के साथ थी. पिछले साल जब वर्ल्ड कप हुआ था, उस दौरान भी मैं टीम का हिस्सा थी.

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सवाल- शुरुआत से ही आप इस फील्ड में आना चाहती थीं या कोई दूसरी फील्ड आपने चुनी थी?
जवाब- मुझे एक बहुत अच्छा फिजियोथेरेपिस्ट बनना था, लेकिन मेरी किस्मत में एक स्पोर्ट्स फिजियोथेरेपिस्ट बनना लिखा था और स्पोर्ट्स फिजियोथैरेपिस्ट के रूप में मैं काम कर रही हूं. इस फील्ड में बहुत चैलेंज होता है. ग्राउंड में कम समय मिलता है. कम समय में ही हमें ट्रीटमेंट करना होता है. एक्साइटमेंट होता है कि कम समय में 1 प्लेयर को कैसे राहत दे सकते हैं.



सवाल- जो इस फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं, उन्हें क्या संदेश देना चाहेंगी?
जवाब- स्पोर्ट्स बहुत तेजी से बढ़ रहा है. लोगों ने इमेजिन नहीं किया था कि इतना जल्दी स्पोर्ट्स बढ़ेगा और महिलाओं का इंवॉल्वमेंट स्पोर्ट्स में इतना बढ़ जाएगा. हर स्पोर्ट्स में अवेयरनेस बढ़ रही है. मुझे लगता है कि हर फील्ड में एक्सपर्ट सर्विस की जरूरत होती है. स्पोर्ट्स फिजियोथेरेपिस्ट में फ्यूचर बहुत ब्राइट है.


सवाल- आगे आप और कहां काम करना चाहेंगी?
जवाब- अगर मुझे इंडिया असाइनमेंट मिलेगा तो मैं उसमें अच्छा करना चाहती हूं. आने वाले दिनों में वूमंस आईपीएल भी आ रहा है तो मैं कोशिश करूंगी कि मैं उसमें भी अच्छा इंवॉल्वमेंट दे सकूं और टीम की हेल्प कर सकूं.

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