लातेहारः लातेहार और छत्तीसगढ़ के सीमा क्षेत्र पर नक्सलियों का आतंक एक बार फिर से शुरू हो गया है. नक्सलियों ने कई दिनों बाद अपनी पुरानी कार्यप्रणाली के अनुसार कार्य करते हुए झारखंड और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित हिंडालको के माइंस में कार्यरत मुंशी और दो सुरक्षा गार्डों को अगवा कर लिया. माओवादियों की फिर से बढ़ी चहलकदमी से आम लोगों में भय का माहौल व्याप्त हो गया है.
दरअसल, गत शनिवार को नक्सलियों ने महुआडांड़ और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर पर स्थित बॉक्साइट माइंस में धावा बोलकर वहां कार्यरत सुरक्षाकर्मी सूरज सोनी चैनपुर पलामू , संजय यादव सामरी छत्तीसगढ़ और मुंशी रामधनी यादव सरईडीह छत्तीसगढ़ को अगवा कर अपने साथ ले गए. नक्सली तीनों लोगों को लेकर छत्तीसगढ़ के शामली थाना क्षेत्र अंतर्गत जलजली गांव पहुंचे और इस गांव के रहने वाले माइंस कर्मी मनोज यादव और शिवबालक यादव को घर से बाहर निकाला और उनकी बेरहमी से पिटाई कर दी जिससे दोनों गंभीर रूप से घायल होकर बेहोश हो गए. घटना के बाद उग्रवादी तीनों को अपने साथ अगवा कर ले गए.
4 दिन बाद हुई प्राथमिकी
माओवादी घटना से लोगों में भय का माहौल बन गया था. भय का अनुमान इसी से लगाया जा सकता मामले की प्राथमिकी घटना के 4 दिन बाद महुआडांड़ थाने में करवाई गई. इधर मामले की प्राथमिकी होने के बाद पुलिस अगवा किए गए मुंशी और सुरक्षाकर्मियों की खोजबीन में जुट गई है. लातेहार और छत्तीसगढ़ की पुलिस संयुक्त रूप से नक्सलियों के खिलाफ अभियान चला रही है.
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लेवी के लिए दिया गया घटना को अंजाम
मिली जानकारी के अनुसार कुछ दिन पूर्व नक्सलियों ने माइंस कर्मियों को एक पत्र दिया था, जिसमें माइंस प्रबंधन से लेवी की मांग की गई थी. इस मामले की सूचना थाने को हो गई जिसके बाद पुलिस ने सक्रिय होकर छापामारी अभियान तेज कर दी. नक्सलियों को जब पता चला कि उनका पत्र पुलिस तक पहुंच गया है तो वे नाराज हुए और माइंस कर्मियों को सबक सिखाने की योजना बनाई. गत शनिवार को इसी योजना के तहत लगभग 30 से 35 की संख्या में हथियारबंद नक्सली माइंस में पहुंचे और सुरक्षा कर्मियों और मुंशी को अगवा कर लिया. वहीं, दो अन्य कर्मियों को पीटकर अधमरा कर दिया.
झारखंड-छत्तीसगढ़ सीमा रहा है नक्सलियों का गढ़
लातेहार जिले के महुआडांड़ थाना क्षेत्र पर स्थित झारखंड और छत्तीसगढ़ का सीमा नक्सलियों का गढ़ रहा है. नक्सली यहां घटना को अंजाम देकर जंगल और पहाड़ों का फायदा उठाते हुए आसानी से भागने में सफल हो जाते हैं. इस इलाके की बनावट काफी दुरूह होने के कारण नक्सलियों के खिलाफ छापामारी अभियान चलाने में भी पुलिस को परेशानी का सामना करना पड़ता है.