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ओबीसी आरक्षण में कटौती का आरोप, कांग्रेस करेगी प्रदेशव्यापी प्रदर्शन, बीजेपी ने आरोपों को बताया निराधार - PROTEST AGAINST OBC RESERVATION CUT

छत्तीसगढ़ नगरीय निकाय चुनाव में आरक्षण में कटौती के खिलाफ कांग्रेस प्रदेशव्यापी प्रदर्शन करेगी. वहीं बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार किया है.

PROTEST AGAINST OBC RESERVATION CUT
कांग्रेस करेगी प्रदेशव्यापी प्रदर्शन (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 14, 2025, 7:07 PM IST

रायपुर : पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में कटौती के खिलाफ प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में कांग्रेस 15 जनवरी को एक दिवसीय धरना देकर विरोध प्रदर्शन करेगी. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के मुताबिक सरकार ने जानबूझकर प्रदेश में वर्ग संघर्ष फैलाने पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में कटौती करने का षड़यंत्र किया ताकि प्रदेश की बहुसंख्यक आबादी चुनाव लड़ने से वंचित रह जाए. पहले तो कहा गया पिछड़ा वर्ग के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण किया जाएगा. जब नियम बनाया तो पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण शून्य की स्थिति में पहुंच गया.पूरे प्रदेश में जिला पंचायत का एक भी अध्यक्ष पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित नहीं हुआ.


दीपक बैज के मुताबिक भाजपाई कहते हैं कि पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में कांग्रेस भ्रम फैला रही है, तो बीजेपी के नेता और सरकार ही बता दें उनके नए आरक्षण प्रावधान में पिछड़ा वर्ग के लिए क्या व्यवस्था हुई है?. पिछड़ा वर्ग का पंचायतों में आरक्षण कम क्यों हो गया? एक भी जिला पंचायत अध्यक्ष पद में पिछड़ा वर्ग के लिये क्यों आरक्षण नहीं हुआ? बीजेपी प्रदेश के आरक्षित वर्ग में वर्ग संघर्ष करवाने यह षड़यंत्र रचा है.

''ओबीसी वर्ग के लिए निकाय में कुछ नहीं बचा'' : दीपक बैज के मुताबिक बस्तर और सरगुजा संभाग में आरक्षित वर्ग को बड़ा नुकसान हुआ है. सरगुजा संभाग के पांच जिले अंबिकापुर, बलरामपुर, सूरजपुर, कोरिया, मनेंद्रगढ़, चिरमिरी, भरतपुर सोनहत, बस्तर के 7 जिले बस्तर, कांकेर, कोंडागांव, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, सुकमा, बीजापुर सहित मानपुर मोहला, जशपुर, गौरेला पेंड्रा मरवाही, और कोरबा जिले में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कुछ बचा ही नहीं है. इस सरकार ने स्थानीय निकाय (त्रिस्तरीय पंचायत और नगरीय निकाय) चुनाव में आरक्षण के प्रावधानों में जो षडयंत्र पूर्वक ओबीसी विरोधी परिवर्तन किया है उसके परिणाम सामने हैं. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 के लिए जिला पंचायत, जनपद पंचायत, सरपंच और पंचों के आरक्षण में ओबीसी के हक और अधिकारों में बड़ी डकैती इस सरकार ने की है.


त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थाओं में रायपुर जिला पंचायत में 16 क्षेत्रों में से केवल 4 ओबीसी के लिए आरक्षित है. बिलासपुर जिले में सदस्यों के 17 में से केवल एक क्षेत्र क्रमांक 1 में ओबीसी महिला के लिए आरक्षित है. ओबीसी पुरुष के लिए 17 में से एक भी सीट आरक्षित नहीं है. इसी तरह बिलासपुर जिले के चार जनपद पंचायत में दो जनपद पंचायत अध्यक्ष के पद अनुसूचित जाति महिला, एक अनारक्षित महिला और एक जनपद अध्यक्ष का पद अनारक्षित मुक्त रखा गया है.ओबीसी के लिए बिलासपुर जिले के अंतर्गत चार जनपद पंचायतों में से एक भी जनपद पंचायत अध्यक्ष का पद ओबीसी के लिए आरक्षित नहीं है- दीपक बैज, पीसीसी चीफ

बीजेपी ने आरोपों को बताया निराधार : डिप्टी सीएम अरुण साव ने आरक्षण पर मचे बवाल का जवाब कांग्रेस पार्टी को दिया. डिप्टी सीएम अरुण साव ने कहा कि जिला पंचायत अध्यक्ष पदों पर चुनाव के आरक्षण के तहत एक भी सीट अन्य पिछड़ा वर्ग को नहीं मिला है. कांग्रेस बेवजह का मुद्दा बना रही है. नगरीय प्रशासन

33 जिले में से छत्तीसगढ़ के 16 जिले अनुसूचित क्षेत्र में आते हैं. पंचायती राज अधिनियम के तहत यह सभी जगह अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. आबादी के हिसाब से चार जगह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुई है- अरुण साव,डिप्टी सीएम


''झूठ बोलना कांग्रेस का काम'': अरुण साव ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का इतिहास झूठ बोलने का रहा है. कांग्रेस हमेशा से आरक्षण और अन्य पिछड़ा वर्ग की विरोधी रही है. विरोध करने की रही है. काका कालेलकर आयोग का गठन हुआ. उस आयोग की रिपोर्ट पर कांग्रेस ने कभी विचार ही नहीं किया. भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी तब मंडल आयोग का गठन हुआ था. जिसमें पिछड़े वर्ग आरक्षण देने के लिए पर उस आयोग की कमीशन की रिपोर्ट को कांग्रेस पार्टी ने कभी देखा तक नहीं.

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दीपक बैज के मुताबिक भाजपाई कहते हैं कि पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में कांग्रेस भ्रम फैला रही है, तो बीजेपी के नेता और सरकार ही बता दें उनके नए आरक्षण प्रावधान में पिछड़ा वर्ग के लिए क्या व्यवस्था हुई है?. पिछड़ा वर्ग का पंचायतों में आरक्षण कम क्यों हो गया? एक भी जिला पंचायत अध्यक्ष पद में पिछड़ा वर्ग के लिये क्यों आरक्षण नहीं हुआ? बीजेपी प्रदेश के आरक्षित वर्ग में वर्ग संघर्ष करवाने यह षड़यंत्र रचा है.

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त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थाओं में रायपुर जिला पंचायत में 16 क्षेत्रों में से केवल 4 ओबीसी के लिए आरक्षित है. बिलासपुर जिले में सदस्यों के 17 में से केवल एक क्षेत्र क्रमांक 1 में ओबीसी महिला के लिए आरक्षित है. ओबीसी पुरुष के लिए 17 में से एक भी सीट आरक्षित नहीं है. इसी तरह बिलासपुर जिले के चार जनपद पंचायत में दो जनपद पंचायत अध्यक्ष के पद अनुसूचित जाति महिला, एक अनारक्षित महिला और एक जनपद अध्यक्ष का पद अनारक्षित मुक्त रखा गया है.ओबीसी के लिए बिलासपुर जिले के अंतर्गत चार जनपद पंचायतों में से एक भी जनपद पंचायत अध्यक्ष का पद ओबीसी के लिए आरक्षित नहीं है- दीपक बैज, पीसीसी चीफ

बीजेपी ने आरोपों को बताया निराधार : डिप्टी सीएम अरुण साव ने आरक्षण पर मचे बवाल का जवाब कांग्रेस पार्टी को दिया. डिप्टी सीएम अरुण साव ने कहा कि जिला पंचायत अध्यक्ष पदों पर चुनाव के आरक्षण के तहत एक भी सीट अन्य पिछड़ा वर्ग को नहीं मिला है. कांग्रेस बेवजह का मुद्दा बना रही है. नगरीय प्रशासन

33 जिले में से छत्तीसगढ़ के 16 जिले अनुसूचित क्षेत्र में आते हैं. पंचायती राज अधिनियम के तहत यह सभी जगह अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. आबादी के हिसाब से चार जगह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुई है- अरुण साव,डिप्टी सीएम


''झूठ बोलना कांग्रेस का काम'': अरुण साव ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का इतिहास झूठ बोलने का रहा है. कांग्रेस हमेशा से आरक्षण और अन्य पिछड़ा वर्ग की विरोधी रही है. विरोध करने की रही है. काका कालेलकर आयोग का गठन हुआ. उस आयोग की रिपोर्ट पर कांग्रेस ने कभी विचार ही नहीं किया. भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी तब मंडल आयोग का गठन हुआ था. जिसमें पिछड़े वर्ग आरक्षण देने के लिए पर उस आयोग की कमीशन की रिपोर्ट को कांग्रेस पार्टी ने कभी देखा तक नहीं.

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