नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने मंगलवार को कहा कि 129 साल पुराना मुल्लापेरियार बांध दो बार अपनी आयु पूरी कर चुका है. 100 से अधिक मानसून झेल चुका है. वहीं, कई दशकों से बड़ी संख्या में लोगों के मन में बांध टूटने का डर सता रहा है.
पीठ के एक न्यायाधीश ने कहा कि वह डेढ़ साल से उस खतरे के साये में जी रहे हैं. शीर्ष अदालत ने कहा कि बांध की सुरक्षा से जुड़े मामले की सुनवाई तीन न्यायाधीशों की पीठ करेगी. यह मामला न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी की पीठ के समक्ष आया. सुप्रीम कोर्ट मुल्लापेरियार बांध की सुरक्षा से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था.
इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक रूप से केरल और तमिलनाडु से पूछा था कि क्या उसके द्वारा गठित पर्यवेक्षकों की समिति बांध की देखभाल में अधिक प्रभावी होगी या नए बांध सुरक्षा अधिनियम 2021 के तहत परिकल्पित वैधानिक समिति को यह काम सौंपा जाना चाहिए.
आज सुनवाई के दौरान एक वकील ने पीठ से इस मामले पर विचार करने का आग्रह किया क्योंकि इसमें कुछ अत्यावश्यक तथ्य है जैसे कि मानसून. पीठ ने वकील से पूछा बांध ने अब तक कितने मानसून झेले हैं? वकील ने कहा कि बांध 100 साल से भी ज्यादा पुराना है और इसने कई मानसून झेले हैं.
न्यायमूर्ति रॉय ने मौखिक रूप से कहा कि लोग सौ साल से बांध टूटने के डर में जी रहे हैं और उन्होंने बताया कि बांध दो बार अपनी आयु पूरी कर चुका है. वकील ने जोर देकर कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण मामला है क्योंकि अगर बांध टूट गया तो 15 लाख लोगों की जान जाने का खतरा है. न्यायमूर्ति रॉय ने कहा कि वह डेढ़ साल से इस खतरे में जी रहे हैं.
दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा कि मौजूदा मामले को लंबित मामले के साथ जोड़ दिया जाए और इसकी सुनवाई तीन न्यायाधीशों की पीठ करेगी. पीठ ने मामले को लंबित याचिकाओं के साथ सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया.