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मैनपाट का सुप्रसिद्ध तिब्बती कालीन उद्योग हुआ पुनर्जीवित

छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड कालीन बनाने वाले प्रवासी श्रमिकों के लिए रोजगार उपलब्ध करा रहा है. इस क्षेत्र में मैनपाट के सुप्रसिद्ध तिब्बती पैटर्न के कालीन उद्योग को पुनर्जीवित किया गया है. जिससे 100 कारीगरों को रोजगार मिलेगा.

tibetan carpet industry
तिब्बती कालीन उद्योग
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Published : Jul 15, 2020, 4:37 PM IST

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश और ग्रामोद्योग मंत्री गुरु रुद्र कुमार के मार्गदर्शन में मैनपाट के सुप्रसिद्ध तिब्बती पैटर्न के कालीन उद्योग को पुनर्जीवित किया जा रहा है. मंत्री गुरु रुद्रकुमार ने कहा कि राज्य शासन की मंशा के अनुरूप ग्रामोद्योग विभाग प्रवासी श्रमिकों के लिए कार्ययोजना बनाकर उन्हें नियमित रोजगार उपलब्ध करा रहा है. साथ ही विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने हर संभव मदद दी जा रही है.

tibetan carpet industry
तिब्बती कालीन उद्योग

पढ़ें: SPECIAL: गोबर और बांंस से बनी राखियों से चमक उठेगा त्योहार, महिलाओं को मिला रोजगार

तिब्बती पैटर्न के कालीन उद्योग को मिला नया जीवन

minister guru rudra kumar
मैनपाट का सुप्रसिद्ध तिब्बती कालीन उद्योग हुआ पुनर्जीवित: मंत्री गुरु रुद्र कुमार
छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के महाप्रबंधक(विकास) शंकर लाल धुर्वे ने बताया कि सरगुजा जिले के कालीन बुनकरों को नियमित रोजगार देने के लिए दो दशक से बंद पड़े मैनपाट के सुप्रसिद्ध तिब्बती पैटर्न के कालीन उद्योग को पुनर्जीवित करने का काम शुरू किया गया है. छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा मैनपाट के रेखापार में कालीन निर्माण केंद्र में 20 कालीन शिल्पकारों द्वारा कालीन उत्पादन का काम शुरू किया गया है. इसको और अधिक विस्तार देने की दिशा में काम किया जा रहा है.

पढ़ें: कोरबा: गांव की सौंधी मिट्टी की महक वाली खास है ये छत्तीसगढ़ी 'राखी'

100 से ज्यादा कारीगरों को मिलेगा रोजगार

इस केंद्र के माध्यम से लगभग 100 से ज्यादा कालीन बुनाई करने वाले कारीगरों को रोजगार से जोड़ा जाएगा. उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण से पहले बतौली, सीतापुर के सैकड़ों कालीन बुनाई करने वाले कारीगर उत्तर प्रदेश के भदोही और मिर्जापुर जाकर कालीन बुनाई का काम करते थे. लेकिन अभी वहां नहीं जा पाने के कारण बेरोजगार हैं. इन कारीगरों को मैनपाट के कालीन बुनाई केन्द्र से जोड़कर इन्हें रोजगार देने की पहल बोर्ड ने शुरू की है. ताकि कालीन बुनाई करने वाले स्थानीय कारीगरों को मैनपाट में ही रोजगार मिल सके. इन कारीगरों को मैनपाट के केन्द्र से जोड़ने से तिब्बती कालीन की बुनाई के काम में तेजी आएगी.

पढ़ें: SPECIAL: रक्षा से मिलेगी शिक्षा, राखी बनाकर ऑनलाइन पढ़ाई के लिए पैसे जुटाती बेसहारा बच्चियां

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश और ग्रामोद्योग मंत्री गुरु रुद्र कुमार के मार्गदर्शन में मैनपाट के सुप्रसिद्ध तिब्बती पैटर्न के कालीन उद्योग को पुनर्जीवित किया जा रहा है. मंत्री गुरु रुद्रकुमार ने कहा कि राज्य शासन की मंशा के अनुरूप ग्रामोद्योग विभाग प्रवासी श्रमिकों के लिए कार्ययोजना बनाकर उन्हें नियमित रोजगार उपलब्ध करा रहा है. साथ ही विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने हर संभव मदद दी जा रही है.

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तिब्बती कालीन उद्योग

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तिब्बती पैटर्न के कालीन उद्योग को मिला नया जीवन

minister guru rudra kumar
मैनपाट का सुप्रसिद्ध तिब्बती कालीन उद्योग हुआ पुनर्जीवित: मंत्री गुरु रुद्र कुमार
छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के महाप्रबंधक(विकास) शंकर लाल धुर्वे ने बताया कि सरगुजा जिले के कालीन बुनकरों को नियमित रोजगार देने के लिए दो दशक से बंद पड़े मैनपाट के सुप्रसिद्ध तिब्बती पैटर्न के कालीन उद्योग को पुनर्जीवित करने का काम शुरू किया गया है. छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड द्वारा मैनपाट के रेखापार में कालीन निर्माण केंद्र में 20 कालीन शिल्पकारों द्वारा कालीन उत्पादन का काम शुरू किया गया है. इसको और अधिक विस्तार देने की दिशा में काम किया जा रहा है.

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100 से ज्यादा कारीगरों को मिलेगा रोजगार

इस केंद्र के माध्यम से लगभग 100 से ज्यादा कालीन बुनाई करने वाले कारीगरों को रोजगार से जोड़ा जाएगा. उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण से पहले बतौली, सीतापुर के सैकड़ों कालीन बुनाई करने वाले कारीगर उत्तर प्रदेश के भदोही और मिर्जापुर जाकर कालीन बुनाई का काम करते थे. लेकिन अभी वहां नहीं जा पाने के कारण बेरोजगार हैं. इन कारीगरों को मैनपाट के कालीन बुनाई केन्द्र से जोड़कर इन्हें रोजगार देने की पहल बोर्ड ने शुरू की है. ताकि कालीन बुनाई करने वाले स्थानीय कारीगरों को मैनपाट में ही रोजगार मिल सके. इन कारीगरों को मैनपाट के केन्द्र से जोड़ने से तिब्बती कालीन की बुनाई के काम में तेजी आएगी.

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