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मिलिए छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस पर रॉक प्रस्तुति देने वाले कबीर कैफे की टीम से

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Published : Nov 2, 2021, 6:11 PM IST

Updated : Nov 2, 2021, 7:02 PM IST

कबीर कैफे बैंड (Kabir Cafe Band) के सदस्य नीरज आर्य के मुताबिक कबीर कैफे बैंड की शुरुआत मुंबई से हुई थी. लेकिन विश्वास नहीं हो रहा है कि हमें साथ में गाते 8 साल हो जाएंगे. इंडियन ओशन बैंड (Indian Ocean Band) के साथ मंच साझा करके बहुत अच्छा लग रहा है. बचपन से उन्हें देखकर गाना चालू किया है. लेकिन यह बैंड फैमिली की तरह बना हुआ है.

Cafe Indian Folk Fusion Band
कैफे इंडियन फोक फ्यूजन बैंड

रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस (Chhattisgarh State Foundation Day) के मौके पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए. वहीं अलग- अलग कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियां दी. इस कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुति देने कबीर कैफे इंडियन फोक फ्यूजन बैंड (Cafe Indian Folk Fusion Band) पहुंचा था. ईटीवी भारत ने कबीर कैफे बैंड के सदस्यों से बातचीत की.

रॉक प्रस्तुति देने वाला कबीर कैफे

सवाल: कबीर कैफे बैंड (Kabir Cafe Band) की शुरुआत कैसे हुई.

जवाब: कबीर कैफे (Kabir Cafe) के सदस्य नीरज आर्य ने बताया कि 13 नवंबर को 8 साल पूरे हो रहे हैं. सभी भारत के अलग-अलग प्रांतों से आते हैं. बैंड की शुरुआत मुंबई से हुई और मुंबई में हम सभी मिले. बैंड बनाने को लेकर किसी प्रकार से प्लानिंग नहीं थी. नीरज आर्य ने बताया कि वे पहले फिल्म एडिटिंग करते थे. बाकी सदस्य भी अलग-अलग फील्ड से एक सदस्य मैकेनिकल इंजीनियर हैं. एक कॉलेज ड्रॉपआउट है, कोई म्यूजिक टीचर है और एक सदस्य ने एमबीए किया है. सभी अलग-अलग फील्ड से हैं. लेकिन विश्वास नहीं हो रहा है कि हमें साथ में गाते 8 साल हो जाएंगे. इंडियन ओशन बैंड (Indian Ocean Band) के साथ मंच साझा करके बहुत अच्छा लग रहा है. बचपन से उन्हें देखकर गाना चालू किया है लेकिन यह बैंड फैमिली की तरह बना हुआ है.

सवाल: कबीर को लेकर अपने कैसे शुरू किया. बहुत कम युवा इस दिशा में सोचते हैं?

जवाब: नीरज आर्य ने कहा कि कबीर एक रॉकस्टार (Rock Star) है. हम रहे या ना रहे लेकिन कबीर रहेंगे. बैंड के ड्रमर वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने कहा कि हर चीज का ट्रेंड आता है और चले जाता है लेकिन कबीर हमेशा रहेंगे. नया ट्रेंड और नया जनरेशन भी आएगा लेकिन कबीर वहीं के वहीं रहेंगे.

सवाल: कबीर के दोहे आपने गानो में कोसे पिरोए

जवाब: नीरज ने बताया कि कबीर का पहला परिचय मेरा स्कूल के समय किताबों से हुआ था. दोहे पढ़ा करते थे लेकिन उनकी व्याख्या करनी होती थी और यह सब नंबर पाने के लिए होता था. लेकिन घर में एक माहौल होता है अमृतवाणी बजती है. घर में चाचा बहुत अच्छा म्यूजिक सुनते थे और कबीर को मानते थे. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गई वैसे-वैसे चीजें समझ आने लगी. कबीर के विचार क्या है, कैसे अपने आप को समझा जाए. इस यात्रा की शुरुआत की. उस तरह से कबीर के साथ जुड़ते गए और यह जिंदगी का हिस्सा बन गया है. हर समय हम कबीर सुनते हैं. बहुत से फैस हमें कबीर के दोहे भेजते हैं. हम खत्म हो जाएंगे लेकिन उनके विचार और उनके विचार और उनके दोहे कभी खत्म नहीं होंगे.

सवाल: आप लोग कहा मिले ?

जवाब: बैंड में वायलिन प्ले (Play Violin In Band) करने वाले मुकुंद रामास्वामी ने बताया कि वे मुंबई से है और उनका परिवार केरल से है. मुम्बई में नेचुरल स्ट्रीट फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स संस्था (Natural Street for the Performing Arts Society) है. जहां हम सभी पब्लिक के बीच इंडिपेंडेंट म्यूजिक (Independent Music) बजाते हैं,. मैं कर्नाटिक वाईलनिस्ट हूं. मेरे गुरु का नाम है एसपी रामचंद्रन. उनसे भी अभी सीख रहा हूं. बांद्रा के स्टेशन में मेरी मुलाकात नीरज से हुई थी. शनिवार और रविवार में एनएसपीए में परफॉर्मेंस करता था. हमारी मुलाकात हुई तब मुझे लिरिक्स समझ नहीं आया. लेकिन मुझे अच्छा लगा और उसे लगा कि आगे और काम करना चाहिए और इसी तरह से काम स्टार्ट हुआ.

नीरज आर्य ने बताया कि हमें कभी नहीं सोचा कि हम अलग-अलग हैं. ऐसे लोग तो हमें साथ में बैड शुरू किया. नीरज आर्य ने बताया कि म्यूजिक के जरिए कबीर के मेरी पहली मुलाकात एक डॉक्यूमेंट्री 'हद अनहद' से हुई. उसमें हमारे गुरु पद्मश्री प्रहलाद सिंह टिपानिया है. जो मध्य प्रदेश से हैं.

डॉक्यूमेंट्री में जब उन्हें देखा तो मुझे लगा कि कबीर यही है. जिस तरह से वे बेबाकी के साथ कभी तो गाते हैं. भजन सिर्फ 10 मिनट का होता है लेकिन उसमें चर्चाएं होती है. उसमें उसके भावार्थ समझाएं जाते हैं. उन चीजों से मैं बहुत प्रभावित हुआ हूं. मीर मुख्तियार अली, मूरालाल मारवाड़ा, प्रहलाद सिंह टिपानिया देखकर हमें लगा कि हमें भी इस तरह से गाना चाहिए और हम उन्हीं के भजन गाते हैं और उस भजन को हम मॉडल में में प्रस्तुत करते हैं, वेस्टर्न इंस्ट्रूमेंट के साथ.

सवाल: हमारे दर्शकों का पूरे बैंड के सदस्यों से आप परिचय करवाएं?

जवाब: बैड में मुकुंद रामास्वामी वायलेंट, वीरेंद्र सोलंकी ड्रम बजाते हैं, बिटो केसी बेस्ट गिटार और वोकल करते हैं. पीयूष आचार्य हारमोनियम और अन बैकिंग वोकल करते हैं. विक्रम ब्रह्मनकर पकेशन बजाते हैं और मैं नीरज आर्य बैंड पर गाता हूं.

सवाल: आने वाले दिनों में आपके क्या प्रोजेक्ट आ रहे है

जवाब: बैंड के बेस्ट गिटारिस्ट ब्रिटो केसी ने बताया कि अभी हम लोगों ने अपने तीसरे एल्बम के लिए काफी काम किया है. नवम्बर में ही इसे लॉन्च करने की तैयारी है. लेकिन तारीख तय नहीं हुई है. इस एल्बम में हमने बड़े आर्टिस के साथ कोलैबोरेशन किया है. इसमें बॉलीवुड और इंटरनेशनल आर्केस्ट्रा (International Orchestra) है. यह सरप्राइज है जो बहुत जल्द लोगों के बीच आएगा.

सवाल: छत्तीसगढ़ आकर कैसा लग रहा है?

जवाब: बहुत अच्छा लग रहा है. पिछले महीने ही हम लोगों ने कौशल्या माता मंदिर में अपनी प्रस्तुति दी. हमें दोबारा बुलाया गया है. कुछ तो बात है कभी और रायपुर हम एक जरिया है. हमें यहां दोबारा बहुत अच्छा लग रहा है. रायपुर शहर को एक्सीडेंट नहीं कर पाए. लेकिन यहां लगाए गए स्टाल में बहुत अच्छा आर्ट देखने को मिला. बहुत ही खूबसूरत चीजें देखने को मिली. यहां आर्ट और यहा के हैंडलूम, मैंने यहां के स्टाल से जूते खरीदे. बहुत बड़े स्टाल लगाए गए थे. उसके लिए हम छत्तीसगढ़ गवर्नमेंट और आयोजकों को धन्यवाद देते हैं कि इस तरह के कालाकरों को प्रोत्साहित कर रहे हैं. हमें लगता है कि हम अलग-अलग सिटी के हो गए हैं. लेकिन हमें नहीं भूलना है कि हमारा गांव और हमारा हेरिटेज बहुत महत्वपूर्ण है. कबीर कैफे भी यही कर रहा है और संत कबीर ने यह चीजें बहुत पहले बोली थी. हम उनके विचारों को लोगों तक अपने अंदाज में प्रस्तुति देते हैं.

रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस (Chhattisgarh State Foundation Day) के मौके पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए. वहीं अलग- अलग कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियां दी. इस कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुति देने कबीर कैफे इंडियन फोक फ्यूजन बैंड (Cafe Indian Folk Fusion Band) पहुंचा था. ईटीवी भारत ने कबीर कैफे बैंड के सदस्यों से बातचीत की.

रॉक प्रस्तुति देने वाला कबीर कैफे

सवाल: कबीर कैफे बैंड (Kabir Cafe Band) की शुरुआत कैसे हुई.

जवाब: कबीर कैफे (Kabir Cafe) के सदस्य नीरज आर्य ने बताया कि 13 नवंबर को 8 साल पूरे हो रहे हैं. सभी भारत के अलग-अलग प्रांतों से आते हैं. बैंड की शुरुआत मुंबई से हुई और मुंबई में हम सभी मिले. बैंड बनाने को लेकर किसी प्रकार से प्लानिंग नहीं थी. नीरज आर्य ने बताया कि वे पहले फिल्म एडिटिंग करते थे. बाकी सदस्य भी अलग-अलग फील्ड से एक सदस्य मैकेनिकल इंजीनियर हैं. एक कॉलेज ड्रॉपआउट है, कोई म्यूजिक टीचर है और एक सदस्य ने एमबीए किया है. सभी अलग-अलग फील्ड से हैं. लेकिन विश्वास नहीं हो रहा है कि हमें साथ में गाते 8 साल हो जाएंगे. इंडियन ओशन बैंड (Indian Ocean Band) के साथ मंच साझा करके बहुत अच्छा लग रहा है. बचपन से उन्हें देखकर गाना चालू किया है लेकिन यह बैंड फैमिली की तरह बना हुआ है.

सवाल: कबीर को लेकर अपने कैसे शुरू किया. बहुत कम युवा इस दिशा में सोचते हैं?

जवाब: नीरज आर्य ने कहा कि कबीर एक रॉकस्टार (Rock Star) है. हम रहे या ना रहे लेकिन कबीर रहेंगे. बैंड के ड्रमर वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने कहा कि हर चीज का ट्रेंड आता है और चले जाता है लेकिन कबीर हमेशा रहेंगे. नया ट्रेंड और नया जनरेशन भी आएगा लेकिन कबीर वहीं के वहीं रहेंगे.

सवाल: कबीर के दोहे आपने गानो में कोसे पिरोए

जवाब: नीरज ने बताया कि कबीर का पहला परिचय मेरा स्कूल के समय किताबों से हुआ था. दोहे पढ़ा करते थे लेकिन उनकी व्याख्या करनी होती थी और यह सब नंबर पाने के लिए होता था. लेकिन घर में एक माहौल होता है अमृतवाणी बजती है. घर में चाचा बहुत अच्छा म्यूजिक सुनते थे और कबीर को मानते थे. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गई वैसे-वैसे चीजें समझ आने लगी. कबीर के विचार क्या है, कैसे अपने आप को समझा जाए. इस यात्रा की शुरुआत की. उस तरह से कबीर के साथ जुड़ते गए और यह जिंदगी का हिस्सा बन गया है. हर समय हम कबीर सुनते हैं. बहुत से फैस हमें कबीर के दोहे भेजते हैं. हम खत्म हो जाएंगे लेकिन उनके विचार और उनके विचार और उनके दोहे कभी खत्म नहीं होंगे.

सवाल: आप लोग कहा मिले ?

जवाब: बैंड में वायलिन प्ले (Play Violin In Band) करने वाले मुकुंद रामास्वामी ने बताया कि वे मुंबई से है और उनका परिवार केरल से है. मुम्बई में नेचुरल स्ट्रीट फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स संस्था (Natural Street for the Performing Arts Society) है. जहां हम सभी पब्लिक के बीच इंडिपेंडेंट म्यूजिक (Independent Music) बजाते हैं,. मैं कर्नाटिक वाईलनिस्ट हूं. मेरे गुरु का नाम है एसपी रामचंद्रन. उनसे भी अभी सीख रहा हूं. बांद्रा के स्टेशन में मेरी मुलाकात नीरज से हुई थी. शनिवार और रविवार में एनएसपीए में परफॉर्मेंस करता था. हमारी मुलाकात हुई तब मुझे लिरिक्स समझ नहीं आया. लेकिन मुझे अच्छा लगा और उसे लगा कि आगे और काम करना चाहिए और इसी तरह से काम स्टार्ट हुआ.

नीरज आर्य ने बताया कि हमें कभी नहीं सोचा कि हम अलग-अलग हैं. ऐसे लोग तो हमें साथ में बैड शुरू किया. नीरज आर्य ने बताया कि म्यूजिक के जरिए कबीर के मेरी पहली मुलाकात एक डॉक्यूमेंट्री 'हद अनहद' से हुई. उसमें हमारे गुरु पद्मश्री प्रहलाद सिंह टिपानिया है. जो मध्य प्रदेश से हैं.

डॉक्यूमेंट्री में जब उन्हें देखा तो मुझे लगा कि कबीर यही है. जिस तरह से वे बेबाकी के साथ कभी तो गाते हैं. भजन सिर्फ 10 मिनट का होता है लेकिन उसमें चर्चाएं होती है. उसमें उसके भावार्थ समझाएं जाते हैं. उन चीजों से मैं बहुत प्रभावित हुआ हूं. मीर मुख्तियार अली, मूरालाल मारवाड़ा, प्रहलाद सिंह टिपानिया देखकर हमें लगा कि हमें भी इस तरह से गाना चाहिए और हम उन्हीं के भजन गाते हैं और उस भजन को हम मॉडल में में प्रस्तुत करते हैं, वेस्टर्न इंस्ट्रूमेंट के साथ.

सवाल: हमारे दर्शकों का पूरे बैंड के सदस्यों से आप परिचय करवाएं?

जवाब: बैड में मुकुंद रामास्वामी वायलेंट, वीरेंद्र सोलंकी ड्रम बजाते हैं, बिटो केसी बेस्ट गिटार और वोकल करते हैं. पीयूष आचार्य हारमोनियम और अन बैकिंग वोकल करते हैं. विक्रम ब्रह्मनकर पकेशन बजाते हैं और मैं नीरज आर्य बैंड पर गाता हूं.

सवाल: आने वाले दिनों में आपके क्या प्रोजेक्ट आ रहे है

जवाब: बैंड के बेस्ट गिटारिस्ट ब्रिटो केसी ने बताया कि अभी हम लोगों ने अपने तीसरे एल्बम के लिए काफी काम किया है. नवम्बर में ही इसे लॉन्च करने की तैयारी है. लेकिन तारीख तय नहीं हुई है. इस एल्बम में हमने बड़े आर्टिस के साथ कोलैबोरेशन किया है. इसमें बॉलीवुड और इंटरनेशनल आर्केस्ट्रा (International Orchestra) है. यह सरप्राइज है जो बहुत जल्द लोगों के बीच आएगा.

सवाल: छत्तीसगढ़ आकर कैसा लग रहा है?

जवाब: बहुत अच्छा लग रहा है. पिछले महीने ही हम लोगों ने कौशल्या माता मंदिर में अपनी प्रस्तुति दी. हमें दोबारा बुलाया गया है. कुछ तो बात है कभी और रायपुर हम एक जरिया है. हमें यहां दोबारा बहुत अच्छा लग रहा है. रायपुर शहर को एक्सीडेंट नहीं कर पाए. लेकिन यहां लगाए गए स्टाल में बहुत अच्छा आर्ट देखने को मिला. बहुत ही खूबसूरत चीजें देखने को मिली. यहां आर्ट और यहा के हैंडलूम, मैंने यहां के स्टाल से जूते खरीदे. बहुत बड़े स्टाल लगाए गए थे. उसके लिए हम छत्तीसगढ़ गवर्नमेंट और आयोजकों को धन्यवाद देते हैं कि इस तरह के कालाकरों को प्रोत्साहित कर रहे हैं. हमें लगता है कि हम अलग-अलग सिटी के हो गए हैं. लेकिन हमें नहीं भूलना है कि हमारा गांव और हमारा हेरिटेज बहुत महत्वपूर्ण है. कबीर कैफे भी यही कर रहा है और संत कबीर ने यह चीजें बहुत पहले बोली थी. हम उनके विचारों को लोगों तक अपने अंदाज में प्रस्तुति देते हैं.

Last Updated : Nov 2, 2021, 7:02 PM IST
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