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पोलावरम बांध बना तो डूबेंगे छत्तीसगढ़ के कई गांव, मंत्री रविंद्र चौबे ने बताई ये अहम बातें

छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन सदन में कई मुद्दों पर BJP और JCC(J) ने सत्ता पक्ष को घेरा. पोलावरम बांध और चेकडैम समेत कई मुद्दों पर सदन में गरमाहट देखने को मिली.आन्‍ध्र प्रदेश में बन रहे पोलावरम बांध निर्माण को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार लंबी लड़ाई लड़ रही है. जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने विपक्ष के सवाल पर बांध को लेकर कई अहम जानकारी दी.

polawaram dam
पोलावरम बांध परियोजना
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Published : Dec 25, 2020, 4:28 AM IST

Updated : Dec 25, 2020, 10:27 AM IST

रायपुर: आंध्र प्रदेश में बन रहे पोलावरम बांध निर्माण को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार लंबी लड़ाई लड़ रही है. विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बांध निर्माण का मुद्दा गरमाया रहा. जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने विपक्ष के सवाल पर बांध को लेकर कई अहम जानकारी दी. मंत्री ने बताया कि बांध के निर्माण से छत्तीसगढ़ के कई इलाके डूब जाएंगे. राज्य सरकार बांध निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. अपने क्षेत्र में होने वाले नुकसान को बचाने के लिए लड़ाई लड़ी जा रही है. मंत्री ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का जब तक फैसला नहीं आ जाता तब तक निर्माण नहीं हो सकता.

रेणु जोगी ने उठाया पोलावरम बांध का मुद्दा

जेसीसी(जे) विधायक रेणु जोगी ने बस्तर के पोलावरम बांध के निर्माण का मामला सदन में उठाया. उन्होंने कहा कि आदिवासी और कई गांव प्रभावित होंगे. इसी सदन में पहले संकल्प लाया गया था. क्या केंद्र को पत्र लिखा गया है कि पोलवरम बांध से जनजाति प्रभावित होगी? आंध्रप्रदेश में प्रभावितों को कितना मुआवजा दिया जा रहा है? छत्तीसगढ़ के प्रभावितों को कितना मुआवजा दिया जा रहा है ? इस बांध से बड़ा नुकसान छत्तीसगढ़ का होगा. जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया कि छत्तीसगढ़ के कई इलाके डूब क्षेत्र में आ रहे हैं. पोलावरम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केस किया गया है. छत्तीसगढ़ के साथ-साथ अन्य राज्यों ने भी केस किया हुआ है. जब तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता, पोलावरम बांध का निर्माण आसान नहीं है.

पढ़ें-पोलावरम बांध और चेकडैम का मुद्दा सदन में गूंजा, कानून व्यवस्था पर भी घिरी सरकार

कोंटा समेत 9 गांव डूबेंगे

पोलावरम बांध के इतिहास पर नजर डालें तो यह आंध्र प्रदेश की इंदिरा सागर अंतर्राज्यीय परियोजना है. 1978 के पहले परियोजना बनाई गई थी, गोदावरी नदी पर सालों से बांध निर्माण का काम चल रहा है. अगर बांध बन जाता है तो सुकमा जिले के कोंटा सहित 9 गांव डूब जाएंगे. इनमें बंजाममुड़ा, मेटागुंडा, पेदाकिसोली, आसीरगुंडा, इंजरम, फंदीगुंडा, ढोढरा, कोंटा, वेंकटपुरम के प्रभावित होने का अनुमान है. इन क्षेत्रों की जनसंख्या 18 हजार 510 है.

बहुउद्देश्‍यीय जलाशय परियोजना

आंध्र प्रदेश में पश्‍चिमी गोदावरी जिले के पोलावरम मंडल के राम्‍मय्यापेट के पास गोदावरी नदी पर स्‍थित है. यह परियोजना आन्‍ध्रप्रदेश के पूर्वी गोदावरी, विशाखापटनम, पश्‍चिमी गोदावरी और कृष्‍णा जिलों में सिंचाई, जल विद्युत विकसित करने और पेयजल सुविधाएं प्रदान करने के लिए गोदावरी नदी पर बहुउद्देश्‍यीय जलाशय परियोजना है.

पढ़ें-छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र: 2 हजार 386 करोड़ का अनुपूरक बजट पारित

गोदावरी- कृष्‍णा को जोड़ा जाएगा

इस परियोजना में नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजना के अंतर्गत गोदावरी- कृष्‍णा को जोड़ने को कार्यान्‍वित किया जाएगा. इस परियोजना में कृष्‍णा नदी को गोदावरी नदी के अधिशेष जल के 80 टीएमसी भाग को अंतरित करने का उल्‍लेख है. जिसे जीडब्‍लूडीटी के निर्णय के अनुसार आन्‍ध्र प्रदेश द्वारा 45 टीएमसी और कर्नाटक और महाराष्‍ट्र राज्‍यों द्वारा 35 टीएमसी के अनुपात में आन्‍ध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्‍ट्र के बीच बांटा जाएगा.

पोलावरम का इतिहास-

  • यह आंध्र प्रदेश की इंदिरा सागर अंतर्राज्यीय परियोजना है.
  • 1978 के पूर्व परियोजना बनाई गई थी.
  • 1980 में गोदावरी ट्रिब्यूनल में निर्देश हुआ था कि एमपी व आंध्र के जल का बंटवारा होगा, बांध भी बनेगा.
  • गोदावरी नदी पर बांध बनना है.
  • यह कोंटा से 150 किलोमीटर की दूरी पर है.
  • 2010-11 में इसकी पुनरीक्षित लागत थी 16 हजार करोड़ रुपए.
  • इसके डूबान क्षेत्र में छत्तीसगढ़ की 2475 हेक्टेयर जमीन आ रही है.
  • डूबान क्षेत्र में सुकमा जिले की कोंटा तहसील और 9 गांव आ रहे हैं.
  • परियोजना से आंध्र की 2.91 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी.
  • आंध्र से तेलंगाना अलग होने पर योजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित कर दिया गया.
  • अब केंद्र सरकार इसका क्रियान्वयन करेगी.
  • बांध से 970 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा.
  • छत्तीसगढ़ को 1.5 टीएमसी पानी मिलेगा पर बिजली में एक यूनिट की भी हिस्सेदारी नहीं मिलेगी.
  • परियोजना की लागत 8 हजार करोड़ से अधिक हो चुकी है.

रायपुर: आंध्र प्रदेश में बन रहे पोलावरम बांध निर्माण को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार लंबी लड़ाई लड़ रही है. विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बांध निर्माण का मुद्दा गरमाया रहा. जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने विपक्ष के सवाल पर बांध को लेकर कई अहम जानकारी दी. मंत्री ने बताया कि बांध के निर्माण से छत्तीसगढ़ के कई इलाके डूब जाएंगे. राज्य सरकार बांध निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. अपने क्षेत्र में होने वाले नुकसान को बचाने के लिए लड़ाई लड़ी जा रही है. मंत्री ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का जब तक फैसला नहीं आ जाता तब तक निर्माण नहीं हो सकता.

रेणु जोगी ने उठाया पोलावरम बांध का मुद्दा

जेसीसी(जे) विधायक रेणु जोगी ने बस्तर के पोलावरम बांध के निर्माण का मामला सदन में उठाया. उन्होंने कहा कि आदिवासी और कई गांव प्रभावित होंगे. इसी सदन में पहले संकल्प लाया गया था. क्या केंद्र को पत्र लिखा गया है कि पोलवरम बांध से जनजाति प्रभावित होगी? आंध्रप्रदेश में प्रभावितों को कितना मुआवजा दिया जा रहा है? छत्तीसगढ़ के प्रभावितों को कितना मुआवजा दिया जा रहा है ? इस बांध से बड़ा नुकसान छत्तीसगढ़ का होगा. जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया कि छत्तीसगढ़ के कई इलाके डूब क्षेत्र में आ रहे हैं. पोलावरम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केस किया गया है. छत्तीसगढ़ के साथ-साथ अन्य राज्यों ने भी केस किया हुआ है. जब तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता, पोलावरम बांध का निर्माण आसान नहीं है.

पढ़ें-पोलावरम बांध और चेकडैम का मुद्दा सदन में गूंजा, कानून व्यवस्था पर भी घिरी सरकार

कोंटा समेत 9 गांव डूबेंगे

पोलावरम बांध के इतिहास पर नजर डालें तो यह आंध्र प्रदेश की इंदिरा सागर अंतर्राज्यीय परियोजना है. 1978 के पहले परियोजना बनाई गई थी, गोदावरी नदी पर सालों से बांध निर्माण का काम चल रहा है. अगर बांध बन जाता है तो सुकमा जिले के कोंटा सहित 9 गांव डूब जाएंगे. इनमें बंजाममुड़ा, मेटागुंडा, पेदाकिसोली, आसीरगुंडा, इंजरम, फंदीगुंडा, ढोढरा, कोंटा, वेंकटपुरम के प्रभावित होने का अनुमान है. इन क्षेत्रों की जनसंख्या 18 हजार 510 है.

बहुउद्देश्‍यीय जलाशय परियोजना

आंध्र प्रदेश में पश्‍चिमी गोदावरी जिले के पोलावरम मंडल के राम्‍मय्यापेट के पास गोदावरी नदी पर स्‍थित है. यह परियोजना आन्‍ध्रप्रदेश के पूर्वी गोदावरी, विशाखापटनम, पश्‍चिमी गोदावरी और कृष्‍णा जिलों में सिंचाई, जल विद्युत विकसित करने और पेयजल सुविधाएं प्रदान करने के लिए गोदावरी नदी पर बहुउद्देश्‍यीय जलाशय परियोजना है.

पढ़ें-छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र: 2 हजार 386 करोड़ का अनुपूरक बजट पारित

गोदावरी- कृष्‍णा को जोड़ा जाएगा

इस परियोजना में नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजना के अंतर्गत गोदावरी- कृष्‍णा को जोड़ने को कार्यान्‍वित किया जाएगा. इस परियोजना में कृष्‍णा नदी को गोदावरी नदी के अधिशेष जल के 80 टीएमसी भाग को अंतरित करने का उल्‍लेख है. जिसे जीडब्‍लूडीटी के निर्णय के अनुसार आन्‍ध्र प्रदेश द्वारा 45 टीएमसी और कर्नाटक और महाराष्‍ट्र राज्‍यों द्वारा 35 टीएमसी के अनुपात में आन्‍ध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्‍ट्र के बीच बांटा जाएगा.

पोलावरम का इतिहास-

  • यह आंध्र प्रदेश की इंदिरा सागर अंतर्राज्यीय परियोजना है.
  • 1978 के पूर्व परियोजना बनाई गई थी.
  • 1980 में गोदावरी ट्रिब्यूनल में निर्देश हुआ था कि एमपी व आंध्र के जल का बंटवारा होगा, बांध भी बनेगा.
  • गोदावरी नदी पर बांध बनना है.
  • यह कोंटा से 150 किलोमीटर की दूरी पर है.
  • 2010-11 में इसकी पुनरीक्षित लागत थी 16 हजार करोड़ रुपए.
  • इसके डूबान क्षेत्र में छत्तीसगढ़ की 2475 हेक्टेयर जमीन आ रही है.
  • डूबान क्षेत्र में सुकमा जिले की कोंटा तहसील और 9 गांव आ रहे हैं.
  • परियोजना से आंध्र की 2.91 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी.
  • आंध्र से तेलंगाना अलग होने पर योजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित कर दिया गया.
  • अब केंद्र सरकार इसका क्रियान्वयन करेगी.
  • बांध से 970 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा.
  • छत्तीसगढ़ को 1.5 टीएमसी पानी मिलेगा पर बिजली में एक यूनिट की भी हिस्सेदारी नहीं मिलेगी.
  • परियोजना की लागत 8 हजार करोड़ से अधिक हो चुकी है.
Last Updated : Dec 25, 2020, 10:27 AM IST
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