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कई सिद्ध मंत्रों से अभिमंत्रित था भगवान श्री राम का धनुष कोदंड

Lord Shri Ram Dhanush Kodand: भगवान श्री राम का धनुष कोदंड कई सिद्ध मंत्रों से अभिमंत्रित था. यही कारण है कि ये धनुष हमेशा अपने लक्ष्य को भेदकर ही लौटता था.

Ram Dhanush Kodand was proven by many mantras
भगवान श्री राम का धनुष कोदंड
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 14, 2024, 5:58 AM IST

Updated : Jan 14, 2024, 6:34 AM IST

सिद्ध मंत्रों से अभिमंत्रित था भगवान श्री राम का धनुष कोदंड

रायपुर: प्राचीन समय में किसी प्रकार का कोई अत्याधुनिक हथियार नहीं होता था. उस जमाने में सबसे असरदार अस्त्र धनुष-बाण हुआ करता था. भगवान राम हमेशा अपने प्रिय धनुष को साथ में रखकर चलते थे. भगवान श्री राम के धनुष का नाम कोदंड था. इस धनुष बाण का इस्तेमाल भगवान राम राक्षसों का वध करने के लिए करते थे. रावण से युद्ध के दौरान भी भगवान राम ने धनुष का इस्तेमाल किया था.

कई मंत्रों से अभिमंत्रित था धनुष: पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी की मानें तो भगवान राम का धनुष चमत्कारिक धनुष था. भगवान राम के साथ ही उनके तीन भाइयों को धनुष बाण चलाने की शिक्षा गुरु वशिष्ठ ने दी थी. भगवान राम का धनुष को दंड बहुत प्रसिद्ध था. इसलिए भगवान श्री राम के धनुष को कोदंड भी कहा जाता है. कोदंड का अर्थ होता है बास से बना हुआ. यह एक चमत्कारिक धनुष था, जिसे हर कोई धारण नहीं कर सकता था. भगवान राम के इस धनुष को तरह-तरह के मंत्रो से अभिमंत्रित किया गया था.

इंद्र के पुत्र ने मांगी माफी: भगवान राम के धनुष कोदंड की एक खास विशेषता थी कि इस धनुष के से जो भी बाण छोड़ा जाता था, वह अपने लक्ष्य को भेदकर ही वापस आता था. ऐसी मान्यता है कि एक बार देवराज इंद्र के पुत्र जयंत ने श्री राम को चुनौती देने के लिए अहंकारवश कौवे का रूप धारण कर लिया था. वही कौवा सीता जी के पर को चोंच मारकर भाग गया. इसके बाद भगवान राम इस कौवे मारने के लिए धनुष पर तीर चढ़ाकर छोड़े, तो इंद्र का बेटा जयंत डर के मारे बच नहीं पाया और वापस भगवान राम की शरण में पहुंचकर माफी मांगने लगा.

समुद्र सुखाने के लिए राम ने उठाया था धनुष: एक बार समुद्र पार करने का जब कोई मार्ग समझ में नहीं आ रहा था तब भगवान श्री राम ने समुद्र को अपने तीर से सुखाने की सोची. उन्होंने धनुष में अपना तीर चढ़ाया तभी समुद्र के देवता प्रकट हो गए. भगवान श्री राम से प्रार्थना करने लगे थे. भगवान श्री राम को सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर माना जाता है. हालांकि भगवान राम अपने धनुष और बाण का उपयोग बहुत ही मुश्किल और कठिन समय में किया करते थे.

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कई मंत्रों से अभिमंत्रित था धनुष: पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी की मानें तो भगवान राम का धनुष चमत्कारिक धनुष था. भगवान राम के साथ ही उनके तीन भाइयों को धनुष बाण चलाने की शिक्षा गुरु वशिष्ठ ने दी थी. भगवान राम का धनुष को दंड बहुत प्रसिद्ध था. इसलिए भगवान श्री राम के धनुष को कोदंड भी कहा जाता है. कोदंड का अर्थ होता है बास से बना हुआ. यह एक चमत्कारिक धनुष था, जिसे हर कोई धारण नहीं कर सकता था. भगवान राम के इस धनुष को तरह-तरह के मंत्रो से अभिमंत्रित किया गया था.

इंद्र के पुत्र ने मांगी माफी: भगवान राम के धनुष कोदंड की एक खास विशेषता थी कि इस धनुष के से जो भी बाण छोड़ा जाता था, वह अपने लक्ष्य को भेदकर ही वापस आता था. ऐसी मान्यता है कि एक बार देवराज इंद्र के पुत्र जयंत ने श्री राम को चुनौती देने के लिए अहंकारवश कौवे का रूप धारण कर लिया था. वही कौवा सीता जी के पर को चोंच मारकर भाग गया. इसके बाद भगवान राम इस कौवे मारने के लिए धनुष पर तीर चढ़ाकर छोड़े, तो इंद्र का बेटा जयंत डर के मारे बच नहीं पाया और वापस भगवान राम की शरण में पहुंचकर माफी मांगने लगा.

समुद्र सुखाने के लिए राम ने उठाया था धनुष: एक बार समुद्र पार करने का जब कोई मार्ग समझ में नहीं आ रहा था तब भगवान श्री राम ने समुद्र को अपने तीर से सुखाने की सोची. उन्होंने धनुष में अपना तीर चढ़ाया तभी समुद्र के देवता प्रकट हो गए. भगवान श्री राम से प्रार्थना करने लगे थे. भगवान श्री राम को सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर माना जाता है. हालांकि भगवान राम अपने धनुष और बाण का उपयोग बहुत ही मुश्किल और कठिन समय में किया करते थे.

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Last Updated : Jan 14, 2024, 6:34 AM IST
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