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Dev Deepawali: देव दीपावली पर रखें इन खास बातों का ध्यान, होंगे कुबेर प्रसन्न - देव उठावनी एकादशी

देव दीपावली (Dev Deepawali) के दिन देवतागण (Dev) नदी के तट पर जाकर प्रसन्नता के साथ दिये (Deep) जलाते हैं. इस दिन को देवताओं की दीपावली (Diwali of the Gods) कहा जाता है. इस बार 18 नवंबर को देव दीपावली (Dev Deepawali) मनाई जाएगी.

Dev Deepawali
देव दीपावली पर
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Published : Oct 17, 2021, 9:48 PM IST

रायपुरः कार्तिक मास में देव दीपावली (Dev Deepawali) का खास महत्व है. इस बार 18 नवंबर को देव दीपावली मनायी जाएगी. इसे देवताओं की दीपावली (Diwali of the Gods) भी कहते हैं. कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्दशी को छोटी दीपावली (Choti dipawali) होती है, जिसे नरक चतुर्दशी (Narak chaturdashi) भी कहते हैं. इसके बाद अमावस्या को बड़ी दीपावली (Badi dipawali) मनाते हैं. लेकिन पूर्णिमा को देव दीपावली (Dev Deepawali) मनाई जाती है.

देव उठावनी एकादशी

कहते हैं कि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी (Ekadashi) को देव सो जाते हैं, तो वे चार माह बाद कार्तिक माह की एकादशी को उठते हैं. इस दिन को देव उठावनी (Dev uthawani) एकादशी (Ekadashi) भी कहा जाता है. यानी कि जिस दिन देव उठते हैं उसके बाद कार्तिक माह की पूर्णिमा को देव दीपावली मनायी जाती है. कहते हैं कि ये दीपावली देवता मनाते हैं.

देव दीपावली का महत्व

मान्यताओं के अनुसार देव दीपावली के दिन सभी देवता गंगा नदी के घाट पर आकर दीप जलाकर अपनी प्रसन्नता को दर्शाते हैं. इसलिए इस दिन यदि आप भी गंगा के तट पर दीप जलाकर देवताओं से किसी मनोकामना को लेकर प्रार्थना करेंगे, तो वह निश्चित ही पूरी होती है.

कहते हैं कि, इस दिन घरों में तुलसी के पौधे के आगे दीपक जलाना और भगवान विष्णु की पूजा करने से लक्ष्मी सदा के लिए प्रसन्न हो जाती है. इस दिन यदि तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाया जाए तो मां लक्ष्मी के साथ कुबेर भी प्रसन्न होते हैं और घर में धन का आगमन होता है.

इतना ही नहीं, इस दिन दीपदान करने से मनुष्य की उम्र लंबी होती है. कहते हैं कि पत्ते पर जलते हुए दीप को रखकर नदी में छोड़ने से मनुष्य कर्ज से मुक्ति पाता है.

रायपुरः कार्तिक मास में देव दीपावली (Dev Deepawali) का खास महत्व है. इस बार 18 नवंबर को देव दीपावली मनायी जाएगी. इसे देवताओं की दीपावली (Diwali of the Gods) भी कहते हैं. कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्दशी को छोटी दीपावली (Choti dipawali) होती है, जिसे नरक चतुर्दशी (Narak chaturdashi) भी कहते हैं. इसके बाद अमावस्या को बड़ी दीपावली (Badi dipawali) मनाते हैं. लेकिन पूर्णिमा को देव दीपावली (Dev Deepawali) मनाई जाती है.

देव उठावनी एकादशी

कहते हैं कि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी (Ekadashi) को देव सो जाते हैं, तो वे चार माह बाद कार्तिक माह की एकादशी को उठते हैं. इस दिन को देव उठावनी (Dev uthawani) एकादशी (Ekadashi) भी कहा जाता है. यानी कि जिस दिन देव उठते हैं उसके बाद कार्तिक माह की पूर्णिमा को देव दीपावली मनायी जाती है. कहते हैं कि ये दीपावली देवता मनाते हैं.

देव दीपावली का महत्व

मान्यताओं के अनुसार देव दीपावली के दिन सभी देवता गंगा नदी के घाट पर आकर दीप जलाकर अपनी प्रसन्नता को दर्शाते हैं. इसलिए इस दिन यदि आप भी गंगा के तट पर दीप जलाकर देवताओं से किसी मनोकामना को लेकर प्रार्थना करेंगे, तो वह निश्चित ही पूरी होती है.

कहते हैं कि, इस दिन घरों में तुलसी के पौधे के आगे दीपक जलाना और भगवान विष्णु की पूजा करने से लक्ष्मी सदा के लिए प्रसन्न हो जाती है. इस दिन यदि तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाया जाए तो मां लक्ष्मी के साथ कुबेर भी प्रसन्न होते हैं और घर में धन का आगमन होता है.

इतना ही नहीं, इस दिन दीपदान करने से मनुष्य की उम्र लंबी होती है. कहते हैं कि पत्ते पर जलते हुए दीप को रखकर नदी में छोड़ने से मनुष्य कर्ज से मुक्ति पाता है.

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