रायपुर: अजय चंद्राकर यह कहने से भी नहीं चूके कि "कवासी लखमा से इस्तीफा दिलवा कर भूपेश सरकार पूछताछ कर ले. जिसको कवासी लखमा दोषी बताएं, उसे भूपेश सरकार फांसी पर चढ़ा दे. लखमा यदि मेरा नाम भी लेते हैं तो मुझे भी फांसी दे दें. जांच के नाम पर भूपेश सरकार नाटक बंद करे. "अजय चंद्राकर ने यह सवाल भी उठाया कि ''झीरम में मारे गए लोगों के परिवारों और रिश्तेदार को क्या मिला? जांच के नाम पर सिर्फ हम न्याय दिलाएंगे, बस यही अबतक सुनने मिला है.''
झीरम का सच सामने है: अजय चंद्राकर ने अपने निवास पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए झीरम मामले को लेकर सरकार को घेरते हुए कहा कि "झीरम की जांच और झीरम का सत्य सामने है, जांच आयोग बनाने की जरूरत नहीं थी. लेकिन कांग्रेस को राजनीति करनी है. यदि जांच आयोग की रिपोर्ट सही समय में आएगी तो कांग्रेसी कौन से मुद्दे में राजनीति करेगी. दूसरी बात अब तक जितनी जांच कमेटी आयोग बनाए गए, उसमें किस की रिपोर्ट आ गई, शराबबंदी या स्काईवॉक कि रिपोर्ट आ गई. कमेटी कमेटियों का खेल यह लोग खेल रहे हैं."
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झीरम घटना में कवासी लखमा शामिल: चंद्राकर ने कहा "क्या जानना. जब प्रत्यक्षदर्शी कांग्रेस सरकार में मंत्री है.उनसे इस्तीफा दिलवाकर सारी बात पूछ ले, क्या घटना घटी. नाटक क्यों कर रहे हैं. कवासी लखमा घटना में शामिल है, प्रत्यक्षदर्शी है, जिसको दोषी बताए उनको भूपेश बघेल फांसी में चढ़ा दे, हो गई जांच और क्या. नाटक बंद करना चाहिए. कवासी लखमा से रोज पूछताछ होनी चाहिए. लेकिन सवाल इस बात का है कि इसमें सिर्फ और सिर्फ राजनीति हो रही है."
झीरम नक्सली हमले की जांच का कार्यकाल बढ़ा: राज्य सरकार ने झीरम न्यायिक जांच का कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है. बताया जा रहा है कि आयोग ने जांच पूरा नहीं होने का आधार बनाया है. इसी आधार पर राज्य शासन ने झीरम न्यायिक जांच का कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़ा दिया. जांच आयोग का कार्यकाल बढ़ाने की सूचना राजपत्र में प्रकाशित की गई है.
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छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा नक्सली हमला: 25 मई 2013 को कांग्रेस ने परिवर्तन यात्रा निकाली थी. कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता इस परिवर्तन यात्रा में हिस्सा लेते हुए दरभा घाटी के झीरम पहुंचे थे कि, तभी नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला कर दिया. अचानक हुए हमले में कांग्रेस नेताओं और उनके सुरक्षा गार्ड को संभलने का मौका तक नहीं मिला. नक्सलियों ने कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा को ढूंढकर गोली मारी. उसके बाद नक्सलियों ने एक एक कर छत्तीसगढ़ कांग्रेस के नेताओं को मौत के घाट उतार दिया. इस हमले में महेंद्र कर्मा के अलावा तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उदय मुदलियार समेत कांग्रेस के 29 नेताओं की मौत घटनास्थल पर ही हो गई थी. इलाज के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल की भी जान चली गई थी. इस नरसंहार के 10 साल पूरे होने वाले हैं, बावजूद इसके इस मामले में अब तक कोई बड़ी पहल नहीं की गई. सिर्फ जांच आयोग गठित कर कार्यकाल को ही बढ़ाया गया है. ना ही अब तक इस मामले के दोषियों को सजा मिल सकी है. यही वजह है कि आज भी झीरम घाटी मारे गए लोगों के परिजन और रिश्तेदार न्याय की आस लगाए बैठे हैं.