रायपुर/हैदराबाद: भगवान श्रीकृष्ण, भगवान विष्णु के 8वें अवतार माने जाते हैं. श्रीकृष्ण का जन्म द्वापरयुग में हुआ था. कृष्ण वासुदेव और देवकी की 8वीं संतान थे. भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारावास में हुआ था. लेकिन इनका लालन पालन गोकुल में यशोदा और नंद द्वारा किया गया था. महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाई थी और उन्हें भगवद्गीता का ज्ञान दिया था. उन्हें कान्हा, कन्हैया, श्याम, वासुदेव, माधव, गोविंद सहित 108 नामों से पुकारा जाता है. भगवान श्री कृष्ण के 108 नाम क्या है आइए जानते हैं. जन्माष्टमी के मौके पर हम आपको भगावन श्रीकृष्ण के 108 नामों के बारे में बता रहे हैं. जिनका जाप करने से आपके हर काम पूरे हो जाएंगे.
भगवान श्री कृष्ण के 108 नाम:
- कृष्ण
- कमलनाथ
- वासुदेव
- सनातन
- वसुदेवात्मज
- पुण्य
- लीलामानुष विग्रह
- श्रीवत्स कौस्तुभधराय
- यशोदावत्सल
- हरि
- चतुर्भुजात्त चक्रासिगदा
- सङ्खाम्बुजा युदायुजाय
- देवाकीनन्दन
- श्रीशाय
- गोवर्थनाचलोद्धर्त्रे
- गोपाल
- सर्वपालकाय
- अजाय
- निरञ्जन
- कामजनक
- कञ्जलोचनाय
- मधुघ्ने
- मथुरानाथ
- द्वारकानायक
- बलि
- बृन्दावनान्त सञ्चारिणे
- तुलसीदाम भूषनाय
- स्यमन्तकमणेर्हर्त्रे
- नरनारयणात्मकाय
- कुब्जा कृष्णाम्बरधराय
- मायिने
- परमपुरुष
- मुष्टिकासुर चाणूर मल्लयुद्ध विशारदाय
- नन्दगोप प्रियात्मज
- यमुनावेगा संहार
- बलभद्र प्रियनुज
- पूतना जीवित हर
- शकटासुर भञ्जन
- नन्दव्रज जनानन्दिन
- सच्चिदानन्दविग्रह
- नवनीत विलिप्ताङ्ग
- नवनीतनटन
- मुचुकुन्द प्रसादक
- षोडशस्त्री सहस्रेश
- त्रिभङ्गी
- मधुराकृत
- शुकवागमृताब्दीन्दवे
- गोविन्द
- योगीपति
- वत्सवाटि चराय
- अनन्त
- धेनुकासुरभञ्जनाय
- तृणी-कृत-तृणावर्ताय
- यमलार्जुन भञ्जन
- उत्तलोत्तालभेत्रे
- तमाल श्यामल कृता
- गोप गोपीश्वर
- योगी
- कोटिसूर्य समप्रभा
- इलापति
- परंज्योतिष
- यादवेंद्र
- यदूद्वहाय
- वनमालिने
- पीतवससे
- पारिजातापहारकाय
- संसारवैरी
- कंसारिर
- मुरारी
- नाराकान्तक
- अनादि ब्रह्मचारिक
- कृष्णाव्यसन कर्शक
- शिशुपालशिरश्छेत्त
- बर्हिबर्हावतंसक
- पार्थसारथी
- अव्यक्त
- गीतामृत महोदधी
- कालीयफणिमाणिक्य रञ्जित श्रीपदाम्बुज
- दामॊदर
- यज्ञभोक्त
- दानवॆन्द्र विनाशक
- नारायण
- परब्रह्म
- पन्नगाशन वाहन
- जलक्रीडा समासक्त गॊपीवस्त्रापहाराक
- पुण्य श्लॊक
- तीर्थकरा
- वॆदवॆद्या
- दयानिधि
- सर्वभूतात्मका
- सर्वग्रहरुपी
- परात्पराय
- दुर्यॊधनकुलान्तकृत
- विदुराक्रूर वरद
- विश्वरूपप्रदर्शक
- सत्यवाचॆ
- सत्य सङ्कल्प
- सत्यभामारता
- जयी
- सुभद्रा पूर्वज
- विष्णु
- भीष्ममुक्ति प्रदायक
- जगद्गुरू
- जगन्नाथ
- वॆणुनाद विशारद
- वृषभासुर विध्वंसि
- बाणासुर करान्तकृत
- युधिष्ठिर प्रतिष्ठात्रे
जन्माष्टमी पर शुभ मुहूर्त और योग (Janmashtami 2022 muhurt): इस बार अभिजीत मुहूर्त 18 अगस्त को रात 12 बजकर 05 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक है. वृद्धि योग भी इस साल 17 अगस्त को शाम 08 बजकर 56 मिनट से लेकर 18 अगस्त को शाम 08 बजकर 41 मिनट तक है. बात करें धुव्र योग की तो इस साल धुव्र योग 18 अगस्त को शाम 08 बजकर 41 मिनट से लेकर 19 अगस्त को शाम 08 बजकर 59 मिनट तक है.