रायपुर : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में वादों और चुनावी घोषणाओं के बीच कुछ विधानसभा सीटों पर हम नाम उम्मीदवारों की दावेदारी भी सामने आई है. ये हम नाम उम्मीदवार क्यों खड़े हैं और इनका काम क्या है.आज हम आपको अपनी इस खबर में बताएंगे.आपको याद होगा जब 2014 में लोकसभा चुनाव हुए थे. तो महासमुंद लोकसभा सीट से अजीत जोगी ने कांग्रेस पार्टी से पर्चा भरा था.वहीं बीजेपी की ओर से चंदूलाल मैदान में थे.इस दौरान महासमुंद लोकसभा सीट पर बीजेपी के चंदूलाल के अलावा 10 और चंदूलाल ने निर्दलीय पर्चा भरा.
क्या था नतीजा ? : 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजे भी काफी चौकाने वाले थे. अजीत जोगी अपने प्रतिद्वंदी चंदूलाल से आखिरी दौर तक आगे चले.लेकिन जब अंतिम समय में रिजल्ट आया तो अजीत जोगी महज 1 हजार वोटों से चुनाव हार गए.जिसे लेकर अजीत जोगी ने चुनाव आयोग से शिकायत भी की.लेकिन अजीत जोगी की शिकायत से पहले ही बीजेपी प्रत्याशी चंदूलाल ने भी एक शिकायत दर्ज की थी. आईए जानते हैं.क्यों चंदूलाल की शिकायत में दम था.
बीजेपी ने लगाए थे आरोप : बीजेपी ने उस समय आरोप लगाया था कि जिन 10 अन्य चंदूलाल ने नामांकन दाखिल किया,वो सभी नामांकन के बाद से ही गायब थे. यही नहीं चुनाव में जो धरोहर राशि 10 चंदूलालों ने जमा की थी उन सभी के सीरियल नंबर भी एक ही थे.इन आरोपों पर इसलिए भी सच्चाई दिखती है क्योंकि एक ही नाम के एक ही लोकसभा से 10 लोगों का होना इत्तेफाक नहीं हो सकता है. इन 10 चंदूलालों ने मिलकर बीजेपी का विजय रथ लगभग रोक ही दिया था.क्योंकि चंद हजार वोटों से ही अजीत जोगी की हार हुई थी.ऐसे में यदि एक और चंदू होता तो ना जाने क्या होता.ये तो थी एक पुरानी कहानी जो हमने आपको बताई.लेकिन मौजूदा विधानसभा चुनाव में 10 चंदूलाल तो नहीं लेकिन कुछ विधानसभा सीटों पर हम नाम उम्मीदवार जरुर खड़े हैं.जो इसी तरह से किसी भी प्रत्याशी का खेल बिगाड़ सकते हैं.
कवर्धा : कवर्धा विधानसभा सीट पर कांग्रेस के कद्दावर मंत्री मोहम्मद अकबर चुनाव लड़ रहे हैं.अकबर के मुकाबले उन्हीं के हम नाम अकबर भाई भी चुनावी मैदान में थे. यदि किसी ने चुनाव चिन्ह पर ध्यान नहीं दिया हो तो आप समझ ही सकते हैं किसका वोट किसको गया होगा.
भटगांव: भटगांव में कांग्रेस ने पारसनाथ राजवाड़े को टिकट दिया है.लेकिन इसी सीट पर निर्दलीय पारस राजवाड़े भी चुनाव लड़ रहे हैं.
सीतापुर : सीतापुर में अमरजीत भगत कांग्रेस के उम्मीदवार हैं.जिनके मुकाबले बीजेपी के रामकुमार टोप्पो मैदान में हैं.लेकिन इसी सीट पर तीन रामकुमार निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं.
प्रतापपुर : प्रतापपुर सीट ने शकुंतला सिंह पोर्ते को टिकट दिया है. इस सीट से एक निर्दलीय प्रत्याशी शकुंतला भी चुनाव लड़ रही हैं.
रामानुजगंज : इस सीट पर कांग्रेस के डॉ. अजय कुमार तिर्की प्रत्याशी हैं. इस सीट से निर्दलीय अजय तिर्की भी चुनाव लड़ रहे हैं.
जांजगीर-चांपा : जांजगीर चांपा में तीन ब्यास कश्यप चुनाव लड़ रहे हैं.
जशपुर : जशपुर विधानसभा में दो प्रत्याशियों के नाम प्रदीप हैं.
कोटा : कोटा विधानसभा में कांग्रेस बीजेपी और जेसीसीजे के बीच मुकाबला है.लेकिन इस सीट पर दो निर्दलीय मनोज भी चुनाव लड़ रहे हैं.
धरसींवा : धरसींवा से रवि कुमार और रवि दास निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
कोरबा : बीजेपी के लखनलाल देवांगन के सामने लखन लाल देवांगन के नाम से एक निर्दलीय प्रत्याशी भी है.
बिलासपुर : पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल के खिलाफ परिवर्तन पार्टी ऑफ इंडिया की टिकट पर अमर भी चुनाव लड़ रहे हैं.
रायपुर दक्षिण : दो मनीष चुनाव मैदान में हैं. एक मनीष कुमार ठाकुर जोहार छत्तीसगढ़ से चुनाव लड़ रहे हैं तो दूसरे मनीष श्रीवास्तव समाजवादी पार्टी से मैदान में हैं.
आरंग : मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया के सामने निर्दलीय शिव कुमार भी चुनाव मैदान में हैं.
पाटन : अमित जोगी ने अपनी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ पार्टी से पर्चा दाखिल किया है. वहीं आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी का नाम अमित कुमार हिरवानी है.
दुर्ग शहर : कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायक अरुण वोरा को टिकट दिया है. इस सीट से चुनाव लड़ रहे एक निर्दलीय प्रत्याशी का नाम अरुण जोशी है.
सक्ती : विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरण दास महंत के सामने बीजेपी ने इस बार सक्ती सीट से डॉ. खिलावन राम साहू को मैदान में उतारा है. इसी सीट से चुनाव लड़ रहे एक निर्दलीय प्रत्याशी का नाम भी खिलावन साहू है.
महासमुंद : बीजेपी योगेश्वर राजू सिन्हा के सामने योगेश ठाकुर निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में चुनाव मैदान में हैं.
क्यों मैदान में उतरते हैं हम नाम उम्मीदवार ?: हम नाम उम्मीदवारों को लेकर वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा ने कहा कि ऐसा वोट काटने के लिए किया जाता है.कुछ राजनीतिक दल मिलते-जुलते नाम के उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतार देते हैं .जिससे उसका वोट बंटता है. हालांकि यह अनाधिकृत तौर पर होता है.
'' न सिर्फ हम नाम बल्कि एक सा सरनेम जाति धर्म समुदाय के लोगों को भी चुनावी मैदान में उतरा जाता है. जिससे ज्यादा से ज्यादा वोट कट सके. चुनाव में हम नाम उम्मीदवार इत्तेफाक से कम और जानबूझकर ज्यादा उतारे जाते हैं. जिसका चुनाव पर ज्यादा असर तो नहीं लेकिन थोड़ा प्रभाव जरूर पड़ता है.'' उचित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार
हम नाम उम्मीदवार के कारण मतदाता कंफ्यूज हो जाता है.वह अपने पसंदीदा उम्मीदवार की जगह जो नाम सामने दिख जाता है उसे वोट कर देता है. मतदान के वक्त कई मतदाता चुनाव चिन्ह पर फोकस नहीं कर पाते हैं.इस बार भी कई हम नाम उम्मीदवार चुनाव के मैदान में हैं.जो कहीं ना कहीं कुछ वोट तो जरुर काटेंगे.