गौरेला-पेंड्रा-मरवाही: जो सपना कभी बीजेपी ने देखा, वो पूरा तो हुआ लेकिन कांग्रेस का. 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 70 सीट जीतने के दावे किए थे लेकिन इसे सच कर दिखाया कांग्रेस ने. मरवाही के दिल में केके ध्रुव के बसते ही छत्तीसगढ़ विधानसभा में कांग्रेस के 70 विधायक हो गए हैं. जोगी के गढ़ में पंजे ने 38 हजार से ज्यादा मतों से शिकंजा कसा और इसी खुशी में मंत्री से लेकर पीसीसी चीफ तक झूमकर नाचे.
मरवाही विजय पर कांग्रेस जश्न मना रही है, बीजेपी आरोप लगा रही है और अमित जोगी का दिल टूटा नजर आ रहा है. जीत के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने डॉ. केके ध्रुव को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने ट्वीट कर लिखा 'मरवाही का उपचुनाव महज विधायक चुनने का चुनाव नहीं था, बल्कि यह मरवाही के साथ बीते 18 सालों तक हुए छल को जनता द्वारा लोकतांत्रिक जवाब देने की परीक्षा थी. मुझे खुशी है कि मरवाही की जनता ने इस परीक्षा को प्रचंड बहुमत से उत्तीर्ण किया है. डॉ. केके ध्रुव जी को बधाई एवं शुभकामनाएं'
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पूरी मतगणना के दौरान बीजेपी प्रत्याशी डॉक्टर गंभीर सिंह कभी भी मुकाबले में नहीं दिखे. दोनों ही प्रत्याशियों के बीच मतों का अंतर लगातार बढ़ता चला गया और आखिर में कांग्रेस ने 38 हजार से ज्यादा मतों से रिकॉर्ड जीत हासिल की. डॉ. केके ध्रुव ने कहा कि मरवाही की जनता विकास चाहती है, वे डॉक्टर हैं और आनेवाले दिनों में वे चिकित्सा के क्षेत्र में बेहतर काम करेंगे. वहीं पूर्व सीएम रमन सिंह ने मरवाही उपचुनाव में भूपेश सरकार पर जन, बल और धन बल लगाने का आरोप लगाया है.
मरवाही सीट पर ऐतिहासिक वोटों से जीत
बहरहाल, छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद यह सीट खाली हुई थी.छत्तीसगढ़ बनने के बाद इस सीट पर जोगी परिवार का ही कब्जा रहा था, लेकिन इस बार जोगी परिवार चुनाव से पहले ही मैदान से बाहर हो गई थी. जिसका कांग्रेस को भरपूर फायदा मिला. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) और बीजेपी के एक साथ आने के बाद भी कांग्रेस ने इस मुकाबले को आसानी से अपने कब्जे में कर लिया.