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23 March Martyr Day :जानिए क्यों मनाया जाता है शहीद दिवस

भारत देश में 23 मार्च का दिन काले अध्याय के तौर पर याद किया जाता है. इस दिन हमारे देश ने वीर सपूत भगत सिंह समेत सुखदेव और राजगुरू को खोया था. इन तीनों ने भारत माता को अंग्रेजों के चंगुल से छुड़ाने के लिए अपनी शहादत दी थी.

23March Martyr Day
शहीद दिवस का इतिहास
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Published : Mar 18, 2023, 5:23 PM IST

रायपुर : हर साल 23 मार्च को भारतीय शहीद दिवस मनाया जाता है. इस दिन उन वीर शहीदों को याद किया जाता है जिन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया. यह दिन भारत के इतिहास में एक काले अध्याय के तौर पर जाना जाता है.

क्या हुआ था शहीद दिवस के दिन : इस दिन ब्रिटिश सरकार ने स्वतंत्रता सेनानियों भगत सिंह, शिवराम राजगुरु, और सुखदेव को 1931 में लाहौर जेल में फांसी दी थी. तीनों वीर सपूतों को बिट्रिश शासन ने फांसी से बचने के लिए अपील करने का मौका भी नहीं दिया था.यहां तक की महात्मा गांधी ने तीनों क्रांतिकारियों का केस लड़ने से भी मना कर दिया था. लिहाजा 23 मार्च 1931 को चोरी छिपे अचानक भगत सिंह,सुखदेव और राजगुरू को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया. इसके अलावा देश में 30 जनवरी का दिन भी शहीद दिवस के रुप में मनाया जाता है. इसी दिन भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे ने की थी.

ये भी पढ़ें- जानिए क्यों मनाई जाती है झूलेलाल जयंती

कौन थे भगत सिंह,सुखदेव और राजगुरु : भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी देने का आदेश ब्रिटिश सहायक पुलिस अधीक्षक जॉन सॉन्डर्स की हत्या के बाद दिया गया था. वीरता की कहानी तब शुरू होती है. जब नवंबर 1928 में लाला लाजपत राय ने दम तोड़ा था. लाला लाजपत राय ने साइमन कमीशन के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन चलाया था. तभी ब्रिटिश पुलिस अधीक्षक जेम्स ए स्कॉट ने पुलिस को लाठीचार्ज करने का आदेश दिया.

प्रदर्शनकारियों में लाला लाजपत राय को गंभीर चोटें आईं. इस चोट से लाला लाजपतराय की मौत हो गई. इस मौत के बाद ही भगत सिंह ने स्कॉट से बदला लेने की ठानी. हालांकि उन्होंने गलती से जॉन सॉन्डर्स को मार डाला. इसके बाद 8 अप्रैल 1929 को सेंट्रल असेंबली में बम फेंका. जहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

रायपुर : हर साल 23 मार्च को भारतीय शहीद दिवस मनाया जाता है. इस दिन उन वीर शहीदों को याद किया जाता है जिन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया. यह दिन भारत के इतिहास में एक काले अध्याय के तौर पर जाना जाता है.

क्या हुआ था शहीद दिवस के दिन : इस दिन ब्रिटिश सरकार ने स्वतंत्रता सेनानियों भगत सिंह, शिवराम राजगुरु, और सुखदेव को 1931 में लाहौर जेल में फांसी दी थी. तीनों वीर सपूतों को बिट्रिश शासन ने फांसी से बचने के लिए अपील करने का मौका भी नहीं दिया था.यहां तक की महात्मा गांधी ने तीनों क्रांतिकारियों का केस लड़ने से भी मना कर दिया था. लिहाजा 23 मार्च 1931 को चोरी छिपे अचानक भगत सिंह,सुखदेव और राजगुरू को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया. इसके अलावा देश में 30 जनवरी का दिन भी शहीद दिवस के रुप में मनाया जाता है. इसी दिन भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे ने की थी.

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कौन थे भगत सिंह,सुखदेव और राजगुरु : भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी देने का आदेश ब्रिटिश सहायक पुलिस अधीक्षक जॉन सॉन्डर्स की हत्या के बाद दिया गया था. वीरता की कहानी तब शुरू होती है. जब नवंबर 1928 में लाला लाजपत राय ने दम तोड़ा था. लाला लाजपत राय ने साइमन कमीशन के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन चलाया था. तभी ब्रिटिश पुलिस अधीक्षक जेम्स ए स्कॉट ने पुलिस को लाठीचार्ज करने का आदेश दिया.

प्रदर्शनकारियों में लाला लाजपत राय को गंभीर चोटें आईं. इस चोट से लाला लाजपतराय की मौत हो गई. इस मौत के बाद ही भगत सिंह ने स्कॉट से बदला लेने की ठानी. हालांकि उन्होंने गलती से जॉन सॉन्डर्स को मार डाला. इसके बाद 8 अप्रैल 1929 को सेंट्रल असेंबली में बम फेंका. जहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

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