रायपुर: कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए जारी लॉकडाउन की सबसे ज्यादा मार प्रदेश के जिम पर पड़ी है. लोगों की सेहत को तंदरुस्त रखने वाले जिम पर ताले लटके हैं. जिससे जिम संचालकों और ट्रेनरों के सामने आर्थिक तंगी के हालात पैदा हो गए हैं. जिम मालिकों को सबसे ज्यादा घाटा किराए और बिजली के बिल से हो रहा है.
लॉकडाउन के दौरान लोग जिम नहीं आ रहे हैं. ऐसे में कमाई का सवाल ही नहीं उठता. लेकिन अधिकांश जिम बड़े-बड़े कांप्लेक्स में स्थित हैं. अधिकतर जिम रेंट पर हैं. जिनका किराया बहुत ज्यादा हैं. बिना कमाई के किराया देना मालिकों पर आर्थिक प्रहार जैसा है.
कितना घाटा उठा रहे संचालक
राजधानी में ही 250 से ज्यादा छोटे और बड़े जिम हैं. जिसमें करीबन 5 हजार जिम ट्रेनर काम करते हैं. वहीं पूरे प्रदेश की बात की जाए तो पूरे प्रदेश में लगभग 1 हजार से ज्यादा छोटे और बड़े जिम हैं. वहीं करीब 10 हजार से 15 हजार जिम ट्रेनर हैं. जो जिम में काम करते हैं. जिम ट्रेनर की औसतन वेतन महीने में 10 हजार से 15 हजार होती है. वहीं अगर वह पर्सनल ट्रेनर की आकड़ों की ओर देखा जाए तो 20 हजार से 25 हजार तक ट्रेनर हैं. ऐसे में न तो जिम को पैसे ना ही इन्हें वेतन मिल पा रहा है.
पढ़ें:EXCLUSIVE : मजदूरों की रोटी 'डकार' गए जिम्मेदार, 9 महीने से नहीं मिली मनरेगा की मजदूरी
स्वास्थ्य पर असर
जिम ट्रेनरों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है. दरअसल ट्रेनर लगातार जिम में मेहनत करते हैं. ऐसे में अचानक जिम के बंद हो जाने से उनके स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ रहा है. उन्हें सही डाइट भी नहीं मिल पा रही है. ऐसे में उनके शरीर पर इसका प्रभाव पड़ रहा है.
जिम चलने के आसार कम
ट्रेनरों का कहना है कि आने वाले वक्त में जिम खुलने के बाद भी लंबे समय तक लोगों के जिम आने की संभावना बहुत कम है. क्योंकि जिम के प्रति प्रेरित होने में ही लोगों को वक्त लगता है, ऊपर से कोरोना वायरस का डर भी लोगों में व्याप्त हो चुका है. ऐसे में शायद ही लोग जिम की ओर आएं. लोगों को स्वस्थ और फिट रखने वाली ये इंडस्ट्री कोरोना संकट की वजह से बदहाली की कगार पर है. ऐसे में जिम संचालकों के साथ ही ट्रेनरों को भी सरकार से राहत की उम्मीद है.