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जन गण मन: छत्तीसगढ़ के घनश्याम, संविधान को हिन्दी में लाने वाले, आम जन तक पहुंचाने वाले - रायपुर की बड़ी खबर

छत्तीसगढ़ की माटी में जन्मे डॉक्टर घनश्याम गुप्त ने भारतीय संविधान के निर्माण और उसे हिन्दी में अनुवाद करने जैसे बेहद महत्वपूर्ण कार्यों में योगदान दिया है. उनके इस योगदान गणतंत्र दिवस के अवसर पर ETV भारत ने नमन किया है.

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Published : Jan 23, 2020, 6:46 PM IST

Updated : Jan 26, 2020, 12:05 AM IST

रायपुर: भारतीय संविधान ने 70 साल पूरे कर लिए हैं. बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में गठित ड्रॉफ्ट कमेटी ने भारत की जनता के लिए जो संविधान बनाया था, उसे 26 जनवरी1950 को लागू किया गया था. भारत ने 26 नवंबर, 1949 को संविधान अंगीकार किया था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस संविधान की प्रति आप हिन्दी में पढ़ते हैं, उसका श्रेय किसे जाता है.

छत्तीसगढ़ के घनश्याम, संविधान को हिन्दी में लाने वाले, आम जन तक पहुंचाने वाले

डॉक्टर घनश्याम गुप्त, छत्तीसगढ़ के वो माटीपुत्र, जिनकी वजह से भारतीय संविधान हिन्दी में हम तक पहुंचा है. आजादी के पहले 1946 में संविधान सभा की पहली बैठक हुई थी, इस बैठक में ही कुछ सदस्यों ने प्रस्ताव रखा कि संविधान का हिंदी में भी अनुवाद हो, जिससे आम लोगों की पहुंच आसान हो सके. 1947 में अनुवाद समिति की पहली बैठक हुई. इसके बाद दूसरी बैठक में घनश्याम सिंह गुप्त को इस समिति का सर्वमान्य अध्यक्ष चुना गया. 41 सदस्यीय इस समिति में कई भाषाविद् और कानून के जानकार शामिल थे. 24 जनवरी 1950 को घनश्याम गुप्त ने डॉ राजेन्द्र प्रसाद को संविधान की हिंदी प्रति सौंपी.

Ghanshyam Gupta
छत्तीसगढ़ के माटीपुत्र घनश्याम गुप्त

बापू से थी करीबी
आजादी के संघर्ष के दौरान ही घनश्याम गुप्त और महात्मा गांधी के करीबी संबंध थे. बापू भाषा के ज्ञान के लिए अक्सर घनश्याम गुप्ता की तारीफ किया करते थे. अपनी छत्तीसगढ़ यात्रा के दौरान गांधी जी घनश्याम गुप्ता के घर रुके भी थे. उस वक्त कांग्रेस पार्टी में भी उनकी अच्छी पैठ थी. वे सीपी-बरार स्टेट की विधानसभा के लगभग 15 साल तक अध्यक्ष रहे थे.

Ghanshyam Gupta
घनश्याम गुप्त
  • घनश्याम गुप्त का जन्म 22 दिसंबर 1885 को दुर्ग में हुआ था.
  • प्रारंभिक शिक्षा दुर्ग और और रायपुर में हुई.
  • इसके बाद उन्होंने जबलपुर और इलाहाबाद में उच्च शिक्षा ग्रहण की.
  • आजादी के बाद भी वे लगातार नारी शिक्षा, सामाजिक चेतना के लिए काम करते रहे और धर्मांतरण को रोकने के लिए भी वे लगातार मुखर रहे.
  • 13 जून 1976 को ये संविधान पुरुष चीर निंद्रा में सो गया.
    Ghanshyam Gupta
    छत्तीसगढ़ के घनश्याम गुप्त

नहीं मिला उचित स्थान
छत्तीसगढ़ की माटी में जन्मे इस महापुरुष ने भारतीय संविधान के निर्माण और उसे हिन्दी में अनुवाद करने जैसे बेहद महत्वपूर्ण कार्यों में योगदान दिया और इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए अंकित हो गए. अफसोस इस बात का है कि छत्तीसगढ़ के इस माटी पुत्र को उस तरह याद नहीं किया जाता जिसका वे हकदार थे. प्रदेश के ज्यादातर लोगों को उनके विषय में पता भी नहीं है.

ETV भारत गणतंत्र दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ के माटीपुत्र घनश्याम गुप्त को नमन कर रहा है.

रायपुर: भारतीय संविधान ने 70 साल पूरे कर लिए हैं. बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में गठित ड्रॉफ्ट कमेटी ने भारत की जनता के लिए जो संविधान बनाया था, उसे 26 जनवरी1950 को लागू किया गया था. भारत ने 26 नवंबर, 1949 को संविधान अंगीकार किया था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस संविधान की प्रति आप हिन्दी में पढ़ते हैं, उसका श्रेय किसे जाता है.

छत्तीसगढ़ के घनश्याम, संविधान को हिन्दी में लाने वाले, आम जन तक पहुंचाने वाले

डॉक्टर घनश्याम गुप्त, छत्तीसगढ़ के वो माटीपुत्र, जिनकी वजह से भारतीय संविधान हिन्दी में हम तक पहुंचा है. आजादी के पहले 1946 में संविधान सभा की पहली बैठक हुई थी, इस बैठक में ही कुछ सदस्यों ने प्रस्ताव रखा कि संविधान का हिंदी में भी अनुवाद हो, जिससे आम लोगों की पहुंच आसान हो सके. 1947 में अनुवाद समिति की पहली बैठक हुई. इसके बाद दूसरी बैठक में घनश्याम सिंह गुप्त को इस समिति का सर्वमान्य अध्यक्ष चुना गया. 41 सदस्यीय इस समिति में कई भाषाविद् और कानून के जानकार शामिल थे. 24 जनवरी 1950 को घनश्याम गुप्त ने डॉ राजेन्द्र प्रसाद को संविधान की हिंदी प्रति सौंपी.

Ghanshyam Gupta
छत्तीसगढ़ के माटीपुत्र घनश्याम गुप्त

बापू से थी करीबी
आजादी के संघर्ष के दौरान ही घनश्याम गुप्त और महात्मा गांधी के करीबी संबंध थे. बापू भाषा के ज्ञान के लिए अक्सर घनश्याम गुप्ता की तारीफ किया करते थे. अपनी छत्तीसगढ़ यात्रा के दौरान गांधी जी घनश्याम गुप्ता के घर रुके भी थे. उस वक्त कांग्रेस पार्टी में भी उनकी अच्छी पैठ थी. वे सीपी-बरार स्टेट की विधानसभा के लगभग 15 साल तक अध्यक्ष रहे थे.

Ghanshyam Gupta
घनश्याम गुप्त
  • घनश्याम गुप्त का जन्म 22 दिसंबर 1885 को दुर्ग में हुआ था.
  • प्रारंभिक शिक्षा दुर्ग और और रायपुर में हुई.
  • इसके बाद उन्होंने जबलपुर और इलाहाबाद में उच्च शिक्षा ग्रहण की.
  • आजादी के बाद भी वे लगातार नारी शिक्षा, सामाजिक चेतना के लिए काम करते रहे और धर्मांतरण को रोकने के लिए भी वे लगातार मुखर रहे.
  • 13 जून 1976 को ये संविधान पुरुष चीर निंद्रा में सो गया.
    Ghanshyam Gupta
    छत्तीसगढ़ के घनश्याम गुप्त

नहीं मिला उचित स्थान
छत्तीसगढ़ की माटी में जन्मे इस महापुरुष ने भारतीय संविधान के निर्माण और उसे हिन्दी में अनुवाद करने जैसे बेहद महत्वपूर्ण कार्यों में योगदान दिया और इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए अंकित हो गए. अफसोस इस बात का है कि छत्तीसगढ़ के इस माटी पुत्र को उस तरह याद नहीं किया जाता जिसका वे हकदार थे. प्रदेश के ज्यादातर लोगों को उनके विषय में पता भी नहीं है.

ETV भारत गणतंत्र दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ के माटीपुत्र घनश्याम गुप्त को नमन कर रहा है.

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फीड लाइव यू से गई है।

हमारे संविधान को लागू हुए 70 साल होने जा रहे हैं. इस मौके पर हम उन शख्सियतों को याद कर रहे हैं जिनका इस महान संविधान के निर्माण में योगदान रहा है. इसी कड़ी में हम एक ऐसे शख्स के बारे में जानकारी देते हैं जिसने संविधान को आम लोगों के बीच लेकर आने में अहम योगदान दिया. हम बात कर रहे हैं घनश्याम सिंह गुप्त की जिन्होंने न केवल संविधान के निर्माण में अहम योगदान दिया बल्कि उसे हिन्दी में अनुवाद करने वाली समिति के अध्यक्ष भी थे. लेकिन दुर्भाग्य है कि दुर्ग के रहने वाले छत्तीसगढ़ के इस माटी पुत्र को उस तरह याद नहीं किया जाता जिसका वे हकदार थे..

Body:ओपनिंग पीटीसी-

आजादी के पहले 1946 में ही भारत संविधान सभा की पहली बैठक हुई थी इस बैठक में ही कुछ सदस्यों ने प्रस्ताव रखा कि संविधान का हिंदी में भी अनुवाद हो, ताकि आम लोगों की पहुंच भी इस तक हो. 1947 में अनुवाद समिति की पहली बैठक हुई, इसके बाद दूसरी बैठक में घनश्याम सिंह गुप्त को इस समिति का सर्वमान्य अध्यक्ष चुना गया. इस 41 सदस्यीय इस समिति में कई भाषाविद् और कानून के जानकार शामिल थे. 24 जनवरी 1950 को घनश्याम गुप्ता ने डॉ राजेन्द्र प्रसाद को संविधान की हिंदी प्रति सौंपते हैं.

बाइट- जितेंद्र गुप्ता, पोता, घनश्याम गुप्ता
(शाल ओढे हुए)

बाइट- राजकुमार गुप्ता, सामाजिक कार्यकर्ता
(सफेद शर्ट में)

Conclusion:आजादी के लिए संघर्ष के दौरान ही घनश्याम गुप्त महात्मा गांधी से नजदीकी संबंध स्थापित कर लिए बापू घनश्याम गुप्ता की भाषा की अक्सर तारीफ भी किया करते थे. अपनी छत्तीसगढ़ की यात्रा के दौरान महात्मा गांधी घनश्याम गुप्ता के घर पर रुके भी थे. उस वक्त कांग्रेस पार्टी में भी उनकी अच्छी पैठ थी वे सीपी-बरार स्टेट की विधानसभा के लगभग 15 साल तक अध्यक्ष रहे थे. गुप्त का जन्म 22 दिसंबर 1885 को दुर्ग में हुआ था, प्रारंभिक शिक्षा दुर्ग और और रायपुर में हुई इसके बाद उन्होंने जबलपुर और इलाहाबाद में उच्च शिक्षा ग्रहण की. आजादी के बाद भी वे लगातार नारी शिक्षा, सामाजिक चेतना के लिए काम करते रहे और धर्मांतरण को रोकने के लिए भी वे लगातार मुखर रहे 13 जून 1976 को ये संविधान पुरुष चीर निंद्रा में सो जाता है…।

छत्तीसगढ़ की माटी में जन्मे इस महापुरुष ने भारतीय संविधान के निर्माण और उसे हिंदी में अनुवाद करने जैसे बेहद महत्वपूर्ण कार्यों में शामिल होकर इतिहास के पन्नों में तो अमर हो गए।
पीटीसी
मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत, रायपुर

प्रदेश की ज्यादातर आम जनता खास तौर पर आज की पीढ़ी उनके बारे में नहीं जानती…..। इस दुर्भाग्य को हमने दूर करने की कोशिश की है… सही मायनों में घनश्याम गुप्त देश के गौरव और बापू के मार्ग पर चलने वाले शख्स थे.
Last Updated : Jan 26, 2020, 12:05 AM IST
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