रायपुर : छत्तीसगढ़ी व्यंजन चीला, फरा, गुलगुल भजिया, सोहारी, ठेठरी, खुर्मी और चौसेला का स्वाद अब लोगों को खुले आसमान के नीचे बैठकर मिलेगा. संस्कृति विभाग ने गढ़ कलेवा को नया रूप देने की तैयारी कर ली है. विभाग ने सभी जिलों के कलेक्टर से एक एकड़ भूमि की मांग की है. उस जगह पर मॉडर्न कॉन्सेप्ट में गढ़ कलेवा तैयार किया जाएगा. संस्कृति विभाग की इस नई पहल को देखते हुए 14 जिलों के कलेक्टरों ने भूमि चिन्हांकित कर प्रस्ताव बनाकर भेज दिया है. अब उन जगहों पर गढ़ कलेवा बनाने की कवायद जल्द ही शुरू की जाएगी.
15 अगस्त 2020 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी जिलों में गढ़ कलेवा संचालित करने के निर्देश दिए थे. जिसका संचालन प्रदेश के सभी जिले के कलेक्टर परिसर में हो रहा है. लेकिन, विभाग मॉडर्न कॉन्सेप्ट को ध्यान में रखते हुए गढ़ कलेवा को नया रूप देने की तैयारी कर रहा है. अब गढ़ कलेवा खुले आसमान के नीचे संचालित किया जाएगा.
हर जिले के लिए 11 लाख का बजट
बदलते दौर के साथ अब गढ़ कलेवा का स्वरूप भी बदलने वाला है. वर्तमान में ज्यादातर लोग मॉडर्न कॉन्सेप्ट के अनुसार आउटडोर इटिंग पसंद करते हैं. इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए गढ़ कलेवा को नया स्वरूप दिया जाएगा. हर जिले में इसके लिए 11 लाख का बजट निर्धारित किया गया है. इन जगहों पर बस्तर, सरगुजा, जशपुर समेत कई आदिवासी कलाकृतियों को उकेरा जाएगा. जिससे की वहां आए लोग छत्तीसगढ़ी संस्कृति को बारीकी से समझ पाए.
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क्या है गढ़ कलेवा
गढ़ कलेवा की शुरुआत रायपुर संस्कृति विभाग के परिसर में सबसे पहले की हुई है. उसके बाद बाकी जिला मुख्यालयों में गढ़ कलेवा का संचालन शुरू किया गया. गढ़ कलेवा वह जगह है जहां लोग छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का लुत्फ उठा सकते हैं. यहां छत्तीसगढ़ के सभी संभागों का स्वाद आपकों अपनी थाली में मिलेगा. इसे चलाने का काम करती हैं स्व सहायता समूह की महिलाएं. गढ़ कलेवा संचालित करने का उद्देश्य इन महिलाओं को रोजगार मुहैया कराना था. रायपुर गढ़ कलेवा की संचालिका मंजू बताती है कि पिछले 4 साल से समूह की महिलाएं गढ़ कलेवा का संचालन कर रही हैं. वे चीला, फरा, चौसेला, धुस्का जैसे छत्तीसगढ़ी व्यंजन बनाकर लोगों को परोसती हैं.
ऐसा होगा नया गढ़ कलेवा
संस्कृति विभाग के संचालक विवेक आचार्य ने बताया कि गढ़ कलेवा को नया स्वरूप दिया जा रहा है. आज कल लोगों के बीच आउटडोर इटिंग का काफी क्रेज है. लोग लॉन और गार्डन में खाना होटल में खाने से ज्यादा पसंद करते हैं. इसे ध्यान में रखते हुए गढ़ कलेवा को भी मार्डन रूप दिया जाएगा. 1 एकड़ की भूमि में गढ़ कलेवा का निर्माण किया जाएगा. संस्कृति विभाग ने 11 लाख की लागत से बनने वाले गढ़ कलेवा का एक डिजाइन तैयार किया है. इसमें जिला कलेक्टर भी अपने इनोवेशन डाल सकते हैं. कलेक्टर अपने जिले का गढ़ कलेवा उस अपने तरीके से तैयार कर सकते हैं.
दिल्ली समेत अन्य राज्यों में भी किया जा सकता है शुरू
संस्कृति विभाग के संचालक विवेक आचार्य ने बताया कि यदि जिलों में यह सक्सेस हुआ तो हम देश की राजधानी दिल्ली में भी छत्तीसगढ़ का गढ़ कलेवा संचालित करने का प्रयास करेंगे. इसके अलावा जितने भी हमारे आसपास के राज्य हैं जैसे- महाराष्ट्र, ओडिशा और मध्य प्रदेश में भी गढ़ कलेवा का संचालन किया जाएगा. जिससे हमारे राज्य की जो संस्कृति है, यहां का खानपान है उसके बारे में अन्य प्रदेश के लोग जानकर उसका लुत्फ उठा सकते हैं.
पारंपरिक वेशभूषा में नजर आएंगी महिलाएं
नए कलेवर में तैयार हो रहे गढ़ कलेवा का संचालन महिलाओं द्वारा किया जाएगा. नए बनने वाले गढ़ कलेवा में सभी महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में नजर आएंगी. वहां बस्तरिया और सरगुजिया कलाकृतियां भी उकेरी जाएगी. पेड़-पौधों में रंग रोगन भी होगा. इसके साथ ही बस्तर के फेमस ढोकरा आर्ट और अन्य मूर्तियां लगाई जाएगी.
इन 14 जिलों ने भूमि चिन्हांकित
गढ़ कलेवा के लिए 14 जिलों के कलेक्टरों ने एक एकड़ की भूमि चिन्हांकित कर संस्कृति विभाग को प्रस्ताव भेज दिया है. इसमें गरियाबंद, नारायणपुर, कोंडागांव, धमतरी, बलौदाबाजार, सूरजपुर, सरगुजा, जशपुर, महासमुंद, बालोद, रायगढ़, कोरबा, अंबिकापुर (मैनपाट) और मुंगेली शामिल है.