रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग के पूर्व आयुक्त मोहन राव पवार ने राज्य सरकार सहित पुलिस विभाग के आला अधिकारियों को आड़े हाथों लिया है. पवार ने नक्सल समस्या को लेकर राज्य सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में नक्सल समस्या अभी समाप्त नहीं हुई है. देर-सबेर यह समस्या दोबारा उभर कर सामने आ सकती है. राज्य सरकार इससे निपटने क्या प्रयास कर रही है? यह लोगों को दिखना चाहिए नक्सलियों को सबक सिखाने के लिए वार्ता करना अन्य कदम उठाना यह बातें कई बार आती है. लेकिन इसे लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है.
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नक्सल डीजी को बस्तर जाने की दी सलाह
पवार ने कहा कि जब राज्य सरकार ने नक्सल समस्या के लिए पुलिस विभाग में अलग व्यवस्था बनाई है. नक्सल डीजी की नियुक्ति की है. नक्सल समस्या के लिए पूरा सेटअप तैयार किया है. ऐसे में मेरा मानना है कि जहां नक्सल समस्या है उस समस्या की जड़ में जाकर समस्या को हल करना चाहिए ना कि रायपुर में बैठकर.
रायपुर से बस्तर जाएं नक्सल डीजी
पवार ने कहा कि नक्सल डीजी को बस्तर में जाकर नक्सल समस्या के समाधान के लिए रणनीति बनानी चाहिए. उनका रायपुर में क्या काम है. नक्सल डीजी सहित उससे संबंधित पूरा महकमा बस्तर में रहकर काम करेगा तो स्वाभाविक है कि वहां तैनात जवानों का मनोबल बढ़ेगा. उनमें उत्साह भी बढ़ेगा. नक्सलियों से मोर्चा लेने में मदद मिलेगी. साथ ही नक्सलियों पर भी इसका दबाव बनेगा. इससे इन नक्सल समस्या का समाधान जल्द हो सकता है. राज्य मुख्यालय में रहकर काम करना और जमीनी स्तर पर जाकर काम करना दोनों में फर्क होता है. इसका असर स्वभाविक तौर पर देखने को मिलेगा.
छत्तीसगढ़ में नक्सल समस्या जस की तस
राज्य की भूपेश सरकार का दावा है कि नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के चलते हैं नक्सली बैकफुट पर है. इसे लेकर पवार ने कहा कि नक्सली कहीं पर भी बैकफुट पर नहीं है. यदि वे बैकफुट पर होते तो बीजापुर की घटना को अंजाम ना देते हमारे इतने जवान शहीद ना होते. ऐसे में प्रदेश में नक्सल समस्या जस की तस बनी हुई है.
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प्रदेश में नक्सल समस्या से निपटने के लिए नक्सल ऑपरेशन डीजी अशोक जुनेजा को तैनात किया गया है. इसके लिए नक्सल का एक अलग सेटअप बना है. जिसमें कई वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारी तैनात हैं. जो रायपुर में रहकर नक्सल समस्या के समाधान और नक्सलियों से मोर्चा की रणनीति बनाते हैं. लेकिन कई बार इस रणनीति के बावजूद जवान नक्सलियों के एंबुश में फंस जाते हैं. उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है. यही वजह है कि अब नक्सल डीजी सहित उससे संबंधित अधिकारियों की तैनाती बस्तर में किए जाने की मांग उठने लगी है.