छत्तीसगढ़ की सरकार ने अपने कार्यकाल का अंतिम बजट पेश किया है. सरकार ने अपने इस बजट को भरोसे का बजट बताया है. सरकार के 2023-24 के वित्तीय बजट को लेकर ईटीवी भारत ने अर्थशास्त्री तपेश गुप्ता से बातचीत की.
सवाल - आज बजट पेश किया गया है. इस वित्तीय बजट को आप किस तरह से देखते हैं?
जवाब- बजट प्रस्तुतीकरण इस बार परंपरागत तरीके से हटकर हुआ. हर विकासखंड के लिए कार्य किया गया. बजट में कृषि और चिकित्सा पर अपेक्षा थी, उसके अनुसार प्रावधान किए, लेकिन दो तीन बातों पर ध्यान केंद्रित नहीं हो पाया. अधिकारी और कर्मचारी मकान किराया भत्ता और महंगाई भत्ते की मांग कर रहे थे, उन चीजों की पूर्ति नहीं हो पाई. जिससे कर्मचारी वर्ग में थोड़ा असंतोष रहेगा. आंदोलनरत कर्मचारी के लिए यह खुशी का बजट है. कई कर्मचारियों का मानदेय बढ़ाया गया. इससे आंदोलनरत कर्मचारी वापस वापस होंगे. बड़े विकास की जो योजनाएं बनी थी, उन्हें अलग अलग क्षेत्रवार बैठकर कई कार्यालय और कई चिकित्सा केंद्रों को विकेंद्रीकृत किया. समग्र छत्तीसगढ़ विकास की बात कही. अब तक सरकार पर आरोप लगता है कि सनातन धर्म का अपमान करते हैं, उनके लिए कोई योजना नहीं है लेकिन इसकी भी पूर्ति करते हुए, राम वन गमन मार्ग और राजिम पुन्नी मेला स्थल के विकास में नया और रामलीला के लिए 5 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा. यह बात बजट के माध्यम से बताई की वे भाचे श्री राम का सम्मान करते है. जहां तक सिंचाई योजनाओं की बात है, इस ओर ध्यान नहीं गया है. सुशासन की बात की जाए तो जिस तरह से प्रदेश में स्थिति निर्मित हो रही है. कर्मचारियों की पदोन्नति मिलने वाले लाभ .इन सभी की आवश्यकता होती है लेकिन भाषण में इस तरह की कोई बात पढ़ने में नहीं आया. सरकार ने कुल मिलाकर संतुलित कार्य किया है. ग्रामीण अंचल तक विकास की योजनाएं प्रस्तुत की है.
सवाल- लोगों का कहना है कि चुनावी साल है इसलिए यह चुनावी बजट है, बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही गई है?
जवाब- मैं इस बजट को चुनावी बजट नहीं कहता. मैं इस बजट को पूर्णत: राजनीतिक बजट कहता हूं. इस बजट को राजनीतिक बजट कहने पर आपत्ति हो सकती है. परंपरागत रूप से देखें तो जब कभी भी चुनाव होता है, उस वर्ष इस प्रकार की घोषणाएं और कार्रवाई होती है. जहां तक बेरोजगारी भत्ता देने की बात है इन्होंने अपने चुनावी एजेंडे में इस बात का जिक्र किया था. इस कारण यह दे रहे हैं. यह घोषित एजेंडे में है. इसमें आपत्ति की कोई बात नहीं है .लेकिन मेरा व्यक्तिगत कहना यह है कि उन्होंने सरकार में नहीं रहते हुए बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही थी. आज सरकार के पास आंकड़े हैं, जिसमें यह कह रहे हैं कि हम बेरोजगारी के मामले में सबसे न्यूनतम स्तर पर हैं. मेरा मानना है कि बेरोजगारी भत्ता देने के बाद कोई प्रशिक्षण देकर व्यापार स्थापित करने के लिए सहयोग करना चाहिए. उसमें अगर अनुदान दिया जाता तो मैं उसे ज्यादा कारगर मानता. सरकार ने पीएससी और व्यापमं से होने वाली परीक्षा में कोई परीक्षा शुल्क नहीं लेने की घोषणा पहले ही की है. यह बेरोजगारों के लिए बड़ी राहत पहले से ही है. इसके बाद बेरोजगारी भत्ता देने का कोई औचित्य नहीं है. अगर बेरोजगारों को प्रशिक्षण देकर रोजगार उपलब्ध कराते तो मेरे हिसाब से वह ज्यादा सार्थक होता. मुफ्त खोरी का मैं हमेशा से विरोध करते आया हूं. इसलिए मेरे व्यक्तिगत विचार हैं कि यह बेरोजगारी भत्ता नहीं दिया जाना था. उनके एजेंडे में था इसलिए उन्होंने 2 साल तक इसे देने की बात कही है.
सवाल- ग्रामीण अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार बजट में जोर दे रही है लेकिन शहरी विकास पर ध्यान नहीं देती है, ऐसा लोगों का कहना है?
जवाब- दो बातें महत्वपूर्ण है. देश की 68% आबादी ग्रामीण क्षेत्र में रहती है. लगभग 70% आबादी कृषि क्षेत्र से जुड़ी हुई है. क्या इन्होंने सड़क नहीं बनवाई या ब्रिज नहीं बनवाए. एक ओर जहां हाट बाजार बन रहे हैं तो दूसरी तरफ कॉम्प्लेक्स बनाए जा रहे हैं. समग्र विकास में अंतिम व्यक्ति तक का लक्ष्य है. इस कारण कोई विरोध करता है तो इसमें ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है.
सवाल- सरकार इस बजट को भरोसे का बजट बता रही है.अर्थशास्त्र की नजर से इस बजट पर आप क्या कहेंगे?
जवाब- हर बजट भरोसे और विश्वास का बजट होता है. इस बार सरकार ने इसे नाम देकर एक नई परंपरा शुरू कर दी. लेकिन हर बजट भरोसे का होता है. अभी तक 4 बजट प्रस्तुत किए गए, क्या वह भरोसे का नहीं था. सीएम ने बजट सूटकेस में लाया, जिसमें छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा लगाई. दूसरी ओर गाय और बछड़ा था. इसके जरिए उन्होंने गौधन और गोठान की योजना को मॉटिवेट करने का मैसेज दिया. लेकिन उसके अंदर नई टेक्नोलॉजी के आधार पर बजट प्रस्तुतीकरण की बात हुई. हम जब शहर, गांव, अपनी सभ्यता संस्कृति और आधुनिकता को एक साथ लेकर काम करते हैं, तभी सफलता की ओर आगे अग्रसर होते हैं. वैसे नामकरण की आवश्यकता नहीं है. भरोसे और विश्वास से ही बजट का निर्माण होता है.
Economist Opinion on CM Bhupesh budget :सीएम भूपेश के बजट को कितने नंबर, जानिए अर्थशास्त्री की राय
छत्तीसगढ़ सरकार ने अपना बजट पेश किया. सीएम भूपेश बघेल ने आंदोलनकारियों समेत समाज के हर वर्ग के लिए घोषणाएं की.लेकिन क्या ये बजट पूरे प्रदेशवासियों को संतुष्ट कर पाएगा. ये जानने की कोशिश की है ईटीवी भारत ने अर्थशास्त्री तपेश गुप्ता से.
छत्तीसगढ़ की सरकार ने अपने कार्यकाल का अंतिम बजट पेश किया है. सरकार ने अपने इस बजट को भरोसे का बजट बताया है. सरकार के 2023-24 के वित्तीय बजट को लेकर ईटीवी भारत ने अर्थशास्त्री तपेश गुप्ता से बातचीत की.
सवाल - आज बजट पेश किया गया है. इस वित्तीय बजट को आप किस तरह से देखते हैं?
जवाब- बजट प्रस्तुतीकरण इस बार परंपरागत तरीके से हटकर हुआ. हर विकासखंड के लिए कार्य किया गया. बजट में कृषि और चिकित्सा पर अपेक्षा थी, उसके अनुसार प्रावधान किए, लेकिन दो तीन बातों पर ध्यान केंद्रित नहीं हो पाया. अधिकारी और कर्मचारी मकान किराया भत्ता और महंगाई भत्ते की मांग कर रहे थे, उन चीजों की पूर्ति नहीं हो पाई. जिससे कर्मचारी वर्ग में थोड़ा असंतोष रहेगा. आंदोलनरत कर्मचारी के लिए यह खुशी का बजट है. कई कर्मचारियों का मानदेय बढ़ाया गया. इससे आंदोलनरत कर्मचारी वापस वापस होंगे. बड़े विकास की जो योजनाएं बनी थी, उन्हें अलग अलग क्षेत्रवार बैठकर कई कार्यालय और कई चिकित्सा केंद्रों को विकेंद्रीकृत किया. समग्र छत्तीसगढ़ विकास की बात कही. अब तक सरकार पर आरोप लगता है कि सनातन धर्म का अपमान करते हैं, उनके लिए कोई योजना नहीं है लेकिन इसकी भी पूर्ति करते हुए, राम वन गमन मार्ग और राजिम पुन्नी मेला स्थल के विकास में नया और रामलीला के लिए 5 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा. यह बात बजट के माध्यम से बताई की वे भाचे श्री राम का सम्मान करते है. जहां तक सिंचाई योजनाओं की बात है, इस ओर ध्यान नहीं गया है. सुशासन की बात की जाए तो जिस तरह से प्रदेश में स्थिति निर्मित हो रही है. कर्मचारियों की पदोन्नति मिलने वाले लाभ .इन सभी की आवश्यकता होती है लेकिन भाषण में इस तरह की कोई बात पढ़ने में नहीं आया. सरकार ने कुल मिलाकर संतुलित कार्य किया है. ग्रामीण अंचल तक विकास की योजनाएं प्रस्तुत की है.
सवाल- लोगों का कहना है कि चुनावी साल है इसलिए यह चुनावी बजट है, बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही गई है?
जवाब- मैं इस बजट को चुनावी बजट नहीं कहता. मैं इस बजट को पूर्णत: राजनीतिक बजट कहता हूं. इस बजट को राजनीतिक बजट कहने पर आपत्ति हो सकती है. परंपरागत रूप से देखें तो जब कभी भी चुनाव होता है, उस वर्ष इस प्रकार की घोषणाएं और कार्रवाई होती है. जहां तक बेरोजगारी भत्ता देने की बात है इन्होंने अपने चुनावी एजेंडे में इस बात का जिक्र किया था. इस कारण यह दे रहे हैं. यह घोषित एजेंडे में है. इसमें आपत्ति की कोई बात नहीं है .लेकिन मेरा व्यक्तिगत कहना यह है कि उन्होंने सरकार में नहीं रहते हुए बेरोजगारी भत्ता देने की बात कही थी. आज सरकार के पास आंकड़े हैं, जिसमें यह कह रहे हैं कि हम बेरोजगारी के मामले में सबसे न्यूनतम स्तर पर हैं. मेरा मानना है कि बेरोजगारी भत्ता देने के बाद कोई प्रशिक्षण देकर व्यापार स्थापित करने के लिए सहयोग करना चाहिए. उसमें अगर अनुदान दिया जाता तो मैं उसे ज्यादा कारगर मानता. सरकार ने पीएससी और व्यापमं से होने वाली परीक्षा में कोई परीक्षा शुल्क नहीं लेने की घोषणा पहले ही की है. यह बेरोजगारों के लिए बड़ी राहत पहले से ही है. इसके बाद बेरोजगारी भत्ता देने का कोई औचित्य नहीं है. अगर बेरोजगारों को प्रशिक्षण देकर रोजगार उपलब्ध कराते तो मेरे हिसाब से वह ज्यादा सार्थक होता. मुफ्त खोरी का मैं हमेशा से विरोध करते आया हूं. इसलिए मेरे व्यक्तिगत विचार हैं कि यह बेरोजगारी भत्ता नहीं दिया जाना था. उनके एजेंडे में था इसलिए उन्होंने 2 साल तक इसे देने की बात कही है.
सवाल- ग्रामीण अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार बजट में जोर दे रही है लेकिन शहरी विकास पर ध्यान नहीं देती है, ऐसा लोगों का कहना है?
जवाब- दो बातें महत्वपूर्ण है. देश की 68% आबादी ग्रामीण क्षेत्र में रहती है. लगभग 70% आबादी कृषि क्षेत्र से जुड़ी हुई है. क्या इन्होंने सड़क नहीं बनवाई या ब्रिज नहीं बनवाए. एक ओर जहां हाट बाजार बन रहे हैं तो दूसरी तरफ कॉम्प्लेक्स बनाए जा रहे हैं. समग्र विकास में अंतिम व्यक्ति तक का लक्ष्य है. इस कारण कोई विरोध करता है तो इसमें ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है.
सवाल- सरकार इस बजट को भरोसे का बजट बता रही है.अर्थशास्त्र की नजर से इस बजट पर आप क्या कहेंगे?
जवाब- हर बजट भरोसे और विश्वास का बजट होता है. इस बार सरकार ने इसे नाम देकर एक नई परंपरा शुरू कर दी. लेकिन हर बजट भरोसे का होता है. अभी तक 4 बजट प्रस्तुत किए गए, क्या वह भरोसे का नहीं था. सीएम ने बजट सूटकेस में लाया, जिसमें छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा लगाई. दूसरी ओर गाय और बछड़ा था. इसके जरिए उन्होंने गौधन और गोठान की योजना को मॉटिवेट करने का मैसेज दिया. लेकिन उसके अंदर नई टेक्नोलॉजी के आधार पर बजट प्रस्तुतीकरण की बात हुई. हम जब शहर, गांव, अपनी सभ्यता संस्कृति और आधुनिकता को एक साथ लेकर काम करते हैं, तभी सफलता की ओर आगे अग्रसर होते हैं. वैसे नामकरण की आवश्यकता नहीं है. भरोसे और विश्वास से ही बजट का निर्माण होता है.