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पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में सामने आए गड़बड़ियों के दो बड़े मामले - विश्वविद्यालय में गड़बड़ी

पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में बड़ी गड़बड़ी. पहला मामला रविशंकर यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी पाने का है तो वहीं दूसरा मामला रीचेकिंग से संबंधित गड़बड़ी का है.

पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय
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Published : Mar 27, 2019, 3:24 PM IST

रायपुर: पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़ के जाने-माने और सबसे पुराने शिक्षण संस्थानों में से एक है लेकिन अक्सर यहां से गड़बड़ियों की शिकायत मिलती रहती है. ताजा मामला रविशंकर यूनिवर्सिटी में दो गड़बड़ियों का है.

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पहला मामला रविशंकर यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी पाने का है तो वहीं दूसरा मामला रीचेकिंग से संबंधित गड़बड़ी का है. पहले मामले में कश्मीर के रहने वाले एक युवक ने रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की फर्जी मार्कशीट दिखाकर वहीं के एक स्थानीय सरकारी स्कूल में नौकरी हासिल की. ये मामला तब सामने आया, जब कश्मीरी युवक के पड़ोसी ने विश्वविद्यालय पहुंचकर डिग्री के विषय में जानकारी हासिल की.


ये है पहला मामला
यह डिग्री एमपीएड की है जिस पर 2011-13 शिक्षा सत्र अंकित है. फर्जी डिग्री हासिल करने वाले युवक का नाम मेहराजुद्दीन नाइक बताया जा रहा है. विश्वविद्यालय प्रबंधन ने कहा है कि इस मामले की सघन जांच कराई जाएगी. हालांकि शुरुआती साक्ष्य के आधार पर यह साफ है की डिग्री पंडित रविशंकर यूनिवर्सिटी की नहीं है और फर्जी तरीके से बनवाई गई है.


ये है दूसरा मामला
दूसरा मामला रीचेकिंग में गड़बड़ी का है. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति कार्यकाल के दौरान ही पुनर्मूल्यांकन में कई तरह की गड़बड़ियां सामने आई थी. साथ ही इस मामले में पुनर्मूल्यांकन इकाई के समन्वयक व्यास नारायण दुबे को गड़बड़ियों का केंद्र बताया जा रहा था.


ताजा मामला जो सामने आया है उसके अनुसार जिस शिक्षक ने कभी रीचेकिंग की ही नहीं उसके नाम पर हजारों रुपए का वाउचर जारी किया गया है. माता गुजरी महाविद्यालय जबलपुर की रहने वाली सहायक प्राध्यापक हरलीन रूपराह में यह बताया कि उन्होंने रीचेकिंग की ही नहीं है. ऐसे में उनके नाम का इस्तेमाल कर गलत तरीके से वाउचर जारी किए गए हैं.
रविशंकर विश्वविद्यालय के प्रबंधन का कहना है की जांच पूरी होने के बाद जो भी उचित कार्रवाई होगी वो की जाएगी.

रायपुर: पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़ के जाने-माने और सबसे पुराने शिक्षण संस्थानों में से एक है लेकिन अक्सर यहां से गड़बड़ियों की शिकायत मिलती रहती है. ताजा मामला रविशंकर यूनिवर्सिटी में दो गड़बड़ियों का है.

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पहला मामला रविशंकर यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी पाने का है तो वहीं दूसरा मामला रीचेकिंग से संबंधित गड़बड़ी का है. पहले मामले में कश्मीर के रहने वाले एक युवक ने रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की फर्जी मार्कशीट दिखाकर वहीं के एक स्थानीय सरकारी स्कूल में नौकरी हासिल की. ये मामला तब सामने आया, जब कश्मीरी युवक के पड़ोसी ने विश्वविद्यालय पहुंचकर डिग्री के विषय में जानकारी हासिल की.


ये है पहला मामला
यह डिग्री एमपीएड की है जिस पर 2011-13 शिक्षा सत्र अंकित है. फर्जी डिग्री हासिल करने वाले युवक का नाम मेहराजुद्दीन नाइक बताया जा रहा है. विश्वविद्यालय प्रबंधन ने कहा है कि इस मामले की सघन जांच कराई जाएगी. हालांकि शुरुआती साक्ष्य के आधार पर यह साफ है की डिग्री पंडित रविशंकर यूनिवर्सिटी की नहीं है और फर्जी तरीके से बनवाई गई है.


ये है दूसरा मामला
दूसरा मामला रीचेकिंग में गड़बड़ी का है. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति कार्यकाल के दौरान ही पुनर्मूल्यांकन में कई तरह की गड़बड़ियां सामने आई थी. साथ ही इस मामले में पुनर्मूल्यांकन इकाई के समन्वयक व्यास नारायण दुबे को गड़बड़ियों का केंद्र बताया जा रहा था.


ताजा मामला जो सामने आया है उसके अनुसार जिस शिक्षक ने कभी रीचेकिंग की ही नहीं उसके नाम पर हजारों रुपए का वाउचर जारी किया गया है. माता गुजरी महाविद्यालय जबलपुर की रहने वाली सहायक प्राध्यापक हरलीन रूपराह में यह बताया कि उन्होंने रीचेकिंग की ही नहीं है. ऐसे में उनके नाम का इस्तेमाल कर गलत तरीके से वाउचर जारी किए गए हैं.
रविशंकर विश्वविद्यालय के प्रबंधन का कहना है की जांच पूरी होने के बाद जो भी उचित कार्रवाई होगी वो की जाएगी.

Intro:पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में सामने आए गड़बड़ियों के दो बड़े मामले


Body:पंडित रविशंकर शुक्ला यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़ के जाने माने और सबसे पुराने शिक्षण संस्थानों में से एक है लेकिन अक्सर यहां से गड़बड़ियों की शिकायत मिलती रहती है ताजा मामला रविशंकर यूनिवर्सिटी में दो गड़बड़ियों का है इन गड़बड़ियों में सबसे पहला मामला रविशंकर यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी पाने का है तो वही दूसरा हमला पुनर मूल्यांकन से संबंधित गड़बड़ी का है से पहले मामले में कश्मीर के रहने वाले एक युवक ने रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की फर्जी मार्कशीट दिखाकर वहीं के एक स्थानीय सरकारी स्कूल में नौकरी हासिल कडली मामला तब सामने आया जब कश्मीरी युवक के पड़ोसी ने विश्वविद्यालय पहुंचकर डिग्री के विषय में जानकारी हासिल की यह डिग्री एमपीएड की है जिस पर 2011 13 शिक्षा सत्र अंकित है फर्जी डिग्री हासिल करने वाले युवक का नाम मेहराजुद्दीन नाइक बताया जा रहा है विश्वविद्यालय प्रबंधन कहां इस मामले की सघन जांच कराई जाएगी हालांकि शुरुआती साक्ष्य के आधार पर यह साफ है की डिग्री पंडित रविशंकर यूनिवर्सिटी की नहीं है और फर्जी तरीके से बनवाई गई है।

वहीं दूसरा मामला पुनर्मूल्यांकन में गड़बड़ी का है रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति कार्यकाल के दौरान ही पुनर्मूल्यांकन में कई तरह की गड़बड़ियां सामने आई थी साथ ही इस मामले में पुनर्मूल्यांकन इकाई के समन्वयक डॉ व्यास नारायण दुबे को गड़बड़ियों का केंद्र बताया जा रहा था ताजा मामला जो सामने आया है उसके अनुसार जिस शिक्षक ने कभी पुनर मूल्यांकन किया ही नहीं उसके नाम पर 125000 ₹515 का वाउचर जारी किया गया है माता गुजरी महाविद्यालय जबलपुर की रहने वाली सहायक प्राध्यापक श्रीमती हरलीन रूपराह में यह बताया की उन्होंने पुनर मूल्यांकन किया ही नहीं नाही इस संबंध में उन्हें कोई भी बाउचर या चेक दिया गया था ऐसे में उनके नाम का इस्तेमाल करके गलत तरीके से यह वाउचर जारी किए गए हैं इन दोनों ही मामलों पर इन रविशंकर विश्वविद्यालय के प्रबंधन का कहना है की जांच पूरी होने के बाद जो भी उचित कार्रवाई होगी वो की जाएगी।


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