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नवरात्रि की शुरुआत: मंदिरों में लगी भक्तों की भीड़, इन नियमों के साथ कर रहे मां के दर्शन

शारदीय नवरात्र शुरू हो चुकी है. इस बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए मंदिरों में कई बदलाव किए गए हैं. जिसके बाद भक्त नियमों के साथ ही मां के दर्शन कर रहे हैं.

Devotees visiting temples
शारदीय नवरात्रि की शुरुआत
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Published : Oct 17, 2020, 7:19 PM IST

रायपुर: नवरात्रि का पावन पर्व आज से शुरू हो गया है, लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए इस बार कई नियमों के साथ भक्तों को मंदिर में दर्शन करने की इजाजत दी गई है. भक्तों को मंदिर में दर्शन करने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना अनिवार्य होगा. इसके अलावा दो समय निर्धारित किए गए हैं. उसी समय के हिसाब से भक्तों को मंदिर में जाकर दर्शन करने की इजाजत दी गई है. साथ ही कोई भी व्यक्ति मंदिर की मूर्ति को स्पर्श नहीं कर सकेगा. इसके लिए पहले ही एक निश्चित दूरी से दर्शन करने की सुविधा दी गई है. जहां से भक्त माता के दर्शन कर सकेंगे.

शारदीय नवरात्रि की शुरुआत

• सुबह 8 से 11 और शाम 4 से 7 बजे तक भक्त मंदिर में दर्शन कर सकेंगे
• सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा जरुरी
• भक्तों को कम से कम दो मीटर की दूरी बनानी होगी
• मंदिर परिसर के अंदर और बाहर मास्क लगाना अनिवार्य है
• आरती के समय इकट्ठा नहीं हो सकेगी भीड़
• किसी भी धार्मिक स्थल पर भीड़ इकट्ठा नहीं करने की दी गई है समझाइश

रायपुर: नवरात्रि के पहले दिन महामाया मंदिर में कम संख्या में पहुंच रहे श्रद्धालु, कोरोना का त्योहार पर असर

ज्योति कलश के लिए नहीं किया गया पंजीयन

कोरोना काल को देखते हुए इस बार ज्योति कलश के लिए भी नया पंजीयन नहीं किया गया है. चैत्र नवरात्रि में जिन लोगों ने ज्योत जलवाने के लिए पंजीयन कराया था, उन्हीं की ज्योत इस बार प्रज्वलित की जाएंगी.

राजाओं ने बनवाए थे 36 किले

हैहैवंशी राजाओं ने छत्तीसगढ़ में 36 किले बनवाए और हर किले की शुरुआत में मां महामाया का मंदिर भी बनवाया. इनमें से एक रायपुर का महामाया मंदिर भी है. जहां मां महामाया और मां सम्लेश्वरी महालक्ष्मी के रूप में दर्शन देती हैं. यह राजधानी रायपुर के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है. ऐसा पहली बार हुआ है कि यहां पर ज्योत जलाने के लिए किसी ने पंजीयन नहीं कराया है. हर साल यहां बड़ी संख्या में लोग ज्योत प्रज्जवलित कराते थे.

रायपुर: नवरात्रि का पावन पर्व आज से शुरू हो गया है, लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए इस बार कई नियमों के साथ भक्तों को मंदिर में दर्शन करने की इजाजत दी गई है. भक्तों को मंदिर में दर्शन करने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना अनिवार्य होगा. इसके अलावा दो समय निर्धारित किए गए हैं. उसी समय के हिसाब से भक्तों को मंदिर में जाकर दर्शन करने की इजाजत दी गई है. साथ ही कोई भी व्यक्ति मंदिर की मूर्ति को स्पर्श नहीं कर सकेगा. इसके लिए पहले ही एक निश्चित दूरी से दर्शन करने की सुविधा दी गई है. जहां से भक्त माता के दर्शन कर सकेंगे.

शारदीय नवरात्रि की शुरुआत

• सुबह 8 से 11 और शाम 4 से 7 बजे तक भक्त मंदिर में दर्शन कर सकेंगे
• सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा जरुरी
• भक्तों को कम से कम दो मीटर की दूरी बनानी होगी
• मंदिर परिसर के अंदर और बाहर मास्क लगाना अनिवार्य है
• आरती के समय इकट्ठा नहीं हो सकेगी भीड़
• किसी भी धार्मिक स्थल पर भीड़ इकट्ठा नहीं करने की दी गई है समझाइश

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ज्योति कलश के लिए नहीं किया गया पंजीयन

कोरोना काल को देखते हुए इस बार ज्योति कलश के लिए भी नया पंजीयन नहीं किया गया है. चैत्र नवरात्रि में जिन लोगों ने ज्योत जलवाने के लिए पंजीयन कराया था, उन्हीं की ज्योत इस बार प्रज्वलित की जाएंगी.

राजाओं ने बनवाए थे 36 किले

हैहैवंशी राजाओं ने छत्तीसगढ़ में 36 किले बनवाए और हर किले की शुरुआत में मां महामाया का मंदिर भी बनवाया. इनमें से एक रायपुर का महामाया मंदिर भी है. जहां मां महामाया और मां सम्लेश्वरी महालक्ष्मी के रूप में दर्शन देती हैं. यह राजधानी रायपुर के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है. ऐसा पहली बार हुआ है कि यहां पर ज्योत जलाने के लिए किसी ने पंजीयन नहीं कराया है. हर साल यहां बड़ी संख्या में लोग ज्योत प्रज्जवलित कराते थे.

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