रायपुर: छत्तीसगढ़ में एक बार फिर डेंगू का कहर देखने को मिल रहा है. सुकमा जिले में डेंगू के 17 प्रकरण सामने आए हैं. इनमें सीआरपीएफ के जवान भी प्रभावित हुए हैं. सीआरपीएफ के जवानों में डेंगू के लक्षण मिलने के बाद छत्तीसगढ़ में हड़कंप मच गया है. गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था एक जगह पर की जा सकती है पर हमारी सीआरपीएफ की टीम जंगलों में जाती है. सर्चिंग करती है. इस दौरान वे बिना किसी सुविधा की रहते हैं. ऐसे में किसी भी प्रकार की व्यवस्था नहीं हो पाती है.
राज्य सरकार की ओर से मामले में कोई व्यवस्था नहीं करने की बजाय उन्होंने कहा कि समान क्षेत्रों में जागरूकता लगातार फैलाई जा रही है. एनजीओ, विभाग और हम अपने कार्यक्रमों में भाषण के दौरान भी इन पर बात करते हैं. कोई व्यक्ति स्वयं जागरूक न हो, तो वह अलग मुद्दा हो सकता है. सीआरपीएफ, जीआरपीएफ और पुलिस बल दौरे पर जाते हैं. रात-रातभर जंगलों में रहते हैं, वापस नहीं आ पाते हैं. जंगलों में क्या हम जन जागरूकता कर पाएंगे, क्या मेडिकल विकल के रूप में जवानों सपोर्ट दे पाएंगे आदि परेशानी होती है. इस कारण उनको यह सब झेलना पड़ता है. मंत्रीजी ने जवानों को बधाई दी कि वे इतनी परेशानी के बाद भी हमारी सुरक्षा में डटे रहते हैं.
जवानों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल
पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स को छत्तीसगढ़ के जंगलों में मच्छरों से बचाने के लिए राज्य सरकार की ओर से कोई व्यवस्था न कर जंगलों में असुविधा की बातें करना गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू का गैर जिम्मेदाराना बयान है. मच्छरों से जंगल में जवानों को बचाने के लिए बाजार में इलेक्ट्रिक मच्छर कीट, किलर लैंप, सामान्य मच्छर कीट, मच्छर ऑयल, कैमिकलयुक्त रिफिल, स्पे आदि उपलब्ध हैं. राज्य सरकार चाहे, तो इन प्रतिरोधी सामानों के विकल्प पर भी विचार कर सकती है.