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रायपुर : महिलाओं ने किया होलिका दहन, धागा बांधकर लिए 7 फेरे

समता कॉलोनी के अग्रसेन चौक पर आज रात होलिका दहन किया जाएगा. .

होलिका दहन
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Published : Mar 20, 2019, 8:04 PM IST

रायपुर: समता कॉलोनी के अग्रसेन चौक परहोलिका की मूर्ति बनाकर प्रहलाद को गोद में बैठाया गया है. जिसके बाद महिलाओं ने होलिका दहन किया.

होलिका दहन के पहले कॉलोनी की महिलाओं ने अपने-अपने तरीके से होलिका की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना की और होलिका को धागा बांधकर 7 फेरे भी लिए.

बता दें कि आज के दिन अग्नि में प्रहलाद को जलाने के लिए होलिका अपने भतीजे को गोद में लेकर बैठी थी, लेकिन इस अग्नि में प्रहलाद बच जाता है और होलिका जल जाती है. इसीलिए हर साल होलिका दहन किया जाता है.

वीडियो

होलिका दहन की पौराणिक कथा
प्राचीन पौराणिक कथा के अनुसार दानव राज हिरण्यकश्यप हुआ करते थे, उनकी पत्नी का नाम कयाधु था. राजा हिरण्यकश्यप भगवान का घोर विरोधी था. उनके राज्य में किसी को भी हरीभक्ति करने की अनुमति नहीं थी. ब्रह्मा जी की तपस्या करके राजा हिरण्यकश्यप ने धरती, आकाश-पाताल, पशु, मानव, रात-दिन और अन्य कई तरह से नमरने का वरदान प्राप्त कर चुका था.

वहीं इस दानव राजा के यहां बालक का जन्म हुआ, जिसको भक्त प्रहलाद के नाम से जाना जाता है. प्रहलाद बड़ा होकर हरि भक्त बन गया. उसकी भक्ति से हिरण्यकश्यप बड़ा क्रोधित हुआ और उसको मारने के उपाय करने लगा. हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को हाथी के पांव के नीचे, जहरीले नागों के पास, खाई से कुएं में फेंका, लेकिन हर बार भगवान ने उसकी रक्षा की.

इसके बाद हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को याद किया, जिसको अग्नि में नजलने का वरदान प्राप्त था. होलिका भक्त प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई, लेकिन भगवान की कृपा से प्रहलाद बच गया और होलिका जलकर भस्म हो गई. अंत में भगवान ने नरसिंह का अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का अपने नुकीले नाखूनों से वध कर दिया.

रायपुर: समता कॉलोनी के अग्रसेन चौक परहोलिका की मूर्ति बनाकर प्रहलाद को गोद में बैठाया गया है. जिसके बाद महिलाओं ने होलिका दहन किया.

होलिका दहन के पहले कॉलोनी की महिलाओं ने अपने-अपने तरीके से होलिका की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना की और होलिका को धागा बांधकर 7 फेरे भी लिए.

बता दें कि आज के दिन अग्नि में प्रहलाद को जलाने के लिए होलिका अपने भतीजे को गोद में लेकर बैठी थी, लेकिन इस अग्नि में प्रहलाद बच जाता है और होलिका जल जाती है. इसीलिए हर साल होलिका दहन किया जाता है.

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होलिका दहन की पौराणिक कथा
प्राचीन पौराणिक कथा के अनुसार दानव राज हिरण्यकश्यप हुआ करते थे, उनकी पत्नी का नाम कयाधु था. राजा हिरण्यकश्यप भगवान का घोर विरोधी था. उनके राज्य में किसी को भी हरीभक्ति करने की अनुमति नहीं थी. ब्रह्मा जी की तपस्या करके राजा हिरण्यकश्यप ने धरती, आकाश-पाताल, पशु, मानव, रात-दिन और अन्य कई तरह से नमरने का वरदान प्राप्त कर चुका था.

वहीं इस दानव राजा के यहां बालक का जन्म हुआ, जिसको भक्त प्रहलाद के नाम से जाना जाता है. प्रहलाद बड़ा होकर हरि भक्त बन गया. उसकी भक्ति से हिरण्यकश्यप बड़ा क्रोधित हुआ और उसको मारने के उपाय करने लगा. हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को हाथी के पांव के नीचे, जहरीले नागों के पास, खाई से कुएं में फेंका, लेकिन हर बार भगवान ने उसकी रक्षा की.

इसके बाद हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को याद किया, जिसको अग्नि में नजलने का वरदान प्राप्त था. होलिका भक्त प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई, लेकिन भगवान की कृपा से प्रहलाद बच गया और होलिका जलकर भस्म हो गई. अंत में भगवान ने नरसिंह का अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का अपने नुकीले नाखूनों से वध कर दिया.

Intro:2003_CG_RPR_RITESH_HOLIKA DAHAN_SHBT

रायपुर राजधानी रायपुर के समता कॉलोनी के अग्रसेन चौक पर आज रात होलिका दहन किया जाएगा होलिका दहन की इस परंपरा को कॉलोनी के लोग आज भी अनोखे अंदाज में मनाते हैं आज के दिन अग्नि में प्रहलाद को जलाने के लिए होलिका अपने भतीजा को गोद में लेकर बैठती है लेकिन इस अग्नि में प्रहलाद बच जाता है और होलिका जल जाती है होलिका के जल जाने से ही होलिका दहन का यह कार्यक्रम हर साल होली के 1 दिन पहले मनाया जाता है अग्रसेन चौक में होलीका दहन के इस कार्यक्रम में होलिका की गोद में प्रहलाद और होलिका को मूर्ति बनाकर बैठाया गया

होलिका दहन के पूर्व कॉलोनी की महिलाओं ने अपने अपने तरीके से होलिका की पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना की और होलिका के धागा बांधकर 7 फेरे भी लिए गए

होलिका दहन की पौराणिक कथा इस प्रकार है

प्राचीन पौराणिक कथा के अनुसार दानव राज हिरण्यकश्यप हुआ करते थे उनकी पत्नी का नाम कयाधु था राजा हिरण्यकश्यप भगवान का घोर विरोधी था उनके राज्य में किसी को भी हरीभक्ति करने की अनुमति नहीं थी ब्रह्मा जी की तपस्या करके राजा हिरण्यकश्यप ने धरती आकाश पाताल पशु मानव रात दिन एवं अन्य कई तरह से ना मरने का वरदान प्राप्त कर चुका था ऐसे दानव राज राजा के यहां बालक का जन्म हुआ जिसको भक्त प्रहलाद के नाम से जाना जाता है प्रह्लाद बड़ा होकर हरि भक्त बन गया उसकी भक्ति से हिरण्यकश्यप बड़ा क्रोधित हुआ और उनको मारने के उपाय करने लगा हाथी के पांव के नीचे जहरीले नागों से कुआं में खाई से फेका गया परंतु हर बार भगवान ने उनकी रक्षा की तब हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को याद किया जिसको अग्नि में ना जलने का वरदान प्राप्त था होली का भक्त प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गए परंतु भगवान की कृपा से प्रहलाद बच गया और होली का जलकर भस्म हो गई अंत में भगवान ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का अपने नुकीले नाखूनों से हिरण्यकश्यप का वध कर दिया

बाईट सरिता पूजा करने वाली महिला
बाईट मनोज उपाध्याय पुजारी गणेश मंदिर अग्रसेन चौक रायपुर

रितेश कुमार तंबोली etv भारत रायपुर




Body:2003_CG_RPR_RITESH_HOLIKA DAHAN_SHBT


Conclusion:2003_CG_RPR_RITESH_HOLIKA DAHAN_SHBT
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