रायपुर: समता कॉलोनी के अग्रसेन चौक परहोलिका की मूर्ति बनाकर प्रहलाद को गोद में बैठाया गया है. जिसके बाद महिलाओं ने होलिका दहन किया.
होलिका दहन के पहले कॉलोनी की महिलाओं ने अपने-अपने तरीके से होलिका की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना की और होलिका को धागा बांधकर 7 फेरे भी लिए.
बता दें कि आज के दिन अग्नि में प्रहलाद को जलाने के लिए होलिका अपने भतीजे को गोद में लेकर बैठी थी, लेकिन इस अग्नि में प्रहलाद बच जाता है और होलिका जल जाती है. इसीलिए हर साल होलिका दहन किया जाता है.
होलिका दहन की पौराणिक कथा
प्राचीन पौराणिक कथा के अनुसार दानव राज हिरण्यकश्यप हुआ करते थे, उनकी पत्नी का नाम कयाधु था. राजा हिरण्यकश्यप भगवान का घोर विरोधी था. उनके राज्य में किसी को भी हरीभक्ति करने की अनुमति नहीं थी. ब्रह्मा जी की तपस्या करके राजा हिरण्यकश्यप ने धरती, आकाश-पाताल, पशु, मानव, रात-दिन और अन्य कई तरह से नमरने का वरदान प्राप्त कर चुका था.
वहीं इस दानव राजा के यहां बालक का जन्म हुआ, जिसको भक्त प्रहलाद के नाम से जाना जाता है. प्रहलाद बड़ा होकर हरि भक्त बन गया. उसकी भक्ति से हिरण्यकश्यप बड़ा क्रोधित हुआ और उसको मारने के उपाय करने लगा. हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को हाथी के पांव के नीचे, जहरीले नागों के पास, खाई से कुएं में फेंका, लेकिन हर बार भगवान ने उसकी रक्षा की.
इसके बाद हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को याद किया, जिसको अग्नि में नजलने का वरदान प्राप्त था. होलिका भक्त प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई, लेकिन भगवान की कृपा से प्रहलाद बच गया और होलिका जलकर भस्म हो गई. अंत में भगवान ने नरसिंह का अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का अपने नुकीले नाखूनों से वध कर दिया.