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आंगनबाड़ी में बच्चों को फल, दूध नहीं ! छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान - CHHATTISGARH HIGH COURT

सीजी हाईकोर्ट ने उन खबरों का संज्ञान लिया है जिसमें बताया गया कि कई जिलों के आंगनबाड़ी में फल, दूध नहीं दिया जा रहा है.

CHHATTISGARH HIGH COURT
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 13, 2024, 8:46 AM IST

बिलासपुर: आंगनबाड़ी में बच्चों को फल, दूध नहीं दिए जाने पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की है. मंगलवरा को चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने कोर्ट कमिश्नरों की रिपोर्ट से सचिव महिला बाल विकास विभाग के शपथपत्र का तुलनात्मक मिलान करने को कहा है.

आंगनबाड़ी केंद्र पहुंचकर कोर्ट कमिशनर ने की जांच: दुर्ग जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को फल और दूध नहीं दिए जाने की जानकारी मीडिया में आने के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इस पर संज्ञान लिया और इसे जनहित याचिका के रूप में दर्ज किया. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डीबी ने इसके लिए एडवोकेट अमिय कांत तिवारी, सिध्दार्थ दुबे, आशीष बेक, ईशान वर्मा को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया. टीम ने केंद्रों में जाकर वस्तुस्थिति जानी और अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की.

कोर्ट कमिश्नरों को सबंधित अधिकारियों ने बताया कि फल दूध की जगह पौष्टिक भोजन दिया जा रहा है. रिपोर्ट आने के बाद हाईकोर्ट ने राज्य शासन के संबंधित प्राधिकारी से शपथपत्र के साथ जवाब मांगा था. मामले में राज्य के मुख्य सचिव और अन्य अफसरों को पक्षकार बनाया गया. इसके कुछ समय बाद सूरजपुर, कवर्धा और बस्तर से भी यही मामला सामने आया. इन जगहों पर जाकर भी कमिश्नरों ने प्रत्यक्ष निरीक्षण कर फिर अपनी रिपोर्ट तैयार की. इस बीच सचिव महिला बाल विकास ने कोर्ट में शपथपत्र प्रस्तुत किया.

अगली सुनवाई 12 दिसंबर को: मंगलवार को चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान उपस्थित कोर्ट कमिश्नर से कहा कि वे अपनी रिपोर्ट से इस शपथपत्र को तुलना कर लें ताकि मालूम हो सके कि अदालत के आदेश का पालन हुआ है या नहीं.

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आंगनबाड़ी केंद्र पहुंचकर कोर्ट कमिशनर ने की जांच: दुर्ग जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को फल और दूध नहीं दिए जाने की जानकारी मीडिया में आने के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इस पर संज्ञान लिया और इसे जनहित याचिका के रूप में दर्ज किया. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डीबी ने इसके लिए एडवोकेट अमिय कांत तिवारी, सिध्दार्थ दुबे, आशीष बेक, ईशान वर्मा को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया. टीम ने केंद्रों में जाकर वस्तुस्थिति जानी और अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की.

कोर्ट कमिश्नरों को सबंधित अधिकारियों ने बताया कि फल दूध की जगह पौष्टिक भोजन दिया जा रहा है. रिपोर्ट आने के बाद हाईकोर्ट ने राज्य शासन के संबंधित प्राधिकारी से शपथपत्र के साथ जवाब मांगा था. मामले में राज्य के मुख्य सचिव और अन्य अफसरों को पक्षकार बनाया गया. इसके कुछ समय बाद सूरजपुर, कवर्धा और बस्तर से भी यही मामला सामने आया. इन जगहों पर जाकर भी कमिश्नरों ने प्रत्यक्ष निरीक्षण कर फिर अपनी रिपोर्ट तैयार की. इस बीच सचिव महिला बाल विकास ने कोर्ट में शपथपत्र प्रस्तुत किया.

अगली सुनवाई 12 दिसंबर को: मंगलवार को चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान उपस्थित कोर्ट कमिश्नर से कहा कि वे अपनी रिपोर्ट से इस शपथपत्र को तुलना कर लें ताकि मालूम हो सके कि अदालत के आदेश का पालन हुआ है या नहीं.

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