रायपुर : सीएम भूपेश ने जज से मुलाकात करने के आरोपों को लेकर ट्वीट किया (CM Bhupesh denies meeting with judge ) है. CM भूपेश बघेल ने ट्वीट करते हुए लिखा कि '' यह अत्यंत दुर्भाग्यजनक है कि सॉलिसिटर जनरल जैसे सर्वोच्च संवैधानिक पदों पर बैठा व्यक्ति राजनीतिक उद्देश्यों से झूठे एवं शरारत पूर्ण आरोप लगा रहा है. मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैंने कभी किसी जज से मिलकर किसी भी अभियुक्त के लिए किसी भी प्रकार का फेवर करने का अनुरोध नहीं किया. यह मेरी राजनीतिक छवि खराब करने एवं न्याय पालिक को दबाव में लाने का षड्यंत्र है जिसका समुचित प्रतिकार किया जाएगा.''
क्यों लगे सीएम भूपेश पर आरोप : प्रवर्तन निदेशालय (ED) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में प्रदेश के चर्चित नान घोटाले मामले में सुनवाई हुई. ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए इस दौरान कहा कि '' उनके एक कथित करीबी सहयोगी की व्हाट्सएप चैट से पता चला है कि नान घोटाला मामले के कुछ आरोपियों को जमानत मंजूर करने से दो दिन पहले मुख्यमंत्री एक न्यायाधीश से मिले थे. ये जज बिलासपुर हाईकोर्ट से संबंधित बताए जा रहे हैं.''
क्या थी सरकार की दलील : सुप्रीम कोर्ट में छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इन आरोपों के बाद कहा कि ‘‘हमने जानकारी ली है. मुख्यमंत्री ने कभी भी उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश से मुलाकात नहीं की.’’ जिसके बाद अदालत ने 14 नवंबर को शुरु हो रही सुनवाई को एक हफ्ते के लिए टाल दिया.
क्या है नान घोटाला केस : एंटी करप्शन और आर्थिक अपराध ब्यूरो ने 12 फरवरी 2015 को नागरिक आपूर्ति निगम के मुख्यालय सहित अधिकारियों-कर्मचारियों के 28 ठिकानों पर एक साथ छापा मारा था.जहां से करोड़ों रुपए कैश, कथित भ्रष्टाचार से संबंधित दस्तावेज, डायरी, कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क मिले थे. इस घोटाले को लेकर आरोप लगाए गए थे कि राइस मिलों से लाखों क्विंटल घटिया चावल लिया गया और इसके बदले करोड़ों रुपये की रिश्वत ली गई थी.इस दौरान चावल के भंडारण और परिवहन में भी काफी भ्रष्टाचार किया गया था. इस मामले में एक डायरी भी मिली थी जिसमें सीएम सर और सीएम मैडम नाम जिक्र था. इस मामले में IAS अफसर से लेकर नान के तत्कालीन अध्यक्ष का नाम भी आरोपियों की सूची में था.