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सीएम बघेल ने लिखा पीएम मोदी को पत्र, एथेनाॅल उत्पादन की दर को बढ़ावा देने के लिए किया धन्यवाद

सीएम भूपेश बघेल ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर एथेनाॅल उत्पादन की दर निर्धारित करने के निर्णय के लिए धन्यवाद दिया है. साथ ही सीएम ने किसानों से खरीदे गए अधिशेष धान को सीधे एथेनाॅल संयंत्रों को जैव ईंधन उत्पादन की अनुमति प्रदान करने की मांग की है.

CM Bhupesh Baghel wrote a letter to PM Narendra Modi
सीएम बघेल ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र
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Published : Oct 21, 2020, 12:46 PM IST

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों के फलस्वरूप अधिशेष चावल से एथेनाॅल उत्पादन की दर 54 रुपए 87 पैसे प्रति लीटर निर्धारित करने के निर्णय के लिए धन्यवाद दिया है. साथ ही उन्होंने छत्तीसगढ़ के किसानों से खरीदे गए अधिशेष धान को सीधे एथेनाॅल संयंत्रों को जैव ईंधन उत्पादन की अनुमति देने की मांग की है, ताकि राज्य में लगने वाले एथेनाॅल संयंत्रों में किसान सीधे धान बेच सकें.

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राष्ट्रीय जैव नीति 2018 और उसके लक्ष्य की पूर्ति की दिशा में जैव ईंधन के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में उत्पादित अतिरिक्त धान से बायो-एथेनाॅल उत्पादन की अनुमति के लिए पिछले 18 महीनों से लगातार प्रयास किए गए. राज्य शासन के इन प्रयासों के फलस्वरूप उनके द्वारा लिए गए निर्णय के मुताबिक तेल वितरण कंपनियों द्वारा अधिशेष चावल (एफसीआई के गोदाम के माध्यम से प्राप्त) से एथेनाॅल उत्पादन की दर 54 रुपए 87 पैसे प्रति लीटर निर्धारित की गई है. इस निर्णय के लिए आपको कोटि-कोटि धन्यवाद.

पढ़ें: बड़ा फैसला: छत्तीसगढ़ में धान और गन्ने से बनाया जाएगा एथेनॉल, 54 रुपए लीटर में खरीदेगी केंद्र सरकार

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर मांग की है कि राज्य के किसानों से खरीदे गए अतिशेष धान को सीधे एथेनाॅल संयत्रों को जैव ईंधन उत्पादन के लिए भेजने की अनुमति प्रदान की जाए, इससे राज्य में लगने वाले एथेनाॅल संयंत्रों में किसान सीधे धान का विक्रय कर सकेंगे. मुख्यमंत्री बघेल ने कहा है कि धान से सीधे एथेनाॅल उत्पादन की अनुमति राज्य के किसानों की आर्थिक उन्नति में बहुत सहायक सिद्ध होगी.

क्या होता है एथेनॉल

छत्तीसगढ़ सरकार लगातार धान से एथेनॉल बनाने के लिए केंद्र सरकार से मंजूरी की मांग कर रही थी. बता दें कि एथेनॉल को पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. इसे शर्करा वाली फसलों से भी तैयार किया जा सकता है, लेकिन इसके इस्तेमाल से 35 फीसदी कम कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन होता है. एथेनॉल में 35 फीसदी तक ऑक्सीजन होता है. एथेनॉल इको-फ्रेंडली फ्यूल माना जाता है. साथ ही पर्यावरण को जीवाश्म ईंधन से होने वाले खतरों से सुरक्षित भी रखता है. एक्सपर्ट का मानना है कि एथेनॉल फ्यूल हमारे पर्यावरण और गाड़ियों के लिए सुरक्षित है.

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों के फलस्वरूप अधिशेष चावल से एथेनाॅल उत्पादन की दर 54 रुपए 87 पैसे प्रति लीटर निर्धारित करने के निर्णय के लिए धन्यवाद दिया है. साथ ही उन्होंने छत्तीसगढ़ के किसानों से खरीदे गए अधिशेष धान को सीधे एथेनाॅल संयंत्रों को जैव ईंधन उत्पादन की अनुमति देने की मांग की है, ताकि राज्य में लगने वाले एथेनाॅल संयंत्रों में किसान सीधे धान बेच सकें.

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र में लिखा है कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राष्ट्रीय जैव नीति 2018 और उसके लक्ष्य की पूर्ति की दिशा में जैव ईंधन के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में उत्पादित अतिरिक्त धान से बायो-एथेनाॅल उत्पादन की अनुमति के लिए पिछले 18 महीनों से लगातार प्रयास किए गए. राज्य शासन के इन प्रयासों के फलस्वरूप उनके द्वारा लिए गए निर्णय के मुताबिक तेल वितरण कंपनियों द्वारा अधिशेष चावल (एफसीआई के गोदाम के माध्यम से प्राप्त) से एथेनाॅल उत्पादन की दर 54 रुपए 87 पैसे प्रति लीटर निर्धारित की गई है. इस निर्णय के लिए आपको कोटि-कोटि धन्यवाद.

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर मांग की है कि राज्य के किसानों से खरीदे गए अतिशेष धान को सीधे एथेनाॅल संयत्रों को जैव ईंधन उत्पादन के लिए भेजने की अनुमति प्रदान की जाए, इससे राज्य में लगने वाले एथेनाॅल संयंत्रों में किसान सीधे धान का विक्रय कर सकेंगे. मुख्यमंत्री बघेल ने कहा है कि धान से सीधे एथेनाॅल उत्पादन की अनुमति राज्य के किसानों की आर्थिक उन्नति में बहुत सहायक सिद्ध होगी.

क्या होता है एथेनॉल

छत्तीसगढ़ सरकार लगातार धान से एथेनॉल बनाने के लिए केंद्र सरकार से मंजूरी की मांग कर रही थी. बता दें कि एथेनॉल को पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. इसे शर्करा वाली फसलों से भी तैयार किया जा सकता है, लेकिन इसके इस्तेमाल से 35 फीसदी कम कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन होता है. एथेनॉल में 35 फीसदी तक ऑक्सीजन होता है. एथेनॉल इको-फ्रेंडली फ्यूल माना जाता है. साथ ही पर्यावरण को जीवाश्म ईंधन से होने वाले खतरों से सुरक्षित भी रखता है. एक्सपर्ट का मानना है कि एथेनॉल फ्यूल हमारे पर्यावरण और गाड़ियों के लिए सुरक्षित है.

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