रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में कई मुद्दे पर चुनावी घमासान जारी है. इसमें अब बीजेपी शासनकाल में शौचालय निर्माण का मुद्दा गरमा गया है. सीएम भूपेश बघेल ने शनिवार को पीएम मोदी को इस मुद्दे पर पत्र लिखा और राज्य में बीजेपी सरकार के दौरान हुए शौचालय के निर्माण की जांच की मांग कर डाली.
अब तब 15 लाख लोगों को नहीं मिला उन्नत शौचालय: सीएम भूपेश बघेल ने पत्र में दावा किया है कि " साल 2018 में छत्तीसगढ़ को खुले में शौच से मुक्त किया गया. लेकिन राज्य को ओडीएफ घोषित करने के बाद भी अब तक 15 लाख लोगों को उन्नत शौचालय की सुविधा नहीं मिल पाई है. ऐसे में इन परिवारों को शौचालय निर्माण के लिए 12,000 रुपये के बजाय 30,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाए."
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण का दिया हवाला: सीएम ने केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण -6 (2019-21) के नतीजों को आधार बनाकर बात कही है. उन्होंने इसका अपने पत्र में जिक्र भी किया. जिसमें सीएम ने लिखा कि" पता चला कि छत्तीसगढ़ में 88.2 प्रतिशत शहरी परिवार और 73.5 प्रतिशत ग्रामीण परिवार हैं. जिसमें कुल मिलाकर 76.8 प्रतिशत परिवार उन्नत शौचालय सुविधाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं. हाल ही में किए गए सामाजिक और आर्थिक सर्वेक्षण के दौरान जब इंस्पेक्शन किया गया तो इन आंकड़ों की पुष्टि की गई."
शौचालय निर्माण में चार हजार करोड़ के खर्च का दावा: सीएम भूपेश बघेल ने पत्र में उल्लेख किया कि" बीजेपी की पिछली सरकार के दौरान साल 2018 तक चार हजार करोड़ की लागत पर कुल 32 लाख शौचालयों का निर्माण किया गया था. उसके बाद राज्य को जनवरी 2018 में ओडीएफ घोषित किया गया. लेकिन अब तक राज्य के 15 लाख परिवारों को उन्नत शौचालयों की सुविधा नीहं मिल पाई है. यह जांच का विषय है. इस मामले में स्वतंत्र जांच होनी चाहिए. इसके अलावा बस्तर नक्सलगढ़ इलाकों में भी शौचालय निर्माण कराया जाना चाहिए"
6 हजार करोड़ की बकाया राशि देने की मांग: सीएम भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के 6 हजार करोड़ रुपये की बकाया राशि देने की मांग पीएम मोदी से की है. विकेंद्रीकृत खरीद योजना (Decentralized Procurement Scheme) के तहत राज्य सरकार की करीब 6 हजार करोड़ की राशि केंद्र के पास बकाया होने का दावा सीएम बघेल ने पत्र में किया. जिसके भुगतान की मांग उन्होंने की है. "भारत सरकार और भारतीय खाद्य निगम ने अभी तक राज्य एजेंसियों को लगभग 6,000 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान जारी नहीं किया है. केंद्रीय पूल एफसीआई के माध्यम से चावल जमा करने के बाद बचे धान के निपटारे में राज्य सरकार को भारी वित्तीय बोझ उठाना पड़ता है. केंद्र सरप्लस धान के निपटारे के लिए राज्य को मुआवजा नहीं देता है"
सीएम भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी को पत्र लिखा है. अब देखना होगा कि इस पत्र के बाद इस मुद्दे पर क्या सियासी घमासान होता है.
सोर्स: पीटीआई