रायपुर: नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता रूप की पूजा की जाती है. स्कंदमाता स्कंद कुमार की माता हैं. इनको कार्तिकेय की मां भी माना गया है. स्कंदमाता पूरी तरह वात्सल्य स्वरूप है. स्कंदमाता की पूजा करने से पुत्र प्राप्ति होती है. स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं. भुजाओं में कमल दल, कमंडल और वर मुद्रा है. स्कंदमाता अत्यंत ही दयालु माता है. मां के हाथ में कमल पुष्प हैं. शेर उनकी सवारी है. स्कंदमाता को पद्मासना भी कहा जाता है.
स्कंदमाता की पूजा: पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "स्कंदमाता की पूजा पंचोपचार विधि से की जाती है. स्कंदमाता को केले का भोग लगाने से माता बहुत प्रसन्न होती है. माता को शुद्ध जल से स्नान कराने के बाद रोली, कुमकुम, चंदन, बंदन, अष्ट चंदन, मौली का अभिषेक करना चाहिए. स्कंदमाता के सिद्ध मंत्र का विधिपूर्वक उच्चारण करना चाहिए. ऐसी विवाहित महिलाएं जो किसी कारण से मां नहीं बन पाई है, उन्हें भगवती की पूजा करनी चाहिए. व्रत अनुष्ठान और निराहार उपवास रखने पर स्कंदमाता जल्द ही गोद भर देती हैं."
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मां-बेटे का होता है मधुर संबंध: पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "ऐसी माताएं जिनके अपने संतान से संबंध में कटुता आ गई हो, उन्हें भी स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए. विधि पूर्वक माता का अनुष्ठान करने पर मां बेटे के संबंधों में सुधार होता है. पंचमी का यह पर्व रविवार कृतिका नक्षत्र, प्रीति योग, बालव और कौलव के साथ उच्च राशि के चंद्रमा में वृषभ राशि में मनाया जाएगा."