रायपुर: छत्तीसगढ़ के रायपुर में शनिवार को फिर एक बार छत्तीसगढ़ सरपंच संघ ने 13 सूत्रीय मांग को लेकर विशाल प्रदर्शन किया. सरपंच संघ मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने जा रहे थे. पुलिस ने सप्रे स्कूल के पास प्रदर्शनकारियों को रोक दिया. प्रदर्शनकारी अभी भी सप्रे स्कूल के पास जमकर नारेबाजी किया. प्रदर्शनकारी और पुलिस के बीच काफी देर तक झूमाझटकी भी हुई. इस विशाल धरना प्रदर्शन में सरपंच संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयराम पलसानिया भी मौजूद थे. सरपंच संघ के लगभग 10 पदाधिकारी सप्रे स्कूल से मंत्रालय में अधिकारियों से मुलाकात करने गए हैं. जिसके बाद ही अपना प्रदर्शन समाप्त करेंगे.
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मुख्यमंत्री निवास का करेंगे घेराव: सरपंच संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयराम पलसानिया ने बताया कि "सरपंच पूरे प्रदेश में काफी दिनों से कलमबंद हड़ताल करने के साथ ही काम बंद भी कर रखे हैं. पूरे पंचायत में विकास कार्य पूरी तरह से बंद और ठप पड़े हुए हैं. सरपंच संघ की 13 सूत्रीय मांग है. बावजूद इसके सरकार ने कोई पहल नहीं की है. सरकार की कथनी और करनी में अंतर है. सरपंच संघ के राष इस बार अगर मांगे पूरी नहीं होती है तो आने वाले समय में सीएम हाउस का घेराव करेंगे."
ब्लॉक स्तर पर सरपंच संघ की हड़ताल: महिला सरपंच पूनम टेकाम ने बताया कि "बीते 1 महीने से अपनी मांगों को लेकर ब्लॉक स्तर पर सरपंच संघ हड़ताल पर बैठा हुआ है. पंचायतों में जो विकास कार्य कराए गए हैं उनका भुगतान सरकार ने नहीं किया है. जिसके कारण सरपंच अपना घर और जमीन बेचकर या फिर गिरवी रखकर जिन दुकानों से सामग्री की खरीदी की गई थी, वहां पर पैसा जमा कराए हैं. कुल मिलाकर पूरे प्रदेश के सरपंच कर्ज में डूब गए हैं."
सरपंच कर्ज में डूबे: सरपंच गिरधर पटेल ने बताया कि "2 साल कोरोना काल के बाद सरपंचों को जो भी विकास या निर्माण के काम मिला हुआ है. उस काम को ग्राम पंचायतों में सरपंचों ने पूरा करा दिया है. मनरेगा के तहत ग्राम पंचायतों में काम कराया गया है. मनरेगा की मजदूरी राशि सरकार द्वारा जरूर मिली है. उस राशि का भुगतान मजदूरों को कर दिया गया है, लेकिन ग्राम पंचायत के सरपंच उधार में जिन दुकानों से मैटेरियल की खरीदी की है. उसका पैसा देने के लिए सरपंचों के पास नहीं है. ऐसे में प्रदेश के सरपंच कर्ज में डूब गए हैं."
प्रदेश में सरपंचों के लिए त्रिस्तरीय पंचायत अधिनियम लागू करें: सरपंच तेजराम पाल ने बताया कि "ग्राम पंचायतों में निर्माण और विकास कार्यों में ग्राम पंचायत के सरपंच अपना पैसा लगाकर काम तो करवा दिए हैं. लेकिन सरकार ने अब तक राशि का भुगतान नहीं किया है. जिस तरह से विधायक और सांसदों का मानदेय बढ़ाया जाता है लेकिन सरपंचों का मानदेय आज तक नहीं बढ़ पाया है. सरपंचों में आक्रोश भी देखने को मिला. त्रिस्तरीय पंचायत अधिनियम के तहत सरपंचों को जो अधिकार दिया गया है वह पूरे प्रदेश में लागू होना चाहिए. जिससे सरपंच अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकें."
सरपंच संघ की 13 सूत्रीय मांगें
- सरपंचों का मानदेय राशि 20 हजार रुपए और पंचों का मानदेय राशि 5 हजार रुपए किया जाए.
- सरपंचों को आजीवन 10 हजार रुपए पेंशन दिया जाए.
- 50 लाख की राशि तक के सभी कार्य में कार्य एजेंसी ग्राम पंचायत को ही बनाया जाए.
- सरपंच निधि के रूप में राज्य सरकार के द्वारा प्रत्येक ग्राम पंचायत को प्रतिवर्ष 10 लाख रुपए दिया जाना चाहिए.
- नक्सलियों द्वारा सरपंच को मारे जाने पर 20 लाख रुपए का मुआवजा राशि और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिया जाना चाहिए.
- 15 वां वित्त आयोग अनुदान राशि केवल उसी ग्राम पंचायत के लिए होना चाहिए.
- 15 वां वित्त आयोग की राशि को अन्य योजनाओं के निर्माण कार्य में नहीं लगाया जाना चाहिए.
- मनरेगा सामग्री की राशि हर 3 महीने के अंदर भुगतान किया जाना चाहिए.
- मनरेगा निर्माण कार्य प्रारंभ करने के लिए 40% अग्रिम राशि सरकार के द्वारा प्रदान किया जाना चाहिए.
- छत्तीसगढ़ के सरपंचों का कार्यकाल कोरोना महामारी के कारण सरपंचों का कार्यकाल में 2 वर्ष की वृद्धि की जानी चाहिए.
- प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण योजना अंतर्गत आवाज की राशि को महंगाई दर को देखते हुए 2 लाख रुपए की वृद्धि की जानी चाहिए.
- अविश्वास प्रस्ताव को संशोधन कर जनता के हाथों में दिया जाना चाहिए.
- धारा 40 में तत्काल संशोधन किया जाना चाहिए.