ETV Bharat / state

विश्व आदिवासी दिवस: छत्तीसगढ़ में शुरू होगी इंदिरा वन मितान योजना, सीएम ने की घोषणा - रायपुर न्यूज

विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर सीएम भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में इंदिरा वन मितान योजना शुरू किए जाने की घोषणा की.इस योजना के तहत राज्य के आदिवासी अंचल के दस हजार गांव में युवाओं का समूह गठित कर उनके माध्यम से वन आधारित समस्त आर्थिक गतिविधियों का संचालन किया जाएगा.

Baghel government will start Indira Van Mittan scheme in Chhattisgarh
इंदिरा वन मितान योजना
author img

By

Published : Aug 9, 2020, 7:47 PM IST

Updated : Aug 10, 2020, 3:15 PM IST

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर इंदिरा वन मितान योजना शुरू किए जाने की घोषणा की. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत राज्य के आदिवासी अंचल के दस हजार गांव में युवाओं के समूह गठित कर उनके माध्यम से वन आधारित समस्त आर्थिक गतिविधियों का संचालन किया जाएगा. इन समूहों के माध्यम से वनवासियों के स्वरोजगार और उनकी समृद्धि के नए द्वार खुलेंगे. इस योजना के तहत समूहों के माध्यम से वनोपज की खरीदी, उसका प्रसंस्करण और मार्केटिंग की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी. राज्य के प्रत्येक आदिवासी विकासखंडों में वनोपज प्रसंस्करण केन्द्र की स्थापना किए जाने का लक्ष्य सरकार ने रखा है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुसूचित क्षेत्रों के 10 हजार गांवों में इस योजना के अंतर्गत समूह गठित किए जाएंगे, जिनमें युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी. प्रत्येक समूह में 10 से 15 सदस्य होंगे. इंदिरा वन मितान योजना में अनुसूचित क्षेत्रों के 19 लाख परिवारों को जोड़ने का लक्ष्य है. इस योजना के माध्यम से समूहों को वृक्ष प्रबंधन का अधिकार प्रदान किया जाएगा, जिससे वे वन क्षेत्रों के वृक्षों से वनोपज संग्रहण कर आर्थिक लाभ ले सकें.

वनोपज की खरीदी की व्यवस्था समूह के माध्यम से की जाएगी, जिससे वनोपज का सही मूल्य मिल सके. समूह के माध्यम से लोगों के लिए स्व-रोजगार के नए अवसर निर्मित होंगे. वनोपजों की मार्केटिंग की व्यवस्था के साथ अनुसूचित क्षेत्रों के प्रत्येक विकासखंड में वनोपज प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की जाएगी. एक यूनिट की अनुमानित लागत लगभग 10 लाख रूपए होगी. अनुसूचित क्षेत्रों के 85 विकासखंड में वनोपज प्रोसेसिंग यूनिट स्थापना के लिए 8 करोड़ 50 लाख रुपए की राशि प्राधिकरण मद से उपलब्ध कराई जाएगी. वनों में इमारती लकड़ी की बजाए फलदार और वनौषधियों के पौधे लगाए जाएंगे. जिससे वनवासियों की आय बढ़ सके.

पढ़ें-विश्व आदिवासी दिवस पर मरवाही को सीएम की सौगात, नगर पंचायत का दर्जा देने का एलान

'आदिवासी समाज प्रकृति का सबसे बड़ा संरक्षक'

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने भाषण में आगे कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों का सबसे बड़ा संरक्षक रहा है. प्रकृति से निकटता और प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित दोहन भावी पीढ़ी के बेहतर जीवन के लिए जरूरी है. उन्होंने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर हमें आदिवासी समाज के हित के सभी पहलुओं पर समग्रता से विचार करना चाहिए. उन्होंने आदिवासी समाज के प्रत्येक सदस्य और संगठन से अपील की कि वे अपने अधिकारों और विकास के अवसरों के बारे में मुखर हो.

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर इंदिरा वन मितान योजना शुरू किए जाने की घोषणा की. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत राज्य के आदिवासी अंचल के दस हजार गांव में युवाओं के समूह गठित कर उनके माध्यम से वन आधारित समस्त आर्थिक गतिविधियों का संचालन किया जाएगा. इन समूहों के माध्यम से वनवासियों के स्वरोजगार और उनकी समृद्धि के नए द्वार खुलेंगे. इस योजना के तहत समूहों के माध्यम से वनोपज की खरीदी, उसका प्रसंस्करण और मार्केटिंग की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी. राज्य के प्रत्येक आदिवासी विकासखंडों में वनोपज प्रसंस्करण केन्द्र की स्थापना किए जाने का लक्ष्य सरकार ने रखा है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुसूचित क्षेत्रों के 10 हजार गांवों में इस योजना के अंतर्गत समूह गठित किए जाएंगे, जिनमें युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी. प्रत्येक समूह में 10 से 15 सदस्य होंगे. इंदिरा वन मितान योजना में अनुसूचित क्षेत्रों के 19 लाख परिवारों को जोड़ने का लक्ष्य है. इस योजना के माध्यम से समूहों को वृक्ष प्रबंधन का अधिकार प्रदान किया जाएगा, जिससे वे वन क्षेत्रों के वृक्षों से वनोपज संग्रहण कर आर्थिक लाभ ले सकें.

वनोपज की खरीदी की व्यवस्था समूह के माध्यम से की जाएगी, जिससे वनोपज का सही मूल्य मिल सके. समूह के माध्यम से लोगों के लिए स्व-रोजगार के नए अवसर निर्मित होंगे. वनोपजों की मार्केटिंग की व्यवस्था के साथ अनुसूचित क्षेत्रों के प्रत्येक विकासखंड में वनोपज प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की जाएगी. एक यूनिट की अनुमानित लागत लगभग 10 लाख रूपए होगी. अनुसूचित क्षेत्रों के 85 विकासखंड में वनोपज प्रोसेसिंग यूनिट स्थापना के लिए 8 करोड़ 50 लाख रुपए की राशि प्राधिकरण मद से उपलब्ध कराई जाएगी. वनों में इमारती लकड़ी की बजाए फलदार और वनौषधियों के पौधे लगाए जाएंगे. जिससे वनवासियों की आय बढ़ सके.

पढ़ें-विश्व आदिवासी दिवस पर मरवाही को सीएम की सौगात, नगर पंचायत का दर्जा देने का एलान

'आदिवासी समाज प्रकृति का सबसे बड़ा संरक्षक'

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने भाषण में आगे कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों का सबसे बड़ा संरक्षक रहा है. प्रकृति से निकटता और प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित दोहन भावी पीढ़ी के बेहतर जीवन के लिए जरूरी है. उन्होंने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर हमें आदिवासी समाज के हित के सभी पहलुओं पर समग्रता से विचार करना चाहिए. उन्होंने आदिवासी समाज के प्रत्येक सदस्य और संगठन से अपील की कि वे अपने अधिकारों और विकास के अवसरों के बारे में मुखर हो.

Last Updated : Aug 10, 2020, 3:15 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.