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रायपुर: सिंदूर खेला के साथ दी गई मां को विदाई, देखें तस्वीरें

बंगाली समाज ने सिंदूर खेला खेल कर मां दुर्गा को विदा किया.

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Published : Oct 8, 2019, 6:01 PM IST

Updated : Oct 8, 2019, 8:04 PM IST

सिंदूर खेला

रायपुर: दुर्गा पूजा के आखिरी दिन विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन बंगाली समाज के लोगों के लिए 'सिंदूर खेला' का विशेष महत्व होता है. सुहागिन महिलाएं 'सिंदूर खेला' रस्म में भाग लेती हैं. इसी के साथ दुर्गा पूजा समाप्त हो जाती है.

सिंदूर खेला के साथ दी गई मां को विदाई

सिंदूर खेला का महत्व

  • बंगाल में ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा अपने चारों बच्चों मां लक्ष्मी, मां सरस्वती, गणेश और कार्तिकेय के साथ धरती पर अवतरित होती हैं और विजयदशमी के दिन मां वापस अपने घर लौट जाती हैं.
    bagali society celebrated sindur khela in raipur durga pandal
    सिंदूर खेला
  • मां को विदा करने से पहले सुहागिन महिलाएं एक विशेष परम्परा मनाती है, जिसे सिंदूर दान या सिंदूर खेला कहते हैं.
    सिंदूर खेला
    सिंदूर खेला
  • इस दिन घर की सुहागिन महिलाएं नए कपड़े और गहनें पहनकर मां दुर्गा के पंडाल जाती हैं. पंडाल में महिलाएं पान, शंख, मिठाई और सिंदूर लेकर जाती हैं.
    सिंदूर खेला
    सिंदूर खेला
    सिंदूर खेला
    सिंदूर खेला
  • इस रस्म में सबसे पहले पान के पत्ते से मां के दोनों गालों को स्पर्श करते हुए वरण करती हैं. इसके बाद उन्हें सिंदूर पहनाती हैं और वहीं सिंदूर से अपनी मांग और शाखा (विशेष चूड़ी) को स्पर्श करती हैं.
    सिंदूर खेला
    सिंदूर खेला
    सिंदूर खेला
    सिंदूर खेला
  • इस रस्म के आखिरी में अन्य सुहागिनों को मिठाई खिलाकर और सिंदूर लगाकर सौभाग्य का आशिष लेती हैं. इस तरह हर साल मां दुर्गा को दशहरा के दिन विदा करने की परंपरा चली आ रही है.

रायपुर: दुर्गा पूजा के आखिरी दिन विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन बंगाली समाज के लोगों के लिए 'सिंदूर खेला' का विशेष महत्व होता है. सुहागिन महिलाएं 'सिंदूर खेला' रस्म में भाग लेती हैं. इसी के साथ दुर्गा पूजा समाप्त हो जाती है.

सिंदूर खेला के साथ दी गई मां को विदाई

सिंदूर खेला का महत्व

  • बंगाल में ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा अपने चारों बच्चों मां लक्ष्मी, मां सरस्वती, गणेश और कार्तिकेय के साथ धरती पर अवतरित होती हैं और विजयदशमी के दिन मां वापस अपने घर लौट जाती हैं.
    bagali society celebrated sindur khela in raipur durga pandal
    सिंदूर खेला
  • मां को विदा करने से पहले सुहागिन महिलाएं एक विशेष परम्परा मनाती है, जिसे सिंदूर दान या सिंदूर खेला कहते हैं.
    सिंदूर खेला
    सिंदूर खेला
  • इस दिन घर की सुहागिन महिलाएं नए कपड़े और गहनें पहनकर मां दुर्गा के पंडाल जाती हैं. पंडाल में महिलाएं पान, शंख, मिठाई और सिंदूर लेकर जाती हैं.
    सिंदूर खेला
    सिंदूर खेला
    सिंदूर खेला
    सिंदूर खेला
  • इस रस्म में सबसे पहले पान के पत्ते से मां के दोनों गालों को स्पर्श करते हुए वरण करती हैं. इसके बाद उन्हें सिंदूर पहनाती हैं और वहीं सिंदूर से अपनी मांग और शाखा (विशेष चूड़ी) को स्पर्श करती हैं.
    सिंदूर खेला
    सिंदूर खेला
    सिंदूर खेला
    सिंदूर खेला
  • इस रस्म के आखिरी में अन्य सुहागिनों को मिठाई खिलाकर और सिंदूर लगाकर सौभाग्य का आशिष लेती हैं. इस तरह हर साल मां दुर्गा को दशहरा के दिन विदा करने की परंपरा चली आ रही है.
Intro:रायपुर। नवरात्रि और दुर्गा पूजा के आखरी दिन विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बंगाल और बंगाली समाज में 'सिंदूर खेला' का एक विशेष महत्व रहता है। इस दिन का खास महत्व इस लिहाज से है देखा जाता है कि इसमें सिर्फ सुहागिन महिलाएं ही पार्टिसिपेट कर सकती हैं। Body:बंगाल में इस दिन का महत्व इसलिए माना जाता है, क्योंकि मान्यताओं के अनुसार मां दुर्गा अपने चारों बच्चों माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती, गणेश व कार्तिकेय के साथ धरती (उनका मायका) पर अवतरित होती है और विजयदशमी के दिन माँ वापस अपने घर लौट जाती हैं। मा को विदा करने से पहले सुहागिन महिलाएं एक विशेष परम्परा को मानती है, जिसे सिंदूर दान या सिंदूर खेला कहते है। इस दिन घर की सुहागिन महिलाएं नए कपड़े और गहनों से लदकर दुर्गा पंडाल पहुंचकर कुछ विशेष चीजों से वरण करती है। इसमे प्रमुख रूप से पान, शंख, मिष्टि (मिठाई) और सिंदूर का होना अतिआवश्यक होता है। सबसे पहले पान के पत्ते से माँ के दोनो गालों को स्पर्श करते हुए वरण करती है, उसके बाद उन्हें सिंदूर पहनती हैं और वही सिंदूर से अपनी मांग और शाखा (विशेष चूड़ी) को स्पर्श करती है और आखिरी में मिठाई खिलाकर अन्य सुहागिनों को सिंदूर लगाकर मिठाई खिलाकर सौभाग्य का आशिष लेती हैं। Conclusion:तो, इस तरह वर्षों से माँ दुर्गा को दशहरा के दिन विदा करने की परम्परा चली आ रही है।


नोट- सिद्धार्थ के मोजो से विओजल-बाईट जाएगा।
Last Updated : Oct 8, 2019, 8:04 PM IST
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