रायपुर: अमित जोगी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका को वापस ले लिया है. जाति मामले में अमित जोगी की याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी, लेकिन सुनवाई से पहले ही अमित जोगी ने अपने वकील के माध्यम से याचिका वापस ले ली है.
अजीत जोगी का जाति प्रमाण पत्र बना था आधार
याचिका वापस लेने के आवेदन को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार भी कर लिया है. दरअसल, राज्य स्तरीय जाति छानबीन समिति ने अमित जोगी के अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया है. छानबीन समिति ने दिवंगत अजीत जोगी की जाति प्रमाण पत्र को रद्द करने का आधार बनाया है. पिता की जाति से पुत्र की जाति का निर्धारण होता है. लिहाजा दिवंगत अजीत जोगी के कंवर आदिवासी जाति प्रमाण पत्र को उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति ने पहले से ही रद्द कर दिया था.
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तहसीलदार ने जारी किया था अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र
इधर अमित जोगी का कहना है कि 27 अक्टूबर 2013 को उनके आवेदन पर तहसीलदार ने उन्हें अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र दिया था. उसी प्रमाण पत्र के आधार पर अमित जोगी मरवाही क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़े थे और वहां से 2013 में जीते भी थे. बाद में उस प्रमाण पत्र को फर्जी बताते हुए समीरा पैकरा और संत कुमार नेताम ने जाति प्रमाण पत्र अधिकार समिति से जांच का अनुरोध किया था.
4 जुलाई 2020 को जारी हुआ था कारण बताओ नोटिस
समीरा पैकरा और संत कुमार नेताम के अनुरोध पर जिला प्रमाण पत्र समिति ने 4 जुलाई 2020 को अमित जोगी को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. इसके बाद केस उच्च प्रमाण पत्र समिति को भेजा गया था. इसी बीच अमित जोगी ने अक्टूबर में एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी. जिसपर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी, लेकिन सुनवाई से तुरंत पहले ही अमित जोगी ने अपने वकील के माध्यम से याचिका वापस ले ली है.