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MP छत्तीसगढ़ में 500 करोड़ की प्रॉपर्टी अटैच, बेनामी संपत्ति कानून का हथौड़ा

बेनामी संपत्ति एक्ट लागू होने के करीब 3 साल में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में करीब 500 करोड़ की बेनामी संपत्ति अटैच हो चुकी है. एमपी और छत्तीसगढ़ के छोटे बड़े शहरों में 500 करोड़ की करीब 800 बेनामी प्रॉपर्टी अटैज हो चुकी है. आयकर विभाग मुखिया ने ये आंकड़े जारी किए हैं.

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छापेमारी
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Published : Jan 15, 2021, 2:33 PM IST

भोपाल/रायपुर : बेनामी संपत्ति एक्ट लागू होने के करीब 3 साल में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में करीब 500 करोड़ की बेनामी संपत्ति अटैच हो चुकी है. बेनामी संपत्ति एक्ट के लागू होने के करीब 3 साल बाद आयकर विभाग ने ये आंकड़े जारी किए हैं. एमपी और छत्तीसगढ़ के छोटे बड़े शहरों में 500 करोड़ की करीब 800 बेनामी प्रॉपर्टी अटैज हो चुकी है.


500 करोड़ की 800 बेनामी प्रॉपर्टी अटैच
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के आयकर विभाग के मुखिया प्रधान मुख्य आयुक्त आरके पालीवाल ने बताया कि तीन सालों में 800 बेनामी संपत्तियां अटैच की गई हैं. इनकी खरीदी-बिक्री पर रोक भी लगी हुई है. इसमें करीब 600 संपत्तियां भोपाल, इंदौर, जबलपुर समेत अन्य शहरों में हैं. इसी तरह करीब 200 प्रॉपर्टी छत्तीसगढ़ के रायपुर, बिलासपुर और दूसरे शहरों में है. इन संपत्तियों में बेनामी खेती की जमीन, मकान, दुकान, प्लॉट और फ्लैट के अलावा फिक्स डिपाजिट भी शामिल हैं.

कोरोना काल में भी 100 से ज्यादा प्रॉपर्टी अटैच
कोरोना महामारी के दौरान भी बेनामी संपत्तियों को लेकर IT डिपार्टमेंट एक्शन में रहा. कोरोना काल में मध्यप्रदेश में 80 बेनामी प्रॉपर्टी अटैच हुई, जबकि छत्तीसगढ़ में 35 बेनामी संपत्ति अटैच की गईं. आयकर विभाग का दावा है कि चालू वित्तीय वर्ष में बेनामी संपत्ति एक्ट कानून के तहत कार्रवाई में तेजी लाई जाएगी.

क्या है बेनामी संपत्ति?

- जो सरकार से छिपाने के लिए नौकर, ड्राइवर या दूसरे कर्मचारियों के नाम खरीदी गई हो. लेकिन उसका फायदा उसका मालिक ले रहा हो.

- जिस व्‍यक्ति के नाम पर ये प्रॉपर्टी खरीदी जाती है, उसे बेनामदार कहा जाता है और प्रॉपर्टी बेनामी कहलाती है. पत्‍नी-बच्‍चों के नाम से खरीदी गई प्रॉपर्टी बेनामी नहीं होती है.

क्या हो सकती है सजा ?

- संसद में 3 साल पहले बेनामी सौदा निषेध कानून पारित किया गया था. इसके बाद बेनामी सौदा निषेध कानून, 1988 का नाम बदलकर बेनामी संपत्ति लेन-देन कानून, 1988 कर दिया गया.

- बेनामी संपत्ति रखना साबित होने के बाद दोषी को कम से कम 1 साल और अधिकतम 7 साल की सजा हो सकती है. इसके साथ प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू का 25 फीसदी तक जुर्माना भी हो सकता है.

- गलत जानकारी देने के दोषी को कम से कम 6 महीने और अधिकतम 5 साल की सजा का प्रावधान है. इसके अलावा संपत्ति के मूल्‍य का 10 फीसदी जुर्माना हो सकता है.

भोपाल/रायपुर : बेनामी संपत्ति एक्ट लागू होने के करीब 3 साल में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में करीब 500 करोड़ की बेनामी संपत्ति अटैच हो चुकी है. बेनामी संपत्ति एक्ट के लागू होने के करीब 3 साल बाद आयकर विभाग ने ये आंकड़े जारी किए हैं. एमपी और छत्तीसगढ़ के छोटे बड़े शहरों में 500 करोड़ की करीब 800 बेनामी प्रॉपर्टी अटैज हो चुकी है.


500 करोड़ की 800 बेनामी प्रॉपर्टी अटैच
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के आयकर विभाग के मुखिया प्रधान मुख्य आयुक्त आरके पालीवाल ने बताया कि तीन सालों में 800 बेनामी संपत्तियां अटैच की गई हैं. इनकी खरीदी-बिक्री पर रोक भी लगी हुई है. इसमें करीब 600 संपत्तियां भोपाल, इंदौर, जबलपुर समेत अन्य शहरों में हैं. इसी तरह करीब 200 प्रॉपर्टी छत्तीसगढ़ के रायपुर, बिलासपुर और दूसरे शहरों में है. इन संपत्तियों में बेनामी खेती की जमीन, मकान, दुकान, प्लॉट और फ्लैट के अलावा फिक्स डिपाजिट भी शामिल हैं.

कोरोना काल में भी 100 से ज्यादा प्रॉपर्टी अटैच
कोरोना महामारी के दौरान भी बेनामी संपत्तियों को लेकर IT डिपार्टमेंट एक्शन में रहा. कोरोना काल में मध्यप्रदेश में 80 बेनामी प्रॉपर्टी अटैच हुई, जबकि छत्तीसगढ़ में 35 बेनामी संपत्ति अटैच की गईं. आयकर विभाग का दावा है कि चालू वित्तीय वर्ष में बेनामी संपत्ति एक्ट कानून के तहत कार्रवाई में तेजी लाई जाएगी.

क्या है बेनामी संपत्ति?

- जो सरकार से छिपाने के लिए नौकर, ड्राइवर या दूसरे कर्मचारियों के नाम खरीदी गई हो. लेकिन उसका फायदा उसका मालिक ले रहा हो.

- जिस व्‍यक्ति के नाम पर ये प्रॉपर्टी खरीदी जाती है, उसे बेनामदार कहा जाता है और प्रॉपर्टी बेनामी कहलाती है. पत्‍नी-बच्‍चों के नाम से खरीदी गई प्रॉपर्टी बेनामी नहीं होती है.

क्या हो सकती है सजा ?

- संसद में 3 साल पहले बेनामी सौदा निषेध कानून पारित किया गया था. इसके बाद बेनामी सौदा निषेध कानून, 1988 का नाम बदलकर बेनामी संपत्ति लेन-देन कानून, 1988 कर दिया गया.

- बेनामी संपत्ति रखना साबित होने के बाद दोषी को कम से कम 1 साल और अधिकतम 7 साल की सजा हो सकती है. इसके साथ प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू का 25 फीसदी तक जुर्माना भी हो सकता है.

- गलत जानकारी देने के दोषी को कम से कम 6 महीने और अधिकतम 5 साल की सजा का प्रावधान है. इसके अलावा संपत्ति के मूल्‍य का 10 फीसदी जुर्माना हो सकता है.

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