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SPECIAL: 'प्लास्टिक देवा-चावल लेवा' रायगढ़ के युवाओं की नई सोच, पर्यावरण के साथ गरीबों को जिंदा रखने की पहल

रायगढ़ के उचभिठ्ठी ग्राम पंचायत के युवा गांव को प्लास्टिक मुक्त करने के लिए 'प्लास्टिक देवा-चावल लेवा' अभियान चला रहे हैं. जिसके तहत 1 किलो प्लास्टिक के बदले 5 किलो चावल दिया जाता है.

plastic free village
प्लास्टिक देवा-चावल लेवा
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Published : Aug 27, 2020, 3:37 PM IST

रायगढ़: सभी साफ और प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने और जीने की कल्पना करते हैं, लेकिन पर्यावरण को संतुलित और सुरक्षित रखने का प्रयास बहुत कम लोग ही कर पाते हैं. रायगढ़ जिले के उचभिठ्ठी ग्राम पंचायत के युवा गांव को प्लास्टिक मुक्त करने एक अभियान चला रहे हैं. जिसका नाम दिया गया है 'प्लास्टिक देवा-चावल लेवा' जिसके तहत 1 किलो प्लास्टिक देने पर 5 किलो चावल दिया जाता है.

पर्यावरण सरंक्षण की दिशा में युवाओं की सराहनीय पहल

एक महीने पहले शुरू किए गए अभियान के तहत अबतक लगभग 30 किलो प्लास्टिक खरीदा जा चुका है और बदले में जरूरतमंदों को 150 किलो चावल दिया गया है. युवाओं की इस मुहिम से गांव प्लास्टिक मुक्त हो रहा है और गरीबों को चावल देकर उनकी मदद भी हो रही है.

इस अनोखी मुहिम की शुरुआत करने वाले युवा बताते हैं कि उन्हें अंबिकापुर स्थित 'गार्बेज कैफे' से प्रेरणा मिली, जहां पर कचरा देने पर फ्री में खाना मिलता है. राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) से जुड़े युवकों ने अपने गांव से ही इस मुहिम की शुरुआत की है. जो एक महीने में ही सफल होती नजर आ रही है. गांव के बच्चे और महिलाएं तालाब किनारे, सड़कों पर और दुकान के आस-पास पड़े प्लास्टिक को इकठ्ठा करके लाते हैं. जिससे उनको चावल मिल रहा है.

पढ़ें-नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : प्लास्टिक कचरा लाओ, भरपेट खाना खाओ

ग्राम पंतायत इस मुहिम में युवाओं का पूरा सहयोग कर रही है. प्लास्टिक लेने और चावल देने का पूरा लेनदेन एक सिस्टमैटिक तरीके से होता है. जहां पर आधार कार्ड के नंबर से रजिस्टर मेंटेन किया जाता है. प्लास्टिक बेचने वाले अपना प्लास्टिक बेचने के लिए इन युवाओं के बनाए गए कार्यालय में पहुंचते हैं. जहां पहले प्लास्टिक के अंदर फंसे अतिरिक्त कचरा जैसे मिट्टी पानी को निकाला जाता है और उसके बाद प्लास्टिक का तौल किया जाता है. फिर वजन दर्ज किया जाता है और उसी के अनुसार चावल दिया जाता है. युवाओं का कहना है कि उनकी इस मुहिम से गांव प्लास्टिक फ्री हो रहा है और भविष्य में इस प्लास्टिक से रीसायकल कर अन्य उत्पाद बनाने की योजना बनाई जा रही है.

मुहिम का दिख रहा असर

ग्रामीणों का कहना है कि गांव के बच्चे बेहतर काम कर रहे हैं. इससे वातावरण स्वच्छ रहेगा और पर्यावरण संतुलित होगा. प्लास्टिक हजारों साल तक न सड़ती है न गलती है. जब युवा इस अनोखी मुहिम की शुरुआत किए तब ग्रामीणों ने भी उनका साथ दिया और आज गांव का हर कोना प्लास्टिक मुक्त नजर आने लगा है. जहां पर भी प्लास्टिक होता है वहां से लोग प्लास्टिक को उठाकर इनके पास बेच देते हैं.

रायगढ़: सभी साफ और प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने और जीने की कल्पना करते हैं, लेकिन पर्यावरण को संतुलित और सुरक्षित रखने का प्रयास बहुत कम लोग ही कर पाते हैं. रायगढ़ जिले के उचभिठ्ठी ग्राम पंचायत के युवा गांव को प्लास्टिक मुक्त करने एक अभियान चला रहे हैं. जिसका नाम दिया गया है 'प्लास्टिक देवा-चावल लेवा' जिसके तहत 1 किलो प्लास्टिक देने पर 5 किलो चावल दिया जाता है.

पर्यावरण सरंक्षण की दिशा में युवाओं की सराहनीय पहल

एक महीने पहले शुरू किए गए अभियान के तहत अबतक लगभग 30 किलो प्लास्टिक खरीदा जा चुका है और बदले में जरूरतमंदों को 150 किलो चावल दिया गया है. युवाओं की इस मुहिम से गांव प्लास्टिक मुक्त हो रहा है और गरीबों को चावल देकर उनकी मदद भी हो रही है.

इस अनोखी मुहिम की शुरुआत करने वाले युवा बताते हैं कि उन्हें अंबिकापुर स्थित 'गार्बेज कैफे' से प्रेरणा मिली, जहां पर कचरा देने पर फ्री में खाना मिलता है. राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) से जुड़े युवकों ने अपने गांव से ही इस मुहिम की शुरुआत की है. जो एक महीने में ही सफल होती नजर आ रही है. गांव के बच्चे और महिलाएं तालाब किनारे, सड़कों पर और दुकान के आस-पास पड़े प्लास्टिक को इकठ्ठा करके लाते हैं. जिससे उनको चावल मिल रहा है.

पढ़ें-नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : प्लास्टिक कचरा लाओ, भरपेट खाना खाओ

ग्राम पंतायत इस मुहिम में युवाओं का पूरा सहयोग कर रही है. प्लास्टिक लेने और चावल देने का पूरा लेनदेन एक सिस्टमैटिक तरीके से होता है. जहां पर आधार कार्ड के नंबर से रजिस्टर मेंटेन किया जाता है. प्लास्टिक बेचने वाले अपना प्लास्टिक बेचने के लिए इन युवाओं के बनाए गए कार्यालय में पहुंचते हैं. जहां पहले प्लास्टिक के अंदर फंसे अतिरिक्त कचरा जैसे मिट्टी पानी को निकाला जाता है और उसके बाद प्लास्टिक का तौल किया जाता है. फिर वजन दर्ज किया जाता है और उसी के अनुसार चावल दिया जाता है. युवाओं का कहना है कि उनकी इस मुहिम से गांव प्लास्टिक फ्री हो रहा है और भविष्य में इस प्लास्टिक से रीसायकल कर अन्य उत्पाद बनाने की योजना बनाई जा रही है.

मुहिम का दिख रहा असर

ग्रामीणों का कहना है कि गांव के बच्चे बेहतर काम कर रहे हैं. इससे वातावरण स्वच्छ रहेगा और पर्यावरण संतुलित होगा. प्लास्टिक हजारों साल तक न सड़ती है न गलती है. जब युवा इस अनोखी मुहिम की शुरुआत किए तब ग्रामीणों ने भी उनका साथ दिया और आज गांव का हर कोना प्लास्टिक मुक्त नजर आने लगा है. जहां पर भी प्लास्टिक होता है वहां से लोग प्लास्टिक को उठाकर इनके पास बेच देते हैं.

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