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SPECIAL: कोरोना के कहर से राखी की रौनक पड़ी फीकी, बहनें मायूस, दुकानदार परेशान

कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए प्रदेश में दोबारा लगाए गए लॉकडाउन से राखी का त्योहार फीका पड़ गया है. बहनों को ना मनमुताबिक राखियां मिल रही हैं और ना ही दुकानदारों को अपना माल बेचने के लिए बाजार मिल रहा है.

rakhi
राखी
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Published : Jul 30, 2020, 11:20 AM IST

रायगढ़: कोरोना काल में आए सभी त्योहार फीके पड़े हुए हैं. अब राखी आने वाली है, लेकिन इसी बीच प्रदेश में लॉकडाउन भी लग गया है. इसकी वजह से ना तो बहनों को अपने भाइयों के लिए नई राखियां मिल रही हैं और ना ही दुकानदारों की अच्छी बिक्री हो पा रही है.

राखी की रौनक पड़ी फीकी

पढ़ें: SPECIAL: रक्षाबंधन पर बहनों के लिए खास उपहार, राखी के बदले देंगे 'रक्षा कवच'

बहनों को नहीं मिल रही मनपसंद राखियां

भाई-बहन के बीच प्यार, विश्वास और सुरक्षा के अटूट बंधन का नाम है राखी. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र के रूप में राखी बांधती हैं और बदले में भाई उनको खुशी, प्यार और सुरक्षा का वचन देते हैं. बरसों पुरानी इस परंपरा को कोरोना की नजर लग गई है और इस बार राखी का रंग फीका हो गया है. रंग-बिरंगी राखियों से सजने वाले बाजार की रौनक अब पहले की तरह नहीं रही. पिछले साल तक लगने वाले रंग-बिरंगी राखियों के स्टॉल अब मार्केट में नहीं लग रहे हैं. इस महामारी के कारण कुछेक स्टॉल में ही राखी दुकान सिमट गए हैं. कोरोना के खतरे के बीच भी बहनें अपने भाइयों के लिए राखी खरीदने पहुंच रही हैं. हालांकि उन्हें मायूसी ही मिल रही है, क्योंकि बहनें प्यार के साथ ही अपने भाई के लिए सबसे खूबसूरत राखी ढूंढती हैं, लेकिन लॉकडाउन लगने और बाजार बंद रहने के कारण बहनों को मनमुताबिक राखियां नहीं मिल रही हैं. ट्रांसपोर्टेशन ना होने की वजह से रंग-बिरंगी और डिजाइनर राखियां बाजार से पूरी तरह से गायब हैं.

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राखी की रौनक पड़ी फीकी

पढ़ें: SPECIAL: सूनी न रह जाएं भाइयों की कलाइयां, छुट्टी के दिन भी राखियां पहुंचा रहे हैं डाकिया

20 प्रतिशत हुआ राखी का बाजार

पिछले कई महीनों से बिजनेस नहीं होने से परेशान दुकानदारों को राखी से कुछ उम्मीदें बंधी थीं, लेकिन इसी दौरान लॉकडाउन लग गया, जिससे अब दुकानदार परेशान हैं. दुकानदारों का कहना है कि ट्रांसपोर्टेशन नहीं होने के कारण नई राखियां नहीं मंगाई गई हैं, जिससे पुरानी राखियां ही दुकानों में सजी हुई हैं. दुकानदारों की मानें तो इस बार मार्केट 20 प्रतिशत भी नहीं रह गया है. कोरोना के कारण लोग घरों से कम ही निकल रहे हैं, इधर लॉकडाउन में मिली छूट के बावजूद लोग घरों से बाहर निकलना पसंद नहीं कर रहे हैं. खरीदारी करने आई महिलाएं बताती हैं कि राखी की कीमत में काफी अंतर आया है. कई दुकानों में राखी की कीमत कम है तो वहीं कुछ दुकानों में कीमत बढ़ाकर बेचा जा रहा है.

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ना बाजार, ना ग्राहक
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स्वेदशी राखियों की डिमांड

पढ़ें: SPECIAL: बहनों के लिए मददगार बना डाक विभाग, रक्षा बंधन पर सूनी नहीं रहेगी भाइयों की कलाइयां

बाजार में स्वदेशी राखियां

कोरोना के बीच एक अच्छी बात ये हुई है कि चाइनीज राखियों का बाजार पूरी तरह गायब है. जितनी भी राखियां हैं, सभी हैंडमेड हैं. इसके अलावा नए डिजाइन की राखियां भी नहीं मिल रहीं हैं. चाइनीज़ राखियों को लेकर लोगों का कहना है कि इस बार स्वदेशी राखियों से त्योहार मनाएंगे और चाइना के सामान का पूरी तरह से बहिष्कार करेंगे.

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राखी की रौनक पड़ी फीकी

रायगढ़: कोरोना काल में आए सभी त्योहार फीके पड़े हुए हैं. अब राखी आने वाली है, लेकिन इसी बीच प्रदेश में लॉकडाउन भी लग गया है. इसकी वजह से ना तो बहनों को अपने भाइयों के लिए नई राखियां मिल रही हैं और ना ही दुकानदारों की अच्छी बिक्री हो पा रही है.

राखी की रौनक पड़ी फीकी

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बहनों को नहीं मिल रही मनपसंद राखियां

भाई-बहन के बीच प्यार, विश्वास और सुरक्षा के अटूट बंधन का नाम है राखी. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र के रूप में राखी बांधती हैं और बदले में भाई उनको खुशी, प्यार और सुरक्षा का वचन देते हैं. बरसों पुरानी इस परंपरा को कोरोना की नजर लग गई है और इस बार राखी का रंग फीका हो गया है. रंग-बिरंगी राखियों से सजने वाले बाजार की रौनक अब पहले की तरह नहीं रही. पिछले साल तक लगने वाले रंग-बिरंगी राखियों के स्टॉल अब मार्केट में नहीं लग रहे हैं. इस महामारी के कारण कुछेक स्टॉल में ही राखी दुकान सिमट गए हैं. कोरोना के खतरे के बीच भी बहनें अपने भाइयों के लिए राखी खरीदने पहुंच रही हैं. हालांकि उन्हें मायूसी ही मिल रही है, क्योंकि बहनें प्यार के साथ ही अपने भाई के लिए सबसे खूबसूरत राखी ढूंढती हैं, लेकिन लॉकडाउन लगने और बाजार बंद रहने के कारण बहनों को मनमुताबिक राखियां नहीं मिल रही हैं. ट्रांसपोर्टेशन ना होने की वजह से रंग-बिरंगी और डिजाइनर राखियां बाजार से पूरी तरह से गायब हैं.

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राखी की रौनक पड़ी फीकी

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20 प्रतिशत हुआ राखी का बाजार

पिछले कई महीनों से बिजनेस नहीं होने से परेशान दुकानदारों को राखी से कुछ उम्मीदें बंधी थीं, लेकिन इसी दौरान लॉकडाउन लग गया, जिससे अब दुकानदार परेशान हैं. दुकानदारों का कहना है कि ट्रांसपोर्टेशन नहीं होने के कारण नई राखियां नहीं मंगाई गई हैं, जिससे पुरानी राखियां ही दुकानों में सजी हुई हैं. दुकानदारों की मानें तो इस बार मार्केट 20 प्रतिशत भी नहीं रह गया है. कोरोना के कारण लोग घरों से कम ही निकल रहे हैं, इधर लॉकडाउन में मिली छूट के बावजूद लोग घरों से बाहर निकलना पसंद नहीं कर रहे हैं. खरीदारी करने आई महिलाएं बताती हैं कि राखी की कीमत में काफी अंतर आया है. कई दुकानों में राखी की कीमत कम है तो वहीं कुछ दुकानों में कीमत बढ़ाकर बेचा जा रहा है.

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ना बाजार, ना ग्राहक
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बाजार में स्वदेशी राखियां

कोरोना के बीच एक अच्छी बात ये हुई है कि चाइनीज राखियों का बाजार पूरी तरह गायब है. जितनी भी राखियां हैं, सभी हैंडमेड हैं. इसके अलावा नए डिजाइन की राखियां भी नहीं मिल रहीं हैं. चाइनीज़ राखियों को लेकर लोगों का कहना है कि इस बार स्वदेशी राखियों से त्योहार मनाएंगे और चाइना के सामान का पूरी तरह से बहिष्कार करेंगे.

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