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SPECIAL: रायगढ़ में केलो नदी को बचाने बन रहा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, क्या जून 2021 तक पूरा होगा काम ?

रायगढ़ में केलो नदी को गंदगी से बचाने के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) के निर्माण का काम शुरू किया गया था, जो अबतक 25 फीसदी भी पूरी नहीं हो पाया है. संबंधित निर्माण कंपनी के कर्मचारी अब जून 2021 तक निर्माण काम पूरे कर लेने का दावा कर रहें हैं. ETV भारत ने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण कार्य का जायजा लिया है.

raigarh sewage treatment plant
रायगढ़ में केलो नदी को बचाने बन रहा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट
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Published : Oct 28, 2020, 3:40 PM IST

Updated : Oct 28, 2020, 5:11 PM IST

रायगढ़: नगर निगम क्षेत्र में लगभग 2 साल पहले शुरू हुए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) का काम 25 फीसदी भी पूरा नहीं हो पाया है. जून 2021 तक काम पूरा होने के लिए अवधि तय की गई थी. लगभग 66 करोड़ की लागत से बनने वाले इस प्रोजेक्ट का काम अधर में लटका हुआ है. पूरे मामले में निगम प्रशासन पर विपक्ष हमलावर हो रही है. जिम्मेदार अधिकारी पूरे मामले में लेटलतीफी के लिए कई तरह के अड़चनों को जिम्मेदार बता रहे हैं. संबंधित निर्माण कंपनी के कर्मचारी अब जून 2021 तक निर्माण काम पूरे कर लेने के दावे कर रहे हैं. ETV भारत ने इसे लेकर निर्माण कार्य का जायजा लिया है.

रायगढ़ में केलो नदी को बचाने बन रहा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट

केलो नदी का उद्गम रायगढ़ के लुड़ेक के पहाड़ी से हुआ है. यहां महानदी की सहायक नदी है जो घरघोड़ा और रायगढ़ ब्लॉक की मुख्य नदी है. केलो नदी रायगढ़ से गुजरते हुए ओडिशा जाती है, जहां महानदी में जाकर इसका संगम हो जाता है. केलो नदी का पानी रायगढ़ के औद्योगिक और शहरी क्षेत्रों को जाता है. इस क्षेत्र के लोगों के लिए यह जीवनदायिनी है. इससे सैकड़ों उद्योग अपनी जलापूर्ति करते हैं. साथ ही रायगढ़ शहर भी पेयजल के लिए केलो नदी पर ही निर्भर रहता है.

शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की सुविधा के लिए है केलो डैम

नदी के पानी का उपयोग करने के लिए लगभग हजार करोड़ की लागत से केलो डैम बनाया गया है और पानी को जमा करके रखा जाता है. इस डैम का मुख्य उद्देश्य ही शहरी क्षेत्र में पेयजल, ग्रामीण क्षेत्र में किसानों के खेतों तक जलापूर्ति और उद्योगों को पर्याप्त पानी देने के लिए बनाया गया है.

क्या होता है एसटीपी ?

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को सामान्य रूप में ही एसटीपी के नाम से जाना जाता है. इसमें घरेलू उपयोग से हुए गंदे पानी का उपचार किया जाता है और उसमें से मल-मूत्र गंदगी और हानिकारक पदार्थों को अलग किया जाता है. अलग होने के बाद इस पानी को पीने के लिए उपयोग न कर के दूसरे सभी कामों के लिए उपयोग किया जा सकता है. जैसे कि उद्योगों, गार्डन और नर्सरी में इस पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है.

गंदे पानी को फिल्टर कर किया जाता है इस्तेमाल

एसटीपी प्रायः नदी के किनारे ही लगता है क्योंकि आबादी का सारा पानी नाली से होते हुए सीधे नदी में छोड़ दिया जाता है, जो नदी को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है. एसटीपी लग जाने के बाद आबादी का सारा गंदा पानी सीधे नदी में ना जाकर पहले इस प्लांट में फिल्ट्रेट होता है और फिल्ट्रेट होने के बाद उसे फिर से उपयोग किया जाता है.

एसटीपी को लेकर क्या कहता है विपक्ष

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के काम को लेकर नगर निगम की नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि अभी की शहर सरकार गंभीर नहीं है. इसीलिए 2 साल में काम एक चौथाई भी पूरा नहीं हो पाया है. अगर यह काम जल्दी से पूरा हो जाएगा तो केलो नदी के साथ बहने वाले गंदे पानी को बेहतर उपचार करके नदी को जीवित रखा जा सकता है. जीवनदायिनी केलो नदी अपनी वास्तविक रूप पा सकती है. काम पूरा करने के लिए जून 2021 तक के लिए समय निर्धारित किया गया था. लेकिन जिस रफ्तार से काम हो रहा है, उसमें यह काम पूरा होता नहीं दिखाई दे रहा है.

रायगढ़ में बन रहे एसटीपी में क्या है खास

केलो नदी के दोनों किनारों पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जा रहे हैं. नदी के दोनों किनारे से आबादी का सारा पानी केलो नदी में गिरने से पहले इस प्लांट में फिल्टर होगा. दोनों किनारों में 6-6 नालियां हैं. इन्हीं नालियों के सहारे आबादी का सारा गंदा पानी नदी में गिरता है. नालियों को एसटीपी से जोड़ दिया जाएगा. इससे गंदा पानी सीधे नदी में नहीं गिरेगा.

पढ़ें- जिंदल कंपनी को 39 करोड़ का कर अदा करने का नोटिस, भुगतान न करने पर होगी संपत्ति की कुर्की

निर्माणकर्ता एजेंसी ने कहा जून 2021 तक पूरा होगा काम

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने वाली कंपनी इनवायरो इंफ्रा इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड के प्रोजेक्ट मैनेजर ने बताया कि लैंड अप्रूवल, रास्ता निर्माण और कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन की वजह से काम काफी प्रभावित रहा. उससे पहले बरसात की वजह से काम पूरी तरह से रूका हुआ था. कोरोना संकट काल की वजह से मजदूर भी अपने घर चले गए थे. यही वजह है कि काम कई महीनों तक बंद रहा. प्रोजेक्ट मैनेजर ने कहा कि अब कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए निर्माण कार्य वापस से शुरू किया जाएगा. जल्दी ही गंदे पानी को फिल्टर करने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी.

रायगढ़: नगर निगम क्षेत्र में लगभग 2 साल पहले शुरू हुए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) का काम 25 फीसदी भी पूरा नहीं हो पाया है. जून 2021 तक काम पूरा होने के लिए अवधि तय की गई थी. लगभग 66 करोड़ की लागत से बनने वाले इस प्रोजेक्ट का काम अधर में लटका हुआ है. पूरे मामले में निगम प्रशासन पर विपक्ष हमलावर हो रही है. जिम्मेदार अधिकारी पूरे मामले में लेटलतीफी के लिए कई तरह के अड़चनों को जिम्मेदार बता रहे हैं. संबंधित निर्माण कंपनी के कर्मचारी अब जून 2021 तक निर्माण काम पूरे कर लेने के दावे कर रहे हैं. ETV भारत ने इसे लेकर निर्माण कार्य का जायजा लिया है.

रायगढ़ में केलो नदी को बचाने बन रहा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट

केलो नदी का उद्गम रायगढ़ के लुड़ेक के पहाड़ी से हुआ है. यहां महानदी की सहायक नदी है जो घरघोड़ा और रायगढ़ ब्लॉक की मुख्य नदी है. केलो नदी रायगढ़ से गुजरते हुए ओडिशा जाती है, जहां महानदी में जाकर इसका संगम हो जाता है. केलो नदी का पानी रायगढ़ के औद्योगिक और शहरी क्षेत्रों को जाता है. इस क्षेत्र के लोगों के लिए यह जीवनदायिनी है. इससे सैकड़ों उद्योग अपनी जलापूर्ति करते हैं. साथ ही रायगढ़ शहर भी पेयजल के लिए केलो नदी पर ही निर्भर रहता है.

शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की सुविधा के लिए है केलो डैम

नदी के पानी का उपयोग करने के लिए लगभग हजार करोड़ की लागत से केलो डैम बनाया गया है और पानी को जमा करके रखा जाता है. इस डैम का मुख्य उद्देश्य ही शहरी क्षेत्र में पेयजल, ग्रामीण क्षेत्र में किसानों के खेतों तक जलापूर्ति और उद्योगों को पर्याप्त पानी देने के लिए बनाया गया है.

क्या होता है एसटीपी ?

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को सामान्य रूप में ही एसटीपी के नाम से जाना जाता है. इसमें घरेलू उपयोग से हुए गंदे पानी का उपचार किया जाता है और उसमें से मल-मूत्र गंदगी और हानिकारक पदार्थों को अलग किया जाता है. अलग होने के बाद इस पानी को पीने के लिए उपयोग न कर के दूसरे सभी कामों के लिए उपयोग किया जा सकता है. जैसे कि उद्योगों, गार्डन और नर्सरी में इस पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है.

गंदे पानी को फिल्टर कर किया जाता है इस्तेमाल

एसटीपी प्रायः नदी के किनारे ही लगता है क्योंकि आबादी का सारा पानी नाली से होते हुए सीधे नदी में छोड़ दिया जाता है, जो नदी को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है. एसटीपी लग जाने के बाद आबादी का सारा गंदा पानी सीधे नदी में ना जाकर पहले इस प्लांट में फिल्ट्रेट होता है और फिल्ट्रेट होने के बाद उसे फिर से उपयोग किया जाता है.

एसटीपी को लेकर क्या कहता है विपक्ष

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के काम को लेकर नगर निगम की नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि अभी की शहर सरकार गंभीर नहीं है. इसीलिए 2 साल में काम एक चौथाई भी पूरा नहीं हो पाया है. अगर यह काम जल्दी से पूरा हो जाएगा तो केलो नदी के साथ बहने वाले गंदे पानी को बेहतर उपचार करके नदी को जीवित रखा जा सकता है. जीवनदायिनी केलो नदी अपनी वास्तविक रूप पा सकती है. काम पूरा करने के लिए जून 2021 तक के लिए समय निर्धारित किया गया था. लेकिन जिस रफ्तार से काम हो रहा है, उसमें यह काम पूरा होता नहीं दिखाई दे रहा है.

रायगढ़ में बन रहे एसटीपी में क्या है खास

केलो नदी के दोनों किनारों पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जा रहे हैं. नदी के दोनों किनारे से आबादी का सारा पानी केलो नदी में गिरने से पहले इस प्लांट में फिल्टर होगा. दोनों किनारों में 6-6 नालियां हैं. इन्हीं नालियों के सहारे आबादी का सारा गंदा पानी नदी में गिरता है. नालियों को एसटीपी से जोड़ दिया जाएगा. इससे गंदा पानी सीधे नदी में नहीं गिरेगा.

पढ़ें- जिंदल कंपनी को 39 करोड़ का कर अदा करने का नोटिस, भुगतान न करने पर होगी संपत्ति की कुर्की

निर्माणकर्ता एजेंसी ने कहा जून 2021 तक पूरा होगा काम

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने वाली कंपनी इनवायरो इंफ्रा इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड के प्रोजेक्ट मैनेजर ने बताया कि लैंड अप्रूवल, रास्ता निर्माण और कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन की वजह से काम काफी प्रभावित रहा. उससे पहले बरसात की वजह से काम पूरी तरह से रूका हुआ था. कोरोना संकट काल की वजह से मजदूर भी अपने घर चले गए थे. यही वजह है कि काम कई महीनों तक बंद रहा. प्रोजेक्ट मैनेजर ने कहा कि अब कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए निर्माण कार्य वापस से शुरू किया जाएगा. जल्दी ही गंदे पानी को फिल्टर करने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी.

Last Updated : Oct 28, 2020, 5:11 PM IST
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