नारायणपुर : बारिश का मौसम आते ही मच्छरों का आतंक भी बढ़ने लगा है. मलेरिया, जपानी इंसेफेलाइटिस और डेंगू जैसी मच्छर जनित बीमारियां पैर पसारने लगी हैं. जानकारों की माने तो मच्छरों के नेचर में भी बदलाव हुआ है अब वे पहले से अधिक घातक हो गए हैं. उनकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ गई है.
डीडीटी दवाओं का अब असर नहीं
जानकारों के अनुसार अपनी प्रतिरोधक क्षमता को मच्छरों ने इतना बढ़ा लिया है कि अब डीडीटी जैसी दवाओं का भी कोई असर नहीं हो रहा है . मच्छरों को मारने के लिए स्वास्थ्य विभाग सालों से डीडीटी को उपयोग में ले रहा था. इसके लगातार उपयोग के चलते मच्छरों ने अपने अंदर डीडीटी की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा लिया. अब ये दवाएं मच्छरों पर बेअसर हो चुकी हैं. नारायणपुर और ओरछा ब्लॉक में छिड़काव के बावजूद मच्छरों पर उनका कोई असर नहीं दिख रहा.
नई दवाओं का होगा छिड़काव
आस-पास घूमने वाले मच्छर अब पहले से भी ज्यादा ताकतवर हो गए हैं. ऐसे में विभाग एसीएम अल्फा साइफर मैथिल नामक दवा का छिड़काव करवाने की तैयारी में हैं .
मच्छरों को खत्म करना मुश्किल
एक मादा मच्छर अपने जीवन काल में लगभग 500 के करीब अंडे देती है जिस से 500 गुना ज्यादा मच्छर पैदा होने के आसार होते हैं. अंडों को मारने की लिए लार्वा पैदा होने की जगह में ही दवाई का छिड़काव करना होता है . मलेरिया डिपार्टमेंट के अफसरों के अनुसार अंडे जिसे हम लार्वा भी कहते है को मारने के लिए टेंपो ऑक्स दवा का छिड़काव करवाएंगे.
बचाव के लिए सावधानी बरतें
- मच्छर धीरे-धीरे घातक होते जा रहे हैं, मच्छरों के चलते जेई, डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारी यहां तेजी से फैल रही है .
- बचाव के लिए घर के आस पास गंदे पानी ना जमा होने दें.
- घरों में दवाइयों का छिड़काव करें
- सोते वक्त मच्छरदानी को उपयोग मे लें साथ ही साफ पानी का उपयोग करें .