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रहें सावधान! बदला नेचर, अब पहले से अधिक शक्तिशाली हुए मच्छर

मलेरिया, जपानी इंसेफेलाइटिस और डेंगू जैसी मच्छर जनित बीमारियां पैर पसारने लगी हैं. जानकारों की माने तो मच्छर के नेचर में भी बदलाव हुआ है अब वे पहले से अधिक घातक हो गए है. उनकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ गई है.

mosquito attack
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Published : Jul 21, 2019, 2:08 PM IST

नारायणपुर : बारिश का मौसम आते ही मच्छरों का आतंक भी बढ़ने लगा है. मलेरिया, जपानी इंसेफेलाइटिस और डेंगू जैसी मच्छर जनित बीमारियां पैर पसारने लगी हैं. जानकारों की माने तो मच्छरों के नेचर में भी बदलाव हुआ है अब वे पहले से अधिक घातक हो गए हैं. उनकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ गई है.

शक्तिशाली हुए मच्छर

डीडीटी दवाओं का अब असर नहीं
जानकारों के अनुसार अपनी प्रतिरोधक क्षमता को मच्छरों ने इतना बढ़ा लिया है कि अब डीडीटी जैसी दवाओं का भी कोई असर नहीं हो रहा है . मच्छरों को मारने के लिए स्वास्थ्य विभाग सालों से डीडीटी को उपयोग में ले रहा था. इसके लगातार उपयोग के चलते मच्छरों ने अपने अंदर डीडीटी की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा लिया. अब ये दवाएं मच्छरों पर बेअसर हो चुकी हैं. नारायणपुर और ओरछा ब्लॉक में छिड़काव के बावजूद मच्छरों पर उनका कोई असर नहीं दिख रहा.


नई दवाओं का होगा छिड़काव
आस-पास घूमने वाले मच्छर अब पहले से भी ज्यादा ताकतवर हो गए हैं. ऐसे में विभाग एसीएम अल्फा साइफर मैथिल नामक दवा का छिड़काव करवाने की तैयारी में हैं .


मच्छरों को खत्म करना मुश्किल
एक मादा मच्छर अपने जीवन काल में लगभग 500 के करीब अंडे देती है जिस से 500 गुना ज्यादा मच्छर पैदा होने के आसार होते हैं. अंडों को मारने की लिए लार्वा पैदा होने की जगह में ही दवाई का छिड़काव करना होता है . मलेरिया डिपार्टमेंट के अफसरों के अनुसार अंडे जिसे हम लार्वा भी कहते है को मारने के लिए टेंपो ऑक्स दवा का छिड़काव करवाएंगे.


बचाव के लिए सावधानी बरतें

  • मच्छर धीरे-धीरे घातक होते जा रहे हैं, मच्छरों के चलते जेई, डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारी यहां तेजी से फैल रही है .
  • बचाव के लिए घर के आस पास गंदे पानी ना जमा होने दें.
  • घरों में दवाइयों का छिड़काव करें
  • सोते वक्त मच्छरदानी को उपयोग मे लें साथ ही साफ पानी का उपयोग करें .

नारायणपुर : बारिश का मौसम आते ही मच्छरों का आतंक भी बढ़ने लगा है. मलेरिया, जपानी इंसेफेलाइटिस और डेंगू जैसी मच्छर जनित बीमारियां पैर पसारने लगी हैं. जानकारों की माने तो मच्छरों के नेचर में भी बदलाव हुआ है अब वे पहले से अधिक घातक हो गए हैं. उनकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ गई है.

शक्तिशाली हुए मच्छर

डीडीटी दवाओं का अब असर नहीं
जानकारों के अनुसार अपनी प्रतिरोधक क्षमता को मच्छरों ने इतना बढ़ा लिया है कि अब डीडीटी जैसी दवाओं का भी कोई असर नहीं हो रहा है . मच्छरों को मारने के लिए स्वास्थ्य विभाग सालों से डीडीटी को उपयोग में ले रहा था. इसके लगातार उपयोग के चलते मच्छरों ने अपने अंदर डीडीटी की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा लिया. अब ये दवाएं मच्छरों पर बेअसर हो चुकी हैं. नारायणपुर और ओरछा ब्लॉक में छिड़काव के बावजूद मच्छरों पर उनका कोई असर नहीं दिख रहा.


नई दवाओं का होगा छिड़काव
आस-पास घूमने वाले मच्छर अब पहले से भी ज्यादा ताकतवर हो गए हैं. ऐसे में विभाग एसीएम अल्फा साइफर मैथिल नामक दवा का छिड़काव करवाने की तैयारी में हैं .


मच्छरों को खत्म करना मुश्किल
एक मादा मच्छर अपने जीवन काल में लगभग 500 के करीब अंडे देती है जिस से 500 गुना ज्यादा मच्छर पैदा होने के आसार होते हैं. अंडों को मारने की लिए लार्वा पैदा होने की जगह में ही दवाई का छिड़काव करना होता है . मलेरिया डिपार्टमेंट के अफसरों के अनुसार अंडे जिसे हम लार्वा भी कहते है को मारने के लिए टेंपो ऑक्स दवा का छिड़काव करवाएंगे.


बचाव के लिए सावधानी बरतें

  • मच्छर धीरे-धीरे घातक होते जा रहे हैं, मच्छरों के चलते जेई, डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारी यहां तेजी से फैल रही है .
  • बचाव के लिए घर के आस पास गंदे पानी ना जमा होने दें.
  • घरों में दवाइयों का छिड़काव करें
  • सोते वक्त मच्छरदानी को उपयोग मे लें साथ ही साफ पानी का उपयोग करें .
Intro:cg_nyp_01_maleriya_ek_jaanlewa_bimari_CG10020

एंकर- आप के आस पास घूमने वाले मच्छर अब पहले से भी ज्यादा ताकतवर हो गए हैं इसकी बड़ी हुई ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया कि पहले मलेरिया विभाग इन मच्छरों को मारने के लिए जिस दवाई का प्रयोग करता था अब हां दवाई मच्छरों को नहीं मार पा रहा है हाल के वर्षों में मच्छरों ने अपनी प्रतिरोधक क्षमता को इतना बड़ा लिया है कि अब इन्हें डीडीटी जैसे दवाओं का कोई डर नहीं है मलेरिया विभाग के अफसरों की माने तो नारायणपुर जिले की दो ब्लॉकों में मच्छर इतने ताकतवर हो गए हैं कि इनमें दवाओं का असर ही नहीं हो रहा है ऐसे में अब इनकी खात्मे के लिए एसीएम अल्फा साइफर मैथिल नामक दवा का छिड़काव करवाया जाएगा।

मच्छरों को मारने के लिए मलेरिया विभाग सालों से डीडीटी का उपयोग कर रहा था इसके लगातार उपयोग के चलते मच्छरों ने अपने लड़ने के लिए अपने अंदर प्रतिरोधक क्षमता को इतना बड़ा लिया कि अब इन दवाओं से मच्छरों पर बेसर हो रही है हालत ऐसी है कि नारायणपुर और ओरछा ब्लॉक में तो मच्छर इनसे नहीं मर रहे हैं इन मच्छरों को मारने के लिए अब नई दवाओं का उपयोग किया जाएगा और मच्छरदानी का उपयोग करना लोगों के लिए बचाव होगा।

नारायणपुर जिला मलेरिया जॉन होने के कारण सबसे ज्यादा मलेरिया होने का डर इन दो ब्लॉकों में मच्छर धीरे-धीरे घातक होते जा रहे हैं मच्छरों के चलते जेई, डेंगू मलेरिया जैसी बीमारी यहां तेजी से फैल रही है अब तक जेई ,टाइफाइड , डेंगू और मलेरिया से कई लोगों की मौत हो चुकी है वही एक दर्जन से ज्यादा लोग इन बीमारियों से पीड़ित हैं यहां बीमारी सबसे ज्यादा छोटे बच्चे गर्भवती महिलाएं बुजुर्ग और शरीर में कम प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों को ज्यादा होता है जिस से बचने का आसान तरीका डॉक्टर्स बताते हैं आसपास के जगहों में गंदे पानी है ना जमा होने दें सांप सूत्र पानी का उपयोग करना चाहिए घरों में दवाइयों का छिड़काव करना चाहिए और सोते वक्त मच्छरदानी का उपयोग रोज करना चाहिए जिससे मरी रहे थे हम बच सकते हैं मलेरिया घर सर पर चढ़ जाए तो इंसान की मृत्यु भी हो सकती है।


बाइट- एस एच गोटा सीएमएचओ मुख्य चिकित्सा अधिकारी नारायणपुर



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एक मच्छर अपने जीवन काल में लगभग 500 अंडा देता है जिस से 500 गुना ज्यादा मच्छर पैदा होने का आसार रहता है अंडों को मारने की लिए उसे हमको लारवा पैदा होने की जगह में ही दवाई का छिड़काव करना होता है



Conclusion:cg_nyp_01_maleriya_ek_jaanlewa_bimari_CG10020

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से चर्चा करने के बाद चर्चा में बताएं मच्छर और उनके लारवा को मारने के लिए हम अपनी तैयारी कर रखी है

एक मादा मच्छर 500 के करीब अंडे देती है और उसकी उम्र 15 दिनों के आसपास होती है इन 15 दिनों में ही मादा अपने से 500 * नए मच्छर पैदा कर रही है मलेरिया डिपार्टमेंट के अफसरों के अनुसार अंडो जिसे लारवा भी कहा जाता है को मारने के लिए टेंपो ऑक्स दवा का छिड़काव करवाएगी लेकिन अंडे का खात्मा पूरी तरह से नहीं हो पा रहा है
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