नारायणपुर: जिले के लगभग 300 अतिथि शिक्षकों को पिछले 8 महीनों से वेतन नहीं मिला है. इस वजह से सभी शिक्षक बेरोजगार हो चुके हैं और अब उन्हें आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है.
अतिथि शिक्षकों का आरोप है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने जनघोषणा पत्र में कहा था कि कोई भी बेरोजगार नहीं रहेगा, सब को रोजगार दिया जाएगा. साथ ही रोजगार भत्ता भी देने का वादा किया गया था, लेकिन बेरोजगारी से जूझ रहे अतिथि शिक्षकों के पास परिवार चलाने की भी संकट आ गई है. इसे लेकर सभी अतिथि शिक्षक बीते 2 दिनों से सरकार के खिलाफ धरने पर बैठे हुए हैं और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे हैं.
अप्रैल महीने से नहीं मिला वेतन
कोरोना संक्रमण की वजह से अतिथि शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी गई है, जिसके कारण अतिथि शिक्षकों को बेरोजगारी, मानसिक, पारिवारिक व आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. अतिथि शिक्षकों का कहना है कि अप्रैल से लेकर इस महीने तक का उन्हें वेतन नहीं दिया गया है. इसके अलावा सभी स्थानीय अतिथि शिक्षकों को भुगतान मानदेय भी प्राप्त नहीं हुआ है.
शिक्षक विहीन स्कूलों में दे रहे थे सेवाएं
अतिथि शिक्षकों को जिला खनिज न्यास निधि के माध्यम से नियुक्त किया गया था. इन सभी को एकल शिक्षक व शिक्षक विहीन स्कूलों में अतिथि शिक्षक के रूप में नियुक्ति दी गई थी. जिले के स्थानीय युवक-युवतियां अंदरुनी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अतिरिक्त शिक्षक के रूप में विभिन्न हाई स्कूल, हायर सेकेंडरी स्कूल और प्राथमिक-माध्यमिक शालाओं में अपनी सेवाएं दे रहे थे.
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मांगे पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी
धरना प्रदर्शन कर रहे अतिथि शिक्षकों ने सरकार से उनकी मांगों को जल्द पूरा करने की बात कही है. साथ ही मांगे पूरी नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी है. इसके अलावा शिक्षकों का कहना है कि बीते 7 महीने से उन्हें मानदेय भी नहीं मिल पाया है. वहीं बेरोजगारी भत्ता की भी मांग की है.
इस पूरे मामले में कलेक्टर अभिजीत सिंह का कहना है कि स्थानीय अतिथि शिक्षकों को हटाया नहीं गया है, बल्कि उन्हें विशेष मानदेय पर रखा गया है. पिछला सत्र समाप्त होने के बाद अभी नया सत्र चालू नहीं हो पाया है, इसलिए उनकी नियुक्ति भी नहीं हो पाई है.