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नारायणपुर: जान हथेली पर रखकर लाते हैं फूल झाड़ू, मेहनत पर पानी फेर रहे बिचौलिए - आदिवासी

अबूझमाड़ में मिलने वाले वनोपज में सबसे ज्यादा फूल झाड़ू होता है. इन्हें घने जंगल के बीच में से काटकर शहरों तक लाया जाता है.अबूझमाड़ के जंगलों का वनोपज यहां के लोगों के लिए आय का मुख्य साधन है.

अबूझमाड़ के निवासी
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Published : Mar 28, 2019, 8:51 AM IST

Updated : Mar 28, 2019, 12:39 PM IST

नारायणपुर: जिले के अबूझमाड़ इलाके में इन दिनों वनोपज अधिक मात्रा में आने लगे हैं. इस वजह से अबूझमाड़ के जनजाति अब जंगल से निकलकर शहरी क्षेत्र तक आसानी से आ रहे हैं. अबूझमाड़ के जंगलों का वनोपज यहां के लोगों के लिए आय का मुख्य साधन है.

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अबूझमाड़ में मिलने वाले वनोपज में सबसे ज्यादा फूल झाड़ू होता है. इन्हें घने जंगल के बीच में से काटकर शहरों तक लाया जाता है. झाड़ू कटिंग करने की प्रक्रिया बहुत ही मेहनत और मुश्किल भरी होती है. झाड़ू कटिंग में बहुत खतरा भी होता है. कटिंग के दौरान कई बार अबूझमाड़ के मडिया जनजाति के लोगों को जंगली जानवरों से सामना होता है. जंगली जानवरों से अचानक आमना-सामना होने पर वे घायल हो जाते हैं. कई बार तो लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं.


जानवर घास में छुपे रहते हैं
फूल झाड़ू एक प्रकार का घास होता है. बड़े होने के कारण जानवर इन घास में छुपे रहते हैं और लोगों पर हमला कर देते हैं. भारी मेहनत भरा काम होने के बाद भी फूल झाड़ू के उचित दाम इन लोगों को नहीं मिल पाता, जिसके कारण ये झाड़ू उन्हें बिचौलियों को बेचना पड़ता है.


5 गुना ज्यादा दाम में बेचते हैं बिचौलिए
इन दिनों सरकार ने 1 किलो फूल झाड़ू का मूल्य 30 रुपये रखा है. वहीं बिचौलिए इसे 32 रुपए में खरीद कर आम बाजार में 5 गुना ज्यादा दाम पर बेचते हैं. अबूझमाड़ के निवासियों को इससे काफी नुकसान होता है, आय का कोई साधन नहीं होने के कारण मजबूरी में बिचौलियों को अपना झाड़ू बेच देते हैं.


वनोपज से आशा की किरण
अबूझमाड़ में वनोपज से आशा की किरण जगती है. यहां के लोगों के लिए वनोपज ही आय का एक साधन है. अबूझमाड़ में कोई भी काम नहीं मिल पाता न ही विकास के कोई काम चल रहे हैं. दूसरी ओर अबूझमाड़ में निकलने वाले वनोपज जैसे कोसा, सहद, हर्रा, बेड़ा, फूल झाड़ू, कोसरा, चिरौंजी, लाख, धूप और आयुर्वेदिक दवाइयां भारी मात्रा में मिलते हैं.


सरकार नहीं देती कोई हर्जाना
इन वनोपज को बड़ी मेहनत से लोग इकट्ठा करते हैं. उसके बाद भी सरकार उनकी मेहनत का कोई हर्जाना नहीं देती. इस वजह से अबूझमाड़ के निवासी बिचौलियों को अपना कीमती वनोपज बहुत कम दाम में देने को मजबूर हैं.

नारायणपुर: जिले के अबूझमाड़ इलाके में इन दिनों वनोपज अधिक मात्रा में आने लगे हैं. इस वजह से अबूझमाड़ के जनजाति अब जंगल से निकलकर शहरी क्षेत्र तक आसानी से आ रहे हैं. अबूझमाड़ के जंगलों का वनोपज यहां के लोगों के लिए आय का मुख्य साधन है.

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अबूझमाड़ में मिलने वाले वनोपज में सबसे ज्यादा फूल झाड़ू होता है. इन्हें घने जंगल के बीच में से काटकर शहरों तक लाया जाता है. झाड़ू कटिंग करने की प्रक्रिया बहुत ही मेहनत और मुश्किल भरी होती है. झाड़ू कटिंग में बहुत खतरा भी होता है. कटिंग के दौरान कई बार अबूझमाड़ के मडिया जनजाति के लोगों को जंगली जानवरों से सामना होता है. जंगली जानवरों से अचानक आमना-सामना होने पर वे घायल हो जाते हैं. कई बार तो लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं.


जानवर घास में छुपे रहते हैं
फूल झाड़ू एक प्रकार का घास होता है. बड़े होने के कारण जानवर इन घास में छुपे रहते हैं और लोगों पर हमला कर देते हैं. भारी मेहनत भरा काम होने के बाद भी फूल झाड़ू के उचित दाम इन लोगों को नहीं मिल पाता, जिसके कारण ये झाड़ू उन्हें बिचौलियों को बेचना पड़ता है.


5 गुना ज्यादा दाम में बेचते हैं बिचौलिए
इन दिनों सरकार ने 1 किलो फूल झाड़ू का मूल्य 30 रुपये रखा है. वहीं बिचौलिए इसे 32 रुपए में खरीद कर आम बाजार में 5 गुना ज्यादा दाम पर बेचते हैं. अबूझमाड़ के निवासियों को इससे काफी नुकसान होता है, आय का कोई साधन नहीं होने के कारण मजबूरी में बिचौलियों को अपना झाड़ू बेच देते हैं.


वनोपज से आशा की किरण
अबूझमाड़ में वनोपज से आशा की किरण जगती है. यहां के लोगों के लिए वनोपज ही आय का एक साधन है. अबूझमाड़ में कोई भी काम नहीं मिल पाता न ही विकास के कोई काम चल रहे हैं. दूसरी ओर अबूझमाड़ में निकलने वाले वनोपज जैसे कोसा, सहद, हर्रा, बेड़ा, फूल झाड़ू, कोसरा, चिरौंजी, लाख, धूप और आयुर्वेदिक दवाइयां भारी मात्रा में मिलते हैं.


सरकार नहीं देती कोई हर्जाना
इन वनोपज को बड़ी मेहनत से लोग इकट्ठा करते हैं. उसके बाद भी सरकार उनकी मेहनत का कोई हर्जाना नहीं देती. इस वजह से अबूझमाड़ के निवासी बिचौलियों को अपना कीमती वनोपज बहुत कम दाम में देने को मजबूर हैं.

Intro:2703_CG_NYP_BINDESH PATRA_VANOPAJ SE AASHA KI KIRAN_SHBT


Body:2703_CG_NYP_BINDESH PATRA_VANOPAJ SE AASHA KI KIRAN_SHBT


Conclusion:2703_CG_NYP_BINDESH PATRA_VANOPAJ SE AASHA KI KIRAN_SHBT

एंकर नारायणपुर जिला के अबूझमाड़ क्षेत्र में इन दिनों वनोपज अधिक मात्रा में आने लगा है जिसके कारण अबूझमाड़ के मारे जनजाति आज अबूझमाड़ के जंगल से निकल कर शहरी शहरी क्षेत्र तक आसान आज आप आ रहे हैं अबूझमाड़ में वनोपज की आय का एक साधन है अबूझमाड़ में मिलने वाले वनोपज मैं सबसे ज्यादा फूल झाड़ू होता है जिसको घना जंगल के बीच में से काटकर शहरों तक लाया जाता है झाड़ू कटिंग करने की प्रक्रिया बहुत ही मेहनत और मुश्किल होता है बहुत मिलो तक जंगल के अंदर घूमना पड़ता है झाड़ू कटिंग में बहुत खतरा भी होता है कटिंग करते वक्त कई बार जंगली जानवरों से सामना अक्सर अबूझमाड़ के मडिया जनजाति के लोगों को होता है जानवर से अचानक आमना सामना होने पर जंगली जानवर लोगों को घायल कर देते हैं या कई बार जान से हाथ धो बैठते हैं फूल झाड़ू एक प्रकार का घास होता है जो बड़ी बड़ी गाना होने के कारण जानवर आसानी से इन घासो में छुपे रहते हैं जिसके कारण लोग नहीं जान पाते हैं की घनी झाड़ियों में कोई जानवर है बड़ी मुश्किलों के बाद फूल झाड़ू कटिंग कर ले आते हैं भारी मेहनत भरा काम होने के बाद भी फूल झाड़ू के उचित दाम नहीं मिल पाता नारायणपुर जिला के वन विभाग इन दिनों वनोपज सही दाम में नहीं खरीदने के कारण अबूझमाड़ के झाड़ू बेचने वालों को उचित दाम नहीं मिल पाता जिसके कारण बिचौलियों को बेचना पड़ता है इन दिनों सरकार 1 किलो फूल झाड़ू का मूल्य ₹30 रखा है वहीं बिचौलियों ने इसे 32 रुपए में खरीद कर आम बाजार में जिसकी कीमत 5 गुना हो जाती है मजबूरी बस झाड़ू विक्रेता अबूझमाड़ के निवासियों को काफी नुकसान होता है आय का कोई साधन नहीं होने के कारण यह मजबूरी में बिचौलियों को अपना झाड़ू विक्रय कर देते हैं

अबूझमाड़ में वनोपज से आशा की किरण जगती है वनोपज ही एक आयका साधन है अबूझमाड़ में कोई भी काम नहीं मिल पाता नाही विकास के कोई काम चल रहा है जहां पर जाकर अबूझमाड़ के निवासी मजदूरी करके कुछ पैसे जुटा पाए दूसरी तरफ अबूझमाड़ में निकलने वाले वनोपज जैसे कोसा सहद हर्रा बेड़ा फूल झाड़ू कोसरा चिरौंजी लाख धूप और आयुर्वेदिक दवाइयां भारी मात्रा में निकलता है जिसको बड़ी मेहनत करके लोग इकट्ठा करते हैं उसके बाद भी सरकार उनकी मेहनत का कोई हर्जाना नहीं देता जिसके कारण अबूझमाड़ के निवासी बिचौलियों को अपना कीमती वनोपज बहुत कम दाम में बेच देते हैं सरकार विकास की बड़ी बड़ी बातें तो करती है पर प्रदेश के आखरी छोर में रहने वाले अबूझमाड़ के लोगों के बारे में बिल्कुल भी नहीं सोच सही है नाउन को रोजगार दे पा रहा है ना उनके द्वारा लाए गए वनोपज को उचित मूल्य में खरीद पा रहा है अबूझमाड़ में इन दिनों काफी मात्रा में वनोपज की आवक हो रही है

बाइट -अबूझमाड़ के निवासी
Last Updated : Mar 28, 2019, 12:39 PM IST
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