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नारायणपुर: सीएम भूपेश बघेल ने किया फूलझाड़ू प्रसंस्करण केंद्र का अवलोकन - फुलझाड़ू प्रोसेसिंग केन्द्र

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने नारायणपुर प्रवास के दूसरे दिन जिला मुख्यालय नारायणपुर में वन विभाग के फूलझाड़ू प्रोसेसिंग केन्द्र का अवलोकन किया. इस दौरान सीएम ने महिलाओं के कामों की सराहना की.

CM Bhupesh Baghel visited Phuljhadu processing center
फूलझाडू प्रसंस्करण केंद्र का अवलोकन
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Published : Jan 10, 2021, 8:28 PM IST

नारायणपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने नारायणपुर प्रवास के दूसरे दिन जिला मुख्यालय नारायणपुर में वन विभाग के फूलझाड़ू प्रोसेसिंग केन्द्र का अवलोकन किया. सीएम ने यहां काम करने वाली महिलाओं से बातचीत की और उनके बनाए गए फूलझाड़ू के लिए कच्चे माल, बिक्री के लिए बाजार, मिलने वाली मजदूरी, आय आदि के बारे में जानकारी ली.

CM Bhupesh Baghel visited Phuljhadu processing center
अवलोकन करते सीएम

माड़ की झाड़ू से साफ हो रही दिल्ली

महिलाओं ने बताया कि उनके बनाए गए माड़ के फूलझाड़ू से छत्तीसगढ़ के अलावा 45 हजार फूलझाड़ू देश की राजधानी दिल्ली भेजा गया है. माड़ की झाड़ू का योगदान देश की राजधानी दिल्ली को भी चकाचक करने में हो रहा है. वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि साल 2019-20 में फूलझाडू़ निर्माण परियोजना के तहत 315.45 क्विंटल कच्चा माल संग्रहण किया गया. जिसका 9.46 लाख रुपये का भुगतान संग्राहकों को किया गया.

CM Bhupesh Baghel visited Phuljhadu processing center
फूलझाड़ू बनाती महिलाएं

प्रसंस्करण केंद्र के जरिए होता है भुगतान

प्रसंस्करण केन्द्र के जरिए स्व-सहायता समूह की महिलाओं को 2.29 लाख रुपये की मजदूरी और 3.81 लाख लाभांश का भुगतान भी किया गया. इसी तरह वित्तीय साल 2020-21 में राज्य शासन की एमएसपी योजना के तहत 249.10 कच्चा फूलझाडू़ संग्रहण किया गया. इसके लिए संग्राहकों को 12.45 लाख रुपये का भुगतान किया गया है.

पढ़ें: अबूझमाड़ के बच्चों ने रोमांचक मलखंभ से CM बघेल को किया कायल

नाफेड ने की थी झाड़ू की मांग

लघुवनोपज संघ की महिला स्व सहायता समूह के बनाए झाडू की सप्लाई छत्तीसगढ़ के अलावा देश की राजधानी दिल्ली की नाफेड (भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ मर्यादित) ने झाड़ू की मांग की थी. समूह कच्चे फूल झाड़ू की खरीदी करता है. कुछ फायदा लेकर नारायणपुर के समूह को बेचता है. पहले अबूझमाड़ के ग्रामीणों को इसका सही दाम नहीं मिल पाता था. वहीं बिचौलिए झाड़ू के कच्चे माल को बेचकर अच्छे दाम कमा लेते थे. झाडू कई प्रकार की सामग्रियों से बनाई जाती है. स्थानीय स्तर पर पाई जाने वाली घास, पत्तियों और पोधे भी झाडू बनाने में उपयोग किए जाते हैं.

एक झाड़ू का मिलता है 3 रुपया

फूल झाडू बनाने वाली महिलाओं को एक झाडू के तीन रुपये मिलते हैं. इसके साथ ही झाड़ू बेचने के बाद मिली हुई राशि में से भी कुछ अंश का भुगतान होता है. इससे उन्हें रोजाना करीब 200 से 225 रुपये मिल जाते हैं. एक हाट-बाजारों में उनके झाड़ू 25 से 30 रुपये में बिकते हैं.

नारायणपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने नारायणपुर प्रवास के दूसरे दिन जिला मुख्यालय नारायणपुर में वन विभाग के फूलझाड़ू प्रोसेसिंग केन्द्र का अवलोकन किया. सीएम ने यहां काम करने वाली महिलाओं से बातचीत की और उनके बनाए गए फूलझाड़ू के लिए कच्चे माल, बिक्री के लिए बाजार, मिलने वाली मजदूरी, आय आदि के बारे में जानकारी ली.

CM Bhupesh Baghel visited Phuljhadu processing center
अवलोकन करते सीएम

माड़ की झाड़ू से साफ हो रही दिल्ली

महिलाओं ने बताया कि उनके बनाए गए माड़ के फूलझाड़ू से छत्तीसगढ़ के अलावा 45 हजार फूलझाड़ू देश की राजधानी दिल्ली भेजा गया है. माड़ की झाड़ू का योगदान देश की राजधानी दिल्ली को भी चकाचक करने में हो रहा है. वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि साल 2019-20 में फूलझाडू़ निर्माण परियोजना के तहत 315.45 क्विंटल कच्चा माल संग्रहण किया गया. जिसका 9.46 लाख रुपये का भुगतान संग्राहकों को किया गया.

CM Bhupesh Baghel visited Phuljhadu processing center
फूलझाड़ू बनाती महिलाएं

प्रसंस्करण केंद्र के जरिए होता है भुगतान

प्रसंस्करण केन्द्र के जरिए स्व-सहायता समूह की महिलाओं को 2.29 लाख रुपये की मजदूरी और 3.81 लाख लाभांश का भुगतान भी किया गया. इसी तरह वित्तीय साल 2020-21 में राज्य शासन की एमएसपी योजना के तहत 249.10 कच्चा फूलझाडू़ संग्रहण किया गया. इसके लिए संग्राहकों को 12.45 लाख रुपये का भुगतान किया गया है.

पढ़ें: अबूझमाड़ के बच्चों ने रोमांचक मलखंभ से CM बघेल को किया कायल

नाफेड ने की थी झाड़ू की मांग

लघुवनोपज संघ की महिला स्व सहायता समूह के बनाए झाडू की सप्लाई छत्तीसगढ़ के अलावा देश की राजधानी दिल्ली की नाफेड (भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ मर्यादित) ने झाड़ू की मांग की थी. समूह कच्चे फूल झाड़ू की खरीदी करता है. कुछ फायदा लेकर नारायणपुर के समूह को बेचता है. पहले अबूझमाड़ के ग्रामीणों को इसका सही दाम नहीं मिल पाता था. वहीं बिचौलिए झाड़ू के कच्चे माल को बेचकर अच्छे दाम कमा लेते थे. झाडू कई प्रकार की सामग्रियों से बनाई जाती है. स्थानीय स्तर पर पाई जाने वाली घास, पत्तियों और पोधे भी झाडू बनाने में उपयोग किए जाते हैं.

एक झाड़ू का मिलता है 3 रुपया

फूल झाडू बनाने वाली महिलाओं को एक झाडू के तीन रुपये मिलते हैं. इसके साथ ही झाड़ू बेचने के बाद मिली हुई राशि में से भी कुछ अंश का भुगतान होता है. इससे उन्हें रोजाना करीब 200 से 225 रुपये मिल जाते हैं. एक हाट-बाजारों में उनके झाड़ू 25 से 30 रुपये में बिकते हैं.

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