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मुंगेली: अब हाथी पर बैठकर बाघ देखेंगे पर्यटक

अचानकमार टाइगर रिजर्व के दो हाथियों को तमोर पिंगला अभ्यारण्य में इसके लिए ट्रेनिंग दी जा रही है. जल्द ही यहां आने वाले पर्यटक हाथी पर बैठ जंगल सफारी का मजा ले सकेंगे.

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Published : May 7, 2019, 2:12 PM IST

Updated : May 7, 2019, 2:54 PM IST

अब हाथी पर बैठ बाघ देखेंगे पर्यटक

मुंगेली: अचानकमार टाइगर रिजर्व में घूमने आने वाले सैलानियों को एक बड़ी सौगात मिलने जा रही है. जल्द ही यहां आने वाले पर्यटक हाथी पर बैठ जंगल सफारी का मजा ले सकेंगे. इसके लिए एटीआर प्रबंधन ने तैयारी शुरू कर दी है. अचानकमार टाइगर रिजर्व के दो हाथियों को तमोर पिंगला अभयारण्य में इसके लिए ट्रेनिंग दी जा रही है.

अब हाथी पर बैठ बाघ देखेंगे पर्यटक

अचानकमार टाइगर रिजर्व
मैकल पर्वत की श्रृंखला पर बसे अचानकमार टाइगर रिजर्व की स्थापना 1975 में वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट-1972 के तहत की गई थी. इसके बाद 2007 में इसे बायोस्फियर और 2009 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था. लगभग 914 वर्ग किलोमीटर में फैला ये टाइगर रिजर्व अपने अंदर अनेक जैव विविधिता समेटे हुए है. एटीआर का कोर एरिया का क्षेत्रफल 649 वर्ग किलोमीटर है. वहीं बफर एरिया का क्षेत्रफल 265 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है.

कई तरह के वन्य जीव मौजूद
यहां के जंगलों में बाघ, तेंदुआ, गौर, उड़न गिलहरी, बायसन, भालू, हिरण, चीतल समेत लगभग 50 से ज्यादा स्तनधारी जीव और अलग-अलग प्रकार के 200 से ज्यादा पक्षियों के प्रजाति पाए जाते हैं.

हाथी पर सैर करेंगे सैलानी
अभी तक यहां सैलानी जिप्सी से ही जंगल सफारी का मजा लेते थे. वहीं अब सैलानियों को देश के दूसरे टाइगर रिजर्व की तर्ज पर हाथियों के जरिये सैर कराने की योजना पर काम चल रहा है. वर्तमान में एटीआर में केवल 4 हाथी उपलब्ध हैं. इनमें से पूर्णिमा और जंगबहादुर नाम के हाथियों की ट्रेनिंग के लिए तमोर पिंगला अभयारण भेजा गया है. एटीआर के डिप्टी डायरेक्टर संदीप बलगा के मुताबिक ट्रेनिंग लेकर आने वाले हाथियों को महावत के साथ जंगल सफारी के काम में लगाया जाएगा.

मुंगेली: अचानकमार टाइगर रिजर्व में घूमने आने वाले सैलानियों को एक बड़ी सौगात मिलने जा रही है. जल्द ही यहां आने वाले पर्यटक हाथी पर बैठ जंगल सफारी का मजा ले सकेंगे. इसके लिए एटीआर प्रबंधन ने तैयारी शुरू कर दी है. अचानकमार टाइगर रिजर्व के दो हाथियों को तमोर पिंगला अभयारण्य में इसके लिए ट्रेनिंग दी जा रही है.

अब हाथी पर बैठ बाघ देखेंगे पर्यटक

अचानकमार टाइगर रिजर्व
मैकल पर्वत की श्रृंखला पर बसे अचानकमार टाइगर रिजर्व की स्थापना 1975 में वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट-1972 के तहत की गई थी. इसके बाद 2007 में इसे बायोस्फियर और 2009 में टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था. लगभग 914 वर्ग किलोमीटर में फैला ये टाइगर रिजर्व अपने अंदर अनेक जैव विविधिता समेटे हुए है. एटीआर का कोर एरिया का क्षेत्रफल 649 वर्ग किलोमीटर है. वहीं बफर एरिया का क्षेत्रफल 265 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है.

कई तरह के वन्य जीव मौजूद
यहां के जंगलों में बाघ, तेंदुआ, गौर, उड़न गिलहरी, बायसन, भालू, हिरण, चीतल समेत लगभग 50 से ज्यादा स्तनधारी जीव और अलग-अलग प्रकार के 200 से ज्यादा पक्षियों के प्रजाति पाए जाते हैं.

हाथी पर सैर करेंगे सैलानी
अभी तक यहां सैलानी जिप्सी से ही जंगल सफारी का मजा लेते थे. वहीं अब सैलानियों को देश के दूसरे टाइगर रिजर्व की तर्ज पर हाथियों के जरिये सैर कराने की योजना पर काम चल रहा है. वर्तमान में एटीआर में केवल 4 हाथी उपलब्ध हैं. इनमें से पूर्णिमा और जंगबहादुर नाम के हाथियों की ट्रेनिंग के लिए तमोर पिंगला अभयारण भेजा गया है. एटीआर के डिप्टी डायरेक्टर संदीप बलगा के मुताबिक ट्रेनिंग लेकर आने वाले हाथियों को महावत के साथ जंगल सफारी के काम में लगाया जाएगा.

Intro:स्पेशल पैकेज: अचानकमार टाइगर रिजर्व में अब हाथी कराएंगे सैलानियों को सैर,मिलने जा रही बड़ी सौगात


Body:मुंगेली- जिले के लोरमी इलाके में स्थित प्रदेश के सबसे बड़े टाइगर रिजर्वों में शुमार अचानकमार टाइगर रिज़र्व के प्रेमियों के लिए एक अच्छी ख़बर है।जल्द ही यहां घूमने आने वाले पर्यटकों को हाथी के जरिये जंगल की सैर करायी जाएगी। एटीआर प्रबंधन ने इसको लेकर अपनी कवायद शुरू कर दी है।अचानकमार टाइगर रिजर्व के दो हाथियों के ट्रेनिंग तमोर पिंगला अभ्यारण्य में की जा रही है।
मैकल पर्वत की श्रृंखला पर बसे अचानकमार टाइगर रिज़र्व को प्रदेश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व माना जाता है। इसकी स्थापना 1975 में वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट-1972 के तहत अभ्यारण्य बनाकर की गई थी।जिसके बाद 2007 में इसे बायोस्फियर जबकि 2009 में इसे टाइगर रिज़र्व घोषित किया।लगभग 914 वर्ग किमी में फैला ये टाइगर रिजर्व अपने अंदर अनेक जैव विविधिता समेटे हुए है। इसके कोर एरिया का क्षेत्रफल 649 वर्ग किमी तो वहीं बफर एरिया का क्षेत्रफल 265 वर्गकिमी तक फैला हुआ है। यहां के जंगलों में बाघ,तेंदुआ,गौर,उड़न गिलहरी,बायसन, भालू,हिरण, चीतल समेत लगभग 50 से अधिक स्तनधारी जीव व 200 से अधिक विभिन्न प्रकार के पक्षी के प्रजाति पाए जाते हैं। यही वजह है कि ये जंगल सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है।सैलानियों को यहां सफारी के लिए अभी सिर्फ़ जिप्सी वाहन ही मिल पाता है।ऐसे में सैलानियों को देश के दूसरे टाइगर रिज़र्व की तर्ज़ पर हाथियों के जरिये सैर कराने की योजना पर काम चल रहा है। वर्तमान में एटीआर में केवल 4 हाथी उपलब्ध हैं। जिनमे से पूर्णिमा और जंगबहादुर नाम के हाथियों के ट्रेनिंग के लिए तमोर पिंगला अभ्यारण्य भेजा गया है।जबकि 2 हाथी राजू और लाली अभी भी यहीं है। तमोर पिंगला से ट्रेनिंग लेकर आने वाले हाथियों के जरिये आने वाले समय मे सैर कराया जाएगा। एटीआर के डिप्टी डायरेक्टर संदीप बलगा के मुताबिक ट्रेनिंग लेकर आने वाले हाथियों को महावत के साथ जंगल सफ़ारी के काम।मे लगाया जाएगा।
बाइट-1-संदीप बलगा (प्रभारी डिप्टी डायरेक्टर,एटीआर)
अचानकमार टाइगर रिज़र्व प्रबंधन कब तक इस योजना को शुरू कर पाता है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।लेकिन जिस तरह से हाथियों के जरिये सैर कराने की योजना है।वो निश्चित रूप से यहां घूमने आने वाले पर्यटकों का मन जरूर जीतेगा,,,,शशांक दुबे,ईटीवी भारत मुंगेली


Conclusion:रिपोर्ट-शशांक दुबे,ईटीवी भारत मुंगेली
Last Updated : May 7, 2019, 2:54 PM IST
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