ETV Bharat / state

वर्ल्ड डायबिटीज डे : छत्तीसगढ़ में है शुगर का रामबाण इलाज

छत्तीसगढ़ में होने वाली खास 'कोदो' की फसल डायबिटीज मरीजों के लिए दवा के रूप में काम करती है. डायबटीज के मरीजों के लिए 'कोदो' किसी वरदान से कम नहीं है.

वर्ल्ड डायबिटीज डे
author img

By

Published : Nov 14, 2019, 8:53 PM IST

मुंगेली: आज यानी गुरुवार को विश्व मधुमेह दिवस यानी कि वर्ल्ड डायबिटीज डे है. दुनियाभर में डायबिटीज से करीब 42 करोड़ लोग प्रभावित हैं. इसमें से करीब 8 करोड़ लोग भारत से हैं. भारत का छत्तीसगढ़ राज्य जिसे धान का कटोरा कहा जाता है. अब धीरे-धीरे वह अपनी पहचान डायबिटीज कैपिटल के रूप में भी बना रहा है. हालांकि इन सबके बीच जंगल और जड़ी-बुटियों के साथ खनिजों का प्रदेश छत्तीसगढ़ में डायबिटीज को मात देने का हुनर भी है. छत्तीसगढ़ में उगाये जाने वाला एक खास किस्म का धान डायबिटीज मरीजों के लिए दवा के रूप में काम करता है.

वर्ल्ड डायबिटीज डे

'कोदो', जी हां वहीं गेरुए रंग का यह चावल जिसका स्वाद तो कुछ खास नहीं होता, लेकिन ये मधुमेह यानी डायबटीज के मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. कोदो को डायबटीज के मरीज चावल के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं. किसानों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में सरकार ने समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की व्यवस्था तो की है, लेकिन इसके पौधों की उपलब्धता को लेकर कोई प्रयास नहीं किया है, जिसकी वजह से किसानों ने कोदो से अपना मुंह मोड़ लिया है. कभी हजारों हेक्टेयर रकबे में लगने वाला औषधीय कोदो महज कुछ किसानों के खेतों तक ही सिमटकर रह गया है.

कोदो की डिमांड बढ़ी

कोदो की फसल कम होने की वजह से मौजूदा दौर में इसे दूसरे प्रदेश से आयात कर मंगाया जा रहा है. कोदो का बाजार मूल्य लगभग 6500 रुपये प्रति क्विंटल है, जो अच्छे किस्म के चावल से भी कहीं ज्यादा है. वहीं बढ़ते शुगर के मरीजों के बीच इसकी डिमांड बढ़ने से यह धीरे-धीरे फिर से काफी डिमांडिंग हो गया है.

डायबिटीज मरीजों के लिए लाभदायक

इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में डायबिटीज के 42.5 करोड़ मरीज हैं, जिसमें भारत में लगभग 8.2 करोड़ मरीज पाए जाते हैं. कोदो की बात करें, तो इसे अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है. इसे अंग्रेजी में कोदो मिलेट या काउ ग्रास भी कहते हैं. कोदो भारत के अलावा मुख्य रूप से फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, थाईलैंड और दक्षिण अफ्रीका में उगाया जाता है. चिकित्सकों के मुताबिक कोदो में पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाए जाते हैं, जो कि शुगर के मरीजों के लिए अच्छा आहार माना जाता है.

पढ़े:वर्ल्‍ड डायबिटीज डे: भारत के लिए बड़ा खतरा है Diabetes, जानिए सावधानियां और उपाय

उत्पादन में बढ़ावा की जरूरत

एक ओर छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश में धान और गन्ना उत्पादक किसानों को मदद मुहैया करा रही है. वहीं प्रदेश के लिए नासूर बनते जा रहे डायबिटीज की रोकथाम के लिए आवश्यक औषधीय गुणों से भरपूर कोदो फसल पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है. ऐसे में जरूरत है समय रहते इस रोग के रोकथाम और कोदो जैसे औषधिकारक फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने की ताकि प्रदेश के लोगों को शुगर जैसी जानलेवा बीमारी से बचाया जा सके.

मुंगेली: आज यानी गुरुवार को विश्व मधुमेह दिवस यानी कि वर्ल्ड डायबिटीज डे है. दुनियाभर में डायबिटीज से करीब 42 करोड़ लोग प्रभावित हैं. इसमें से करीब 8 करोड़ लोग भारत से हैं. भारत का छत्तीसगढ़ राज्य जिसे धान का कटोरा कहा जाता है. अब धीरे-धीरे वह अपनी पहचान डायबिटीज कैपिटल के रूप में भी बना रहा है. हालांकि इन सबके बीच जंगल और जड़ी-बुटियों के साथ खनिजों का प्रदेश छत्तीसगढ़ में डायबिटीज को मात देने का हुनर भी है. छत्तीसगढ़ में उगाये जाने वाला एक खास किस्म का धान डायबिटीज मरीजों के लिए दवा के रूप में काम करता है.

वर्ल्ड डायबिटीज डे

'कोदो', जी हां वहीं गेरुए रंग का यह चावल जिसका स्वाद तो कुछ खास नहीं होता, लेकिन ये मधुमेह यानी डायबटीज के मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. कोदो को डायबटीज के मरीज चावल के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं. किसानों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में सरकार ने समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की व्यवस्था तो की है, लेकिन इसके पौधों की उपलब्धता को लेकर कोई प्रयास नहीं किया है, जिसकी वजह से किसानों ने कोदो से अपना मुंह मोड़ लिया है. कभी हजारों हेक्टेयर रकबे में लगने वाला औषधीय कोदो महज कुछ किसानों के खेतों तक ही सिमटकर रह गया है.

कोदो की डिमांड बढ़ी

कोदो की फसल कम होने की वजह से मौजूदा दौर में इसे दूसरे प्रदेश से आयात कर मंगाया जा रहा है. कोदो का बाजार मूल्य लगभग 6500 रुपये प्रति क्विंटल है, जो अच्छे किस्म के चावल से भी कहीं ज्यादा है. वहीं बढ़ते शुगर के मरीजों के बीच इसकी डिमांड बढ़ने से यह धीरे-धीरे फिर से काफी डिमांडिंग हो गया है.

डायबिटीज मरीजों के लिए लाभदायक

इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में डायबिटीज के 42.5 करोड़ मरीज हैं, जिसमें भारत में लगभग 8.2 करोड़ मरीज पाए जाते हैं. कोदो की बात करें, तो इसे अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है. इसे अंग्रेजी में कोदो मिलेट या काउ ग्रास भी कहते हैं. कोदो भारत के अलावा मुख्य रूप से फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, थाईलैंड और दक्षिण अफ्रीका में उगाया जाता है. चिकित्सकों के मुताबिक कोदो में पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाए जाते हैं, जो कि शुगर के मरीजों के लिए अच्छा आहार माना जाता है.

पढ़े:वर्ल्‍ड डायबिटीज डे: भारत के लिए बड़ा खतरा है Diabetes, जानिए सावधानियां और उपाय

उत्पादन में बढ़ावा की जरूरत

एक ओर छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश में धान और गन्ना उत्पादक किसानों को मदद मुहैया करा रही है. वहीं प्रदेश के लिए नासूर बनते जा रहे डायबिटीज की रोकथाम के लिए आवश्यक औषधीय गुणों से भरपूर कोदो फसल पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है. ऐसे में जरूरत है समय रहते इस रोग के रोकथाम और कोदो जैसे औषधिकारक फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने की ताकि प्रदेश के लोगों को शुगर जैसी जानलेवा बीमारी से बचाया जा सके.

Intro:मुंगेली: आज विश्व मधुमेह दिवस यानी कि वर्ल्ड डायबिटीज डे है. डायबिटीज याने कि आप सब जानते हैं इसे मीठी मौत के नाम से भी जाना जाता है. दुनिया भर में डायबिटीज के लगभग 42 करोड मरीज पाए जाते हैं. जिसमें लगभग 8 करोड मरीज हमारे भारत देश से हैं. छत्तीसगढ़ धान के कटोरे के बाद अब डायबिटीज कैपिटल के तौर पर भी अपनी पहचान बना रहा है. लेकिन इन सबके बीच क्या आपको मालूम है कि छत्तीसगढ़ में एक फसल ऐसा भी है जो डायबिटीज पेशेंट के लिए रामबाण आहार है पर अब यह प्रदेश से विलुप्ति की कगार पर है. कौन सी है वह फसल और क्यूँ है विलुप्ति की कगार पर देखिए ये खास रिपोर्ट....।


Body:छत्तीसगढ़ प्रदेश पूरे विश्व में धान के कटोरे के रूप में पहचाना जाता है. यहां के ज्यादातर किसान धान उत्पादक कृषक हैं. लेकिन धीरे-धीरे यह प्रदेश धान के कटोरे से भारत के डायबिटीज कैपिटल के तौर पर अपनी पहचान बना रहा है. जी हां शायद आपको हमारी बातों पर यकीन ना हो लेकिन जिस तेजी के साथ डायबिटीज छत्तीसगढ़ प्रदेश में पैर पसार रही है उसे देखकर तो यही लग रहा है. छत्तीसगढ़ प्रदेश में धान फसल उत्पादकों ने उन्नत किस्म के धान तो लगाए लेकिन पैसों की चाहत और सरकारी उदासीनता ने एक ऐसे फसल को विलुप्ति की कगार पर ला खड़ा किया है जो डायबिटीज के मरीजों के लिए सबसे अच्छा आहार है. हम बात कर रहे हैं कोदो फसल की. कोदो शुगर के मरीजों के खाने के लिए चावल के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. यह शुगर मरीजों के लिए सबसे अच्छा भोजन भी माना जाता है. किसानों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में सरकार ने समर्थन मूल्य में धान खरीदी की व्यवस्था तो की है लेकिन पौधों को लेकर कोई प्रयास नहीं किया. जिसके चलते किसानों ने कोदो से अपना मुंह मोड़ लिया. कभी हजारों हेक्टेयर रकबे में लगने वाला औषधि युक्त कोदो महज कुछ किसानों के खेतों तक ही सिमटकर रह गया है. हालांकि इस मामले में कोदो के प्रति किसानों की उदासीनता भी समझ से परे है. कोदो की फसल कम होने की वजह से मौजूदा दौर में इसे दूसरे प्रदेश से आयात कर मंगाया जा रहा है.कोदो का बाजार मूल्य लगभग 6500 प्रति क्विंटल है. जो अच्छे किस्म के चावल से भी कहीं ज्यादा है. वहीं बढ़ते शुगर के मरीजों के बीच इसकी डिमांड बढ़ने से यह धीरे-धीरे फिर से काफी डिमांडिंग हो गया है।

बाइट-1-नितेश अग्रवाल (किसान)...(काले रंग की टीशर्ट में)

इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में डायबिटीज के 42.5 करोड मरीज हैं जिसमें भारत में लगभग 8.2 करोड मरीज पाए जाते हैं. वही बात करें अगर कोदो की तो इसे अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है. इसे अंग्रेजी में कोदो मिलेट या काउ ग्रास भी कहते हैं. कोदो भारत के अलावा मुख्य रूप से फिलीपींस, वियतनाम मलेशिया, थाईलैंड और दक्षिण अफ्रीका में उगाया जाता है. चिकित्सकों के मुताबिक कोदो में पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाए जाते हैं जो कि शुगर के मरीजों के लिए अच्छा आहार माना जाता है कोदो में वसा, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट पाए जाते हैं।

बाइट-2- डॉ जीएस दाऊ (वरिष्ठ चिकित्सक),,(कुर्सी में बैठे हुए)


Conclusion:एक तरफ छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश में धान और गन्ना उत्पादक किसानों को सरकारी मदद उपलब्ध करा रही है. वहीं प्रदेश के लिए नासूर बनते जा रहे डायबिटीज की रोकथाम के लिए आवश्यक औषधीय गुणों से भरपूर कोदो फसल के लिए सरकार का कोई ध्यान नहीं है. ऐसे में जरूरत है समय रहते इस रोग के रोकथाम और कोदो जैसे औषधिकारक फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने की ताकि प्रदेश के लोगों को शुगर जैसी जानलेवा बीमारी से बचाया जा सके।

रिपोर्ट-शशांक दुबे,ईटीवी भारत मुंगेली
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.